- ट्यूलिप गार्डन से उत्तराखण्ड में पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
- मिनी कश्मीर कहे जाने वाले पिथौरागढ़ के मुनस्यारी में हैं गार्डन। पिथौरागढ़ से मुनस्यारी की दूरी है लगभग 128 किलोमीटर
- ट्यूलिप गार्डन में खिले सैकड़ों सुन्दर फूल, मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट भी है यह
कुमाऊं मंडल में सीमान्त जिला पिथौरागढ़ जिसे मिनी कश्मीर भी कहा जाता है. यहाँ से मुनस्यारी की दूरी लगभग 128 किलोमीटर है. आप जब मुनस्यारी पहुंचेंगे तो ट्यूलिप गार्डन के दर्शन जरुर करिये.साथ ही सामने सुन्दर हिमालय की चोटियां एक अलग ही सौंदर्य प्रदान करती हैं जगह को. मुख्यमंत्री ने बताया जो की उन्होंने सोशल साइट में अपने पेज पर लिखा है “2017 में प्रदेश का कार्यभार संभालने के बाद से मेरी सरकार की हर सम्भव कोशिश इस बात पर रही है कि हम हर क्षेत्र में ढांचागत सुधार के साथ साथ प्रदेश की भौगोलिक परिस्थिति का उपयोग जीविकोपार्जन के लिये भी करें और इसी क्रम में मुन्स्यारी ईकोपार्क की स्थापना की गई है ।”वन विभाग की और से मुनस्यारी में विकसित की गई नर्सरी में इन दिनों ट्यूलिप के आकर्षक रंग-बिरंगे फूल खिले हैं।मुनस्यारी के पातलथौड़ में पर्यटकों को लुभाने के लिए वन विभाग की ओर से आधुनिक ईको पार्क बनाया गया है. ईको पार्क बन जाने से साहसिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
जैव विविधता संरक्षण एवं ग्रामीण आजीविका सुधार परियोजना (बकरलिप) के अंतर्गत पातलथौड़ में करीब 10 हेक्टेयर भूमि पर ‘मुनस्यारी ईको पार्क’ का निर्माण किया गया है। हिमनगरी मुनस्यारी में प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं। मुनस्यारी पहुंचने के बाद पर्यटक प्रकृति एवं हिमालय के विहंगम नजारे का लुत्फ उठा सकें। साथ ही खुद को साहसिक पर्यटन से जोड़ सकें। इसके लिए ईको पार्क में आधुनिक सुविधाओं का विकास किया गया है। पातलथौड़ ईको पार्क में पर्यटक प्रकृति एवं पंचाचूली हिमालय की खूबसूरती का आनंद उठा सकें, इसके लिए कार्य किए जा रहे हैं।
पार्क में पर्यटकों के लिए सुविधाएं हैं जैसे
स्विंग लॉग ब्रिज
स्काई वॉक, मल्टी वाइन
कमांडो नेट एल्पाइन
मंकी कार्डलिंग
लेडर बेंबो ब्रिज
टायर लेडर क्रासिंग
कमांडो नेट वर्टिकल
पाथर जिसे पटाल भी कहते हैं और गारे का हुआ है प्रयोग।ईको पार्क में 100 लोगों के बैठने के लिए कैफेटेरिया बनाया गया है । कैफेटेरिया में स्थानीय खानपान की सुविधा पर्यटकों को मिलेगी। इसके अलावा एक फास्टफूड सेंटर भी बनाया गया है। इसमें कहीं भी सीमेंट, प्लास्टिक का प्रयोग नहीं किया गया है। स्थानीय पाथर (पत्थर) और गारे से चिनाई की गई है।
इस पार्क का संचालन समिति करेगी। ईको पार्क के संचालन के लिए समिति बनाई गई है। इसमें मुनस्यारी के एसडीओ, रेंजर, फारेस्ट गार्ड, स्थानीय सरपंच को शामिल किया गया है। संरक्षक जिलाधिकारी होंगे।उम्मीद है लॉक डाउन खुलने के बाद पर्यटक यहाँ का दीदार कर पाएंगे. क्योँकि अब आपको कश्मीर जाना नहीं पड़ेगा बल्कि देवभूमि उत्तराखण्ड में ही कश्मीर जैसा आनंद महसूस होगा.
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