कोरोना वायरस से भारत को कितना होगा नुक्सान ?
बीते 12 साल में पहली बार शेयर बाजार में ट्रेडिंग रोकी गई, क्या खोया, क्या पाया ?
दिल्ली : इसमें कोई शक नहीं है चीन से आये कोरोना वायरस से भारत को भी बुरी तरह अपने चपेट में ले लिया है.आने वाले समय में इसका दूरगामी असर देखने को मिल सकता है. सबसे ज्यादा प्रभावित भारत का बाजार रहा है. एक तरफ वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर के बीच भारत का बाजार धीरे-धीरे अपने को संभाल रहा था तो वहीँ दूसरी तरफ अब इस वायरस से एक तरह से भारतीय बाजार की कमर सी तोड़ दी है. सेंसेक्स में लगातार दूसरे दिन बड़ी गिरावट देखी गई। बीएसई का शेयर सूचकांक सर्किट खुलते ही 3600 अंक तक गिर गया। हालांकि, कुछ देर में संभला और अभी 318 अंक नीचे 32,459 पर कारोबार कर रहा है. कोरोना वायरस की वजह से ग्लोबल शेयर बाजारों में बवंडर मचा हुआ है. इस वजह से भारतीय शेयर बाजार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
मई 2008 में शेयर बाजार कुछ देर के लिए बंद कर दिया गया था 10% या अधिक की गिरावट पर बाजार में ट्रेडिंग रोक दी जाती है. आज 45 मिनट के लिए ट्रेडिंग रोकनी पड़ी. मतलब ये कि इस दौरान शेयर बाजार में कारोबार नहीं हुआ. संयुक्त राष्ट्र की कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवेलपमेंट (UNCTAD) के अनुसार दुनिया की टॉप बड़ी अर्थब्यवस्थाओं के बीच भारत की भी अर्थव्यवस्था है. चीन में उत्पादन में आई कमी का असर भारत से व्यापार पर भी पड़ा है और इससे भारत की अर्थव्यवस्था को क़रीब 34.8 करोड़ डॉलर तक का नुक़सान उठाना पड़ सकता है. यूरोप के आर्थिक सहयोग और विकास संगठन यानी OECD ने भी 2020-21 में भारत की अर्थव्यवस्था के विकास की गति का पूर्वानुमान 1.1 प्रतिशत घटा दिया है. ओईसीडी ने पहले अनुमान लगाया था कि भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.2 प्रतिशत रहेगी लेकिन अब उसने इसे कम करके 5.1 प्रतिशत कर दिया है. वहीँ यह दुर्भाग्य है अमेरिका और चीन कोरोना को लेकर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने में लगे हैं. अमेरिका ने चीन को जिम्मेदार ठहराया है तो वहीं चीन ने कहा है वहा में अमेरिकी सेना ने वायरस फैलाया है. ऐसे में जब कई देशों में लोगों की मौतें हो गयी है और हो रही हैं ऐसे में विश्व के ये दो देश आपस में बयानबाजी करने में लगे हैं. जबकि इस समय समूचे विश्व के देशों को एक हो कर इसके खिलाफ लड़ने जरुरत है. जो कहीं नहीं दिख रही हैं. कई विकास शील और विकसित देशों के पास टेस्ट किट तक भी नहीं है, सोच सकते हैं उन देशों की हालत क्या होगी ?
इन उद्योगों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा-
दवा कंपनियों पर-
अब जब बहुत से भारतीय अपने यहां दवाएं, सैनिटाइज़र और मास्क जमा कर रहे हैं, तो ये सामान अधिकतम खुदरा मूल्य से भी अधिक दाम पर बिक रहे हैं.आने वाले समय पर मांग बढ़ेगी मास्क और सैनिटाइज़र की. वहीँ भारत अभी जेनेरिक दवाओं का दुनिया भर में सबसे बड़ा सप्लायर है. चीन में उत्पादन बंद होने से भारत ने ऐहतियाती क़दम उठाते हुए कुछ दवाओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है ताकि भारत को अपनी ज़रूरत पूरी करने में कोई कमी न हो. इसीलिए पैरासेटामॉल, विटामिन B1, B6 और B12 के साथ-साथ अन्य एपीआई और फ़ॉर्मूलों की दवाओं के निर्यात पर पाबंदियां लगाई गई हैं.
पर्यटन उद्योग पर -
कोरोना वायरस के चलते पर्यटकों का आना और जाना कम हो गया है या फिर कैंसिल कर दी गयी है लोगों ने बुकिंग्स. एहतियातन, केंद्र सरकार ने भी कुछ समय के लिए वीजा कैंसिल कर दिए हैं भारत आने वालो का. कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते, जब से आने-जाने में पाबंदियां लगी हैं, एहतियात के लिए दिशा-निर्देश और एडवाइज़री जारी की गई हैं, एहतियात के तौर पर सरकार ने कोरिया और इटली से आने वाले लोगों को कहा है कि वो अपनी यहां कि आधिकारिक लैब से इस बात का प्रमाणपत्र लेकर आएं कि वो कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हैं.स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज़ के अनुसार, "इटली, ईरान, दक्षिण कोरिया और जापान के नागरिकों को जो भी वीज़ा और ई-वीज़ा 3 मार्च 2020 या उससे पहले जारी किए गए हैं और जिन्होंने अभी भारत में प्रवेश नहीं किया है, वो सभी वीज़ा तत्काल प्रभाव से निलंबित किए जाते हैं. सरकार ने नागरिकों को ये भी सलाह दी है कि वो चीन, इटली, ईरान, रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया, जापान, फ्रांस, स्पेन और जर्मनी की यात्रा तब तक न करें, जब तक ये बहुत ज़रूरी न हो." केंद्र सरकार नियमित रूप से यात्रा से जुड़े दिशा-निर्देश अपडेट कर रही है. इससे सफ़र पर निकलने वालों के बीच अनिश्चितता का माहौल है. पर्यटन उद्योग के जानकारों के अनुसार "होटलों के कमरों की ऑक्यूपैंसी में अधिकतम 90 प्रतिशत तक की गिरावट आ गई है. दुनिया भर में बहुत से अंतरराष्ट्रीय आयोजन रद्द किए जा रहे हैं. सबसे बुरा असर तो डेस्टिनेशन वेडिंग पर पड़ा है." इस बिमारी से अनुमान लगाया जा रहा है दुनिया के पर्यटन उद्योग को क़रीब 22 अरब डॉलर का नुक़सान होगा. इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) का अनुमान है कि एविएशन सेक्टर को को यात्रियों से होने वाले कारोबार में कम से कम 63 अरब डॉलर का नुक़सान हो सकता है. इस अनुमान में माल ढुलाई के व्यापार को होने वाला नुक़सान शामिल नहीं है.ऐसे में हमारे यहाँ एयर इंडिया पहले से ही घाटे में चल रही थी और मार पड़ेगी तो क्या हाल होगा अनुमान लगाया जा सकता है.
जवाहरात और जूलरी उद्योग-
एक और उद्योग जो कोरोना वायरस के प्रकोप से प्रभावित है, वो है जवाहरात और जूलरी का उद्योग. कोरोना वायरस से इस सेक्टर को क़रीब सवा अरब डॉलर का नुक़सान होने की आशंका है. भारत के तराशे और पॉलिश किए हुए हीरों के निर्यात के सबसे बड़े केंद्र चीन और हॉन्ग कॉन्ग हैं और इन दोनों ही जगहों पर वायरस का बहुत बुरा असर पड़ा है. वैश्विक मंदी की मार और अब यह कोरोना वायरस का कहर जिसमे इंसान की जान जा रही है सोच सकते हैं कितना खौफनाक हैं ऐसे में अगर सरकारों ने आपस में मिलकर उपाय नहीं निकाला तो आने वाला समय में और मुश्किल हालात पैदा कर सकते हैं .सबसे दुर्भाग्य की बात है इस बिमारी का अभी तक कोई टीका या दवा नहीं बन पायी जिससे इसको रोका जा सके. लेकिन एक बात है चीन और अमेरिका जैसे आरोप लगा रहे हैं इससे कहीं न कहीं चीन काफी बातों को छुपा रहा है और ऐसे में उसकी जिमेदारी बनती हैं आगे से ऐसा न हों. वरना आने वाले समय में मानवीय जीवन काफी मुश्किल हो जायेगा.
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