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बजट --नाम सुन कर हर नौकरी पेशे वाला इंसान एक बार तो सतर्क हो हो ही जाता है....चाहे वो घर का , दुकान का हो या अपना निजी पाकिट का जो महीने भर के लिए होता है या फिर देश का.......वही बजट आज प्रणव डा ने संसद में टिपिकल बंगाली अंदाज में दिया....जैसे कोई बंगाली महिला आगे आगे और पति उसके पीछे-पीछे जोर जोर से चिल्ला कर , झल्ला कर पैर पटक कर चलता है उसी तरह से प्रणव दा ने भी इस बजट को पेश किया.....
परंपरा के अनुसार बिपक्ष ने विरोध किया...स्वरुप अलग था....लेकिन चेहरे वही पुराने जाने-पहचाने....खैर काम की बात यह की मिला क्या ? देखा जाए तो जी दी पी थोडा बहुत बढ़ा है तो प्रणव दा भी चौड़े हो गए और ऐलान कर डाला आम आदमी का बजट है...लेकिन दूर दराज गाँव के किसी गरीब से पूछा जाए तो पता चल जाएगी असलियत.....अंत में कुछ नहीं दिया तो कुछ नही लिया लेकिन धीरे धीरे लेंगे वाली कहावत यहाँ भी चरितार्थ हुई....और तेल के दाम बड़ा डाले....वो भी बजट वाली रात से ही....कुछ नहीं तो तेल के दाम बढ़ा दो....पता नहीं सरकार क्या सोच के बैठी है.....अब तो गाड़िया भी सेकंड हैण्ड 5000 से लेकर 20000 तक मिल जाती हैं...अगर चलती का नाम गाडी की बात करें तो ! और अगर गाडी चलेगी तो तेल भी भरा जायेगा.....और तेल का सरकार ने तेल निकाल लिया है...साथ में आम आदमी भी पिस रहा है.....
प्रणव दा ने भी ठीक सोचा और ठीक कहा की में साफ़ कहता हूँ, हो भी क्योँ नहीं....सियासत नाम ही चीज़ ऐसी है....पहले बिहार और फिर ४ राज्यौं में चुनाव का जिन्न प्रणव दा को याद है....और अभी तो दो ही साल हुए हैं ना ....आगे देखिये क्या क्या होता है....बिहार में तो कांग्रेस अपनी सब कुछ लगाने को तैयार बैठी है ...जिसकी सैलरी नहीं बढ़ेगी वो क्या करेगा.....ये उन लोगों से पूछो..और ये रेसेस्सन जैसे जिन्न का क्या होगा ?कुल मिलाकर कहें तो एक बार फिर से आंकड़ों का झुनझुना सरकार ने पकड़ा दिया है लोगों के हाथ और बजाते रहो पूरे वर्ष !
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