- -43 वर्षीय जेनिफर हैलर पर किया गया टेस्ट
- -हैलर ने इसे कुछ कर पाने का एक अच्छा अवसर बताया
- -हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो किसी भी संभावित टीके की पुष्टि में एक साल से 18 महीने तक का वक्त लगेगा.
दिल्ली : (Manojeet Singh) दुनिया भर में कोरोना वायरस से हाहाकार मच गया है. अधिकतर देश इसकी चपेट में आ गए हैं. हजारों लोगों की अलग-अलग देशों में मौतें हो चुकी हैं अब तक. ऐसे में इस बिमारी से निजात पाने के लिए खासकर विकसित देशों की कोशिश हो रही है कि जल्द से जल्द इसका टीका विकसित किया जाये. इसी कड़ी में राहत भरी खबर आ रही है कि अमेरिका से. उसने दावा किया है टीका विकसित करने का. वैक्सीन का कोडनेम एमआरएनए-1273 (MRNA-1273 ) दिया गया है.
इस वैक्सीन को नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ और बायोटेक्नोलॉजी कंपनी मॉर्डर्ना इंक ने विकसित किया है. सोमवार यानि 16 मार्च को कोविड-19 वैक्सीन का एक महिला पर प्रयोग किया गया. अमेरिका के सिएटल कि रहने वाली 43 वर्षीय जेनिफर हैलर जो कि एक टेक कंपनी में ऑपरेशन्स मैनेजर हैं, उनपर इंजेक्शन से टेस्ट किया गया है. हैलर ने कहा" कुछ कर पाने का एक अच्छा अवसर है यह ". कई देश इस टीके को विकसित करने को लेकर प्रयासरत हैं.
एक रिपोर्ट के अनुसार रिपोर्ट के अनुसार सिएटल स्थित कैसर परमानेंट वाशिंगटन रिसर्च इंस्टिट्यूट में कोविड-19 वैक्सीन पर स्टडी की गई है. इससे पहले अमेरिका के राष्रपति डोनाल्ड ट्रैम्प ने वाइट हाउस में कहा इस दिशा में जुलाई या अगस्त तक हमें इससे छुटकारा मिल जायेगा.
चीन के बाद, इटली, ईरान, स्पेन, अमेरिका, पकिस्तान में संक्रमित लोगों कि संख्या बढ़ती जा रही है.चीन, अमेरिका, इटली, स्पेन, जर्मनी में मौतें काफी हो चुकी हैं. कई देशों ने अलग-अलग तरह के रोक भी लगाई हैं एहतियातन लेकिन फिर भी बिमारी को रोक पाने में सफलता पूरी तरह नहीं मिल पायी है. अधिकतर देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने अपने विदेश यात्राएं, लोगों से मिलना पूरी तरह से बंद कर दिया है. एक दूसरे से हाथ मिलाने से भी डर रहे हैं. कई नेता तो नमस्ते कर के मिल रहे हैं.
जर्मनी ने लगाया आरोप-
हेइको मास जर्मनी के विदेश मंत्री हैं उन्होंने आरोप लगाया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एक जर्मन बायोटेक फर्म द्वारा विकसित संभावित वैक्सीन के लिए विशेष डील कर रहे थे. पेटेंट कराना छह रहे थे जो ठीक नहीं है. अगर वैक्सीन बनेगी तो सभी के लिए बनेगी किसी एक देश के लिए नहीं. उन्होंने कहा, ‘हम दूसरों को अनन्य परिणाम प्राप्त करने की अनुमति नहीं दे सकते.’
अब तक कोरोनावायरस से पूरी दुनिया में डेढ़ लाख से भी ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं. यह वायरस दिसंबर में चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ था जिसने अब तक 6500 जाने ले ली हैं. इस बिमारी को रोकने के लिए कई देशों में युद्ध स्तर पर काम हो रहा है. अमेरिकी सरकार के एक अधिकारी के अनुसार NIH जो अमेरिका का राष्ट्रीय संसथान भी है, इस परीक्षण के लिए धन मुहैया करा रहा है और यह सिएटल में ‘कैसर परमानेंट वाशिंगटन हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट’ में हो रहा है.हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो किसी भी संभावित टीके की पुष्टि में एक साल से 18 महीने तक का वक्त लगेगा. अमेरिका में यह परीक्षण 45 युवा एवं स्वस्थ स्वेच्छाकर्मियों के साथ शुरू होगा जिन्हें एनआईएच और मॉर्डर्ना इंक के संयुक्त प्रयासों से विकसित टीके लगाए जाएंगे हालांकि प्रत्येक समबन्धित ब्यक्ति को लैब में अलग-अलग मात्रा में वैक्सीन दी जाएगी.
हालाँकि अच्छी बात यह है कि इसमें कोई संभावना नहीं है कि कोई भी प्रतिभागी इससे संक्रमित होगा क्योंकि इस टीके में वायरस नहीं है. इस परीक्षण का लक्ष्य सिर्फ यह जांचना है कि टीकों को कोई चिंताजनक दुष्प्रभाव न हो और फिर इस आधार पर बड़े पैमाने पर परीक्षण किया जा सके. कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच विश्व भर के दर्जनों शोध संगठन टीका विकसित करने के प्रयासों में जुटे हुए हैं. भारत में भी 100 से अधिक संक्रमित मरीज मिले हैं. जो फिलहाल उपचाराधीन हैं. इनमे से 3 लोगों कि मौत हो चुकी है. कई लोग ठीक हो कर घर भी भेजे जा चुके हैं. इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के मार्फ़त बैठक का आह्वान किया था जिसे सभी सम्बंधित देशों ने मान लिया था और उस बैठक में भाग लिया था. प्रधानमंत्री मोदी ने इस बिमारी से लड़ने के लिए एक अलग से फंड बनाने का भी ऐलान किया था. साथ ही मेडिकल एक्सपर्ट, दवाइयां, उपचार जो भी हो सके आपस में मिल कर करने की जरुरत पर बल दिया था. सभी देशों ने उनकी अपील को मान भी लिया था.
जानिए जेनिफर के बारे में :
जिन अमेरिकन लोगों पर यह वैक्सीन का टेस्ट हो रहा है उनमे से एक महिला है. नाम है जेनिफर हॉलर है. उनके के दो बच्चे हैं. पहला इंजेक्शन उन्हें ही लगा है। जेनिफर अपने दोनों बच्चों के साथ रहती है. इससे पहले 43 साल की जेनिफर हॉलर रोज सुबह अपने 16 साल के बेटे और 13 साल की बेटी को सेब काटकर खिलाती थी. अब टेस्ट के बाद उनके बच्चे खुद से ही खाना बनाकर खाते हैं. उनके स्कूल जाने से पहले ही जेनिफर काम पर लग जाती हैं. जेनिफर को तीन मार्च को फेसबुक के जरिए वैक्सीन रिसर्च के बारे में पता चला था. वॉशिंगटन रिसर्च इंस्टूट्यूट ने भर्ती कि प्रक्रिया शुरू की और जेनिफर ने इसके लिए तुरंत फॉर्म भर दिया और सेलेक्ट हो गयी. जेनिफर के पति एक सॉफ्टवेयर टेस्टर हैं जिन्हें पिछले हफ्ते ही नौकरी से निकाल दिया गया था. इससे परिवार की आमदनी आधी हो गयी. खर्चे ज्यादा होने की वजह से मौजूदा हालात में नौकरी तलाशना भी मुश्किल है. जेनिफर कहती हैं, मुझे लगता है कि शायद हमें उसके लिए छह महीने तक काम करने की तैयारी करनी होगी. इस परीक्षण के लिए चुने गए लोगों को प्रयोग के लिए जितनी बार क्लिनिक बुलाया जाएगा, इसके लिए उन्हें 100 डॉलर भी दिए जाएंगे.
इनके अलावा तीन और लोगों को इस परीक्षण का इंजेक्शन लगाया जाना है। इसके अलावा 45 अन्य लोगों को भी इसका हिस्सा बनाया जाएगा और इन्हें एक महीने के बाद दो और डोज दिए जाएंगे।इस परीक्षण के लिए 18 से 55 साल के बीच के ऐसे लोगों को चुना जा रहा है जो भीतर से मजबूत हों और जो वैक्सीन के कड़ी डोज को भी बर्दाश्त कर सकें.
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