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खेल मंत्री का यह बयान वाकई इस खेल के प्रति निष्ठा और नियति पर सवालिया निशाँ खडा कर गया है . इसमें सट्टा, फरेब,खरीद फरोख्त होने से सायद वे भी दुखी हैं...उनको भी लगता है कहीं सट्टेबाजी का जिन्न या फिर अन्य परेशानी एशियन खेल में न आये.....बीसीसीआई उनके अन्दर नहीं है, नहीं तो शायद कबका मामला बिगड़ चुका होता ......आंखिर उन्हूने अपना पल्ला यह कर झाड दिया है कि बोर्ड क्या करेगा? ये फैसला उस पर छोड़ दिया है...लेकिन लगता है इस खेल के प्रति लोगों,अधिकारियौं और यहाँ तक सरकार का भी भरोसा उठने लग गया है...जिस हिसाब से पैसा इस खेल के रंग को रंगीन कर गया उससे तो यही लगता है आने वाले दिन इस खेल के लिए सरकार को कदम उठाना पड़ सकता है....और उठाना भी चाहिए क्यूंकि टीम्स की खरीद फरोख्त, पैसा फैंकने से देश के प्रति भावना कम हुई है और खेल को नुकशान हुआ है.....खेल कोई भी बुरा नहीं होता लेकिन जिस तरह से पिछले चंद वर्षों में इसमें इतनी तब्दीली आई है, उससे लगता है आने वाले दिन शुभ संकेत ले कर नहीं आने वाले हैं...हालत यह हो गई है लोगों को अब पता नहीं है खिलाड़ी कहाँ खेल रहा है और वो है कौन?
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