उत्तराखण्ड पहुंची पहली बार टीम आरजेएस पॉजिटिव मीडिया-
हरिद्वार : कहते हैं न कुछ कर गुजरने का मादा हो तो सब कुछ हो जाता है उसी कड़ी में यह बैठक आज थी हर नगरी हरिद्वार में. गंगा जी के पास सरहरी हवा के साथ दिल और दिमाग सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर था. एक तरफ हवा थी, माहौल था, सकारात्मक सोच थी दूसरी तरफ पहाड़ी ब्यंजन थे और इससे जुड़े पंकज अग्रवाल थे. जो एक शानदार मेहमान नवाज, उत्तराखण्ड की संस्कृति के अच्छे जानकार, लजीज पहाड़ के खाने के एक्सपर्ट थे. जब ये सारा मिला तो लोगों को प्यार मिला. लोगों ने एक दूसरे के बारे में जाना. या यूँ कहिये, जहाँ मिजाज था, उत्सुकता थी, मिशन था और एक अपनापन था --
जहाँ पर श्रृंगार देखने को मिला पहाड़ का, जहाँ पर पहाड़ की यादें ताजा हुई..जहाँ पर एक लुप्त होती संस्कृति दिखी उन लकड़ी के खम्बों के मारफत जो पहाड़ के घरों की कभी शान हुआ करती थी. क्योँकि देवभूमि रसोई\होटल/रेस्टोरेंट में दिल्ली से आयी टीम आरजेएस के प्रतिनिधियों के साथ बैठक जो हुई. आज 25 राज्यों की टीम आरजेएस उत्तराखण्ड से हुई रुबरु..राज्य की लोकसंस्कृति व पहाड़ी खाना का किया समर्थन. देवभूमि रसोई हरिद्वार में हुई आरजेएस की 128 वीं सकारात्मक बैठक थी. इस दौरान अल्मोड़ा के वरिष्ठ रंगकर्मी स्वर्गीय मोहन उप्रेति व उनकी पत्नी स्वर्गीय नईमा खान उप्रेति और लोक कवि व गायक चंद्र सिंह राही को दी गई श्रद्धांजलि.
आरजेएस के समर्थन पर पंकज अग्रवाल ने खुशी जताई। उन्होंने कहा कि 25 राज्यों की आरजेएस फैमिली व पाॅजिटिव मीडिया का प्रतिनिधि मंडल उत्तराखंड की संस्कृति व व्यंजन को देश भर में समर्थन दिलाने की सकारात्मक सोच के साथ उत्तराखंड सप्ताह यात्रा कर रह है ।यह उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है। श्री अग्रवाल ने कहा कि उत्तराखंड का भोजन सबसे सादा और एक ही मसाले ,एक ही तेल में बनने वाला पहाड़ी व्यंजन है ।यदि हम तराई क्षेत्रों में पलायन कर भी गए हैं ,तब भी अपने अपने क्षेत्रों में उत्तराखंड की संस्कृति और पहाड़ी खाना को जिंदा रख सकते हैं। देवभूमि रसोई की शुरुआत इसी मंतव्य से की गई है कि उत्तराखंड आनेवाले पर्यटकों को पहाड़ी संस्कृति से रूबरू कराया जा सके। पर्यटकों को पहाड़ी खाना में मंडुवे की आटे में गहद भरी हुई भरया रोटी , पहाड़ी मट्ठा jise इस क्षेत्र में पल्लड़ , पहाड़ी झंगोरे का दलिया/खीर आदि बनाए जा सकते हैं।मिष्ठान में बाल मिठाई,मीठू बात,खोई पेड़ा और लोई पेड़ा , सिंगौड़ी आदि प्रमुख पसंदीदा व्यंजन हैं जिन्हें सर्व सुलभ किया जा सकता है। आरजेएस के राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने कहा कि अन्य राज्यों की संस्कृति की तरह पहली बार आरजेएस फैमिली और पॉजिटिव मीडिया ने उत्तराखंड संस्कृति व व्यंजन को समर्थन देनेके लिए 19 फरवरी से 25 फरवरी तक यात्रा कर समर्थन दिया। हरिद्वार, देहरादून, मंसूरी, रोतुली की बेली ,धनौल्टी, टिहरी , ऋषिकेश आदि क्षेत्रों में भी टीम जाएगी और रूबरू होगी.
बैठक में स्थानीय पत्रकारों और राजेंद्र सैनी व अश्विनी सैनी का सहयोग सराहनीय रहा। बैठक के अंत में प्रतिभागियों ने देवभूमि रसोई में लजीज पहाड़ी खाना का स्वाद लिया। देवभूमि रसोई की जितनी तारीफ की जाए कम है क्योँकि पंकज अग्रवाल जिस तरीके से और जिस साहस जूनून और तन्मयता से लगे हुए हैं ऐसे लोग समाज के लिए रत्न हैं. इनकी जितनी तारीफ की जाए कम है. अगर आपको पहाड़ के ब्यंजन का लुत्फ़ उठाना है तो देवभूमि रसोई एक बार जाइये आपको निराश नहीं होना पड़ेगा बल्कि ख़ुशी होगी. जहाँ पारम्परिक तरीके से आपको खाना खिलाया जायेगा. पहाड़ की आपको याद आ जाएगी.
अगर ये पंक्ति कहूं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.....
"जिन्नै "देवभूमि रसोई' (हरिद्वार) नहीं वेख्या ओ जन्म्या ई नईं"
यानी अगर किसी ने देवभूमि रसोई (हरिद्वार) नहीं देखी तो बिल्कुल ऐसा ही जैसे उसका जन्म ही ना हुआ...
आखिर में ....दो पंक्तियाँ उछाल कर छोड़ देते हैं . ...पढ़िए -
हम ख़ुद तलाशते हैं ..मंज़िल की राहों को,
हम वो नहीं हैं जिनकों ....ज़माना बना गया।।
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