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कोई विधायक धरने पर बैठा है तो कोई विधायिका गमले तोड़ रही है....वो भी एक नहीं दो नहीं पूरे पंद्रह गमले चकना चूर कर दिये...बेचारे फूल...पौधे...उनका क्या कसूर था ...फूल पौधे के लिए आवाज उठाने वाले 'पेटा' वालों को भनक नहीं लगी ?..और जो गमले तोड़े उनका नुकशान? ... और बेचारे कुम्हार की मिटटी का खुले आम बलात्कार हो रहा था..पटना विधान सभा की सीड़ीयौ में....वो भी खुले आम...! दुर्भाग्य था की पुलिस...गार्ड सब देखते रहे और पंद्रह गमले तोड़ने दिए...विसुअल्स तो एक गमले में ही बन पड़ते...पिछली रात को लालू को विधान सभा परिशर में जाने की अनुमति नहीं दी गई..बस क्या था अगले दिन बिदक गए..कर डाली प्रेस कांफेरेंसे...अब लालू की प्रेस कांफेरेंस हो और मीडिया का तेल ना फुके..ऐसा कैसे हो सकता है...मैराथन प्रेस कांफेरेंस कर डाली...ये होता है लोगों को दिखाने के लिए की हम अभी जिन्दा है और चुनाव नजदीक हैं...और हम क्या कर सकते हैं...कैसे कर सकते हैं और किस तरह की उल्टी सीधी हरकतें कर सकते हैं .....टीवी पर देख लो...वाह रे इंडियन पोलिटिक्स !.....
ओमामा के 'सफ़ेद हाउस' के गमले तोड़ के दिखाओ ना? पता चल जायेगा....खैर...ये सोची समझी योजना है नेताओं की ...चुनाव सर पर हैं और लोगों को चेहरा दिखाने के लिए कुछ ना कुछ ऐसा कर डालो ...जिससे सरकार भी घिरे..और टीवी पर हम भी दिखे....क्यूंकि अब गाँव देहात में जाने पर जनता नेताओं को घास नहीं डालती है..बस २१ इंच के 'टीवी बॉक्स' में सब कुछ कर डालो....वोट जनता दे ही देगी...वहीं से....लेकिन जो हर काटें देखने को मिली वो शर्मसार करने के लिए तोक्तंत्र को काफी है...फिर चाहे अन्दर सदन में चप्पल फैंक लो या बहार गमले फोड़ लो.....और बिहार में तो अभी शुरुवात है...चुनाव से पहले देखते जाओ क्या क्या विसुअल्स देखने को मिलते हैं...हालांकि ६७ विधायक सस्पेंड कर दिए गए..लेकिन क्या यह सजा उचित है...?बड़ा प्रश्न है..?
समय का तकाजा है, नेता लोगों को 'सभ्य' होने का बिल सदन में जल्द पेश हो...नहीं तो आने वाले दिनों में नेताओं के बीच जूतम पैजार या फिर गमला तोड़ प्रतियोगिता शुरू हो सकती है.....