आल इंडिया रेडियो से लेकर अखबारों से लेकर यहाँ तक का सफर काफी उतार चदाव का रहा......मगर काफ़ी कुछ सीखने को मिला और कुछ करने की प्रेरणा भी मिली जो बहुत जरुरी टोनिक होती है किसी की जिंदगी में ...खैर...
रिपोर्टिंग से डेस्क पर हुए एक साल से ऊपर हो गया है......लगातार नौकरी करते हुए...इस दौरान कई तरह के उत्तर चढाव देखे....अपने पराये हुए पराये अपने नही हो सके..लेकिन एक सकूं तो रहा दिल में की किसी का बुरा नही किया...जिसने समझा अची बात नही समझा वो भी अची बात है...दोस्त पता नही कहा हैं...परिवार घर पर है लेकिन समय नही दे प् रहा होऊं , काम करने की आदत सी पड़ गई है...और अचा लगता भी है...में भी यही चाहता था...पर कभी लगता है श्याद कुछ ग़लत हो रहा है...दिखाई नही देता लेकिन कुछ न कुछ तो है....सोच रहा होऊं दशहरे पर घर जाने की...काफी समय हो गाय है...वादियाँ देखे हुए..अपने लोगू से बात करने का जी करता है...दूर शहर से शांत माहौल में जाने का जी करता है......जो भी है....इंतज़ार तो है कुछ अपने पण का...जॉब ऐसा है...कोई चीज़ अची नही लगती बल्कि लगता है कुछ बचा ही नही है दुनिया देखने को , करने को,जाने को ....पत्रकार की जिंदगी पता नही क्योँ प्यासी सी रहती है.....अपने आप में यह एक कभी न पुरा होने वाला प्रश्न भी है और उत्तर भी.....फ़िर कर्म में बिश्वास करता होऊं इसलिए करे जा रहे होऊं, इश्वर देखता है क्या ठीक है क्या ग़लत.....कुछ अचा करना चाहता होऊं समाज के लिए...पता नही कर पाऊँगा या नही लेकिन जो भी है...अपने आप से नाराजगी तो है...कोशिश कर रहा होऊं जल्द ही दूर हो जाए..कुछ लोग अपने हैं...और फिलहाल दूर हैं...न अता है न पता....लेकिन में उन्हें बहुत मिस करता होऊं .....पता नही दुबारा वे मिल पाएंगे या नही ....कहा होंगे किस हाल में होंगे.......पता नही....इश्वर उन्हें खूब खुसी दे..और भरपूर सफलता....कामना यही करता होऊं...