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अपने वतन को संभालना तो सब को आता है,
मगर अपने ही गैर हुए तो इसमें कौन क्या करे ....
क्योँ नहीं जवाब देती हुकूमत? क्योँ नहीं करती कोई मुख्त्लिब शियाशी कोशिश....क्या बिगाड़ा था उस मासूम ने ? जिसन अभी दीन और दुनिया का मतलब भी ना पता हो....जिसे अपने पराये का अहसास न हो...फिर भी ऐसा सब कुछ हुआ जिसे देख कर सुन कर कम से कम इंसानियत को एक बार तो शर्म शार होना ही पड़ेगा....जिसके मां बाप साथ समुन्दर पार कमाने-खाने निकले थे, और जो अपनी जिंदगी के कुछ हसीं पलों को अपने बचे हुए जिंदगी के साथ बिताने की जद्दोजहद दिन रात कर रहे थे...उनका नूर अब इस जिंदगी में नहीं रहा....!
खबर मीडिया /अखबारों से सबको मिली, देखी पढ़ी सबने....लेकिन हुकूमत की पर्तिक्रिया शून्य....हमारी हुकूमत ने तो न उनके राजदूत को बुलाया ना अपने आप कोई बात की...शर्म की बात है बयान बाज़ी सिर्फ मीडिया द्वारा ही होने लगी और कुछ नहीं.....ऐसा सब कुछ होना विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में अपने आप में बहुत कुछ कहता है और दर्शाता भी है......सामाजिक ताना बाना को देखें तो दोनू मुल्कों की अपनी अलग शियासत, संस्कृति,और रहन सहन है. मगर एक सभ्य समाज में क्या ऐसा होना अच्छी बात है? लोगों का रहना-सहना, मिलना जुलना बेशक अलग हो लेकिन स्वरुप तो वही होगा....वो तो नहीं बदल सकता....सोच तो कहीं ना कहीं मानवता पर टिकती है...? फिर ऐसा क्योँ ? क्योँ इंसान कभी कभी इतना दरिंदा हो जाता है....क्या बिगाड़ा ठोस मासूम ने...?जिसने अभी पूरी तरह से दुनिया भी नहीं देखि थी...यह बात ना केवल उस देश के लिए बल्कि हमारे देश में भी ऐसे ही ना जाने कितने हादसे होते हैं....और रोज रोज ऐसे घटना होना शर्मनाक है...वाकई शर्मनाक! मासूम गुर्शन सिंह चन्ना के कतल के मामले में एक भारतीय आदमी पकड़ा गया है जो अपने माता पिता के साथ छुटियाँ मनाने गया था....ऑस्ट्रेलिया और पंजाब का रहने वाला था. इसकी जितनी भत्सर्ना की जाए कम है और जिसने किया है उसको तो ऐसी सजा मिलनी चाहिए जिसे दुनिया देखे.
खबर मीडिया /अखबारों से सबको मिली, देखी पढ़ी सबने....लेकिन हुकूमत की पर्तिक्रिया शून्य....हमारी हुकूमत ने तो न उनके राजदूत को बुलाया ना अपने आप कोई बात की...शर्म की बात है बयान बाज़ी सिर्फ मीडिया द्वारा ही होने लगी और कुछ नहीं.....ऐसा सब कुछ होना विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में अपने आप में बहुत कुछ कहता है और दर्शाता भी है......सामाजिक ताना बाना को देखें तो दोनू मुल्कों की अपनी अलग शियासत, संस्कृति,और रहन सहन है. मगर एक सभ्य समाज में क्या ऐसा होना अच्छी बात है? लोगों का रहना-सहना, मिलना जुलना बेशक अलग हो लेकिन स्वरुप तो वही होगा....वो तो नहीं बदल सकता....सोच तो कहीं ना कहीं मानवता पर टिकती है...? फिर ऐसा क्योँ ? क्योँ इंसान कभी कभी इतना दरिंदा हो जाता है....क्या बिगाड़ा ठोस मासूम ने...?जिसने अभी पूरी तरह से दुनिया भी नहीं देखि थी...यह बात ना केवल उस देश के लिए बल्कि हमारे देश में भी ऐसे ही ना जाने कितने हादसे होते हैं....और रोज रोज ऐसे घटना होना शर्मनाक है...वाकई शर्मनाक! मासूम गुर्शन सिंह चन्ना के कतल के मामले में एक भारतीय आदमी पकड़ा गया है जो अपने माता पिता के साथ छुटियाँ मनाने गया था....ऑस्ट्रेलिया और पंजाब का रहने वाला था. इसकी जितनी भत्सर्ना की जाए कम है और जिसने किया है उसको तो ऐसी सजा मिलनी चाहिए जिसे दुनिया देखे.
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