बजट
सत्र 2020: गैरसैंण बनी उत्तराखण्ड
की ग्रीष्मकालीन राजधानी...मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह
रावत ने की
बड़ी घोषणा-
गैरसैंण
: गैरसैंण होगी
उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन
राजधानी अब। आज
बजट सत्र के
दूसरे दिन मुख्यमंत्री
त्रिवेंद्र सिंह रावत
ने यह बड़ी
घोषणा कर दी।
गैरसैंण पर्वतीय क्षेत्र में
है और दोनों
कुमाऊं और गढ़वाल
के केंद्र में स्थित
है । प्रदेश
वासियों के लिए
यह अच्छी खबर
है । भाजपा
हमेशा गैरसैण के
पक्षधर रही है
। 9 नवम्बर 2000 को
उत्तराखंड अस्तित्व में आया
था। उस समय
देहरादून को अस्थायी
राजधानी बनाने का निर्णय
लिया गया था
। केंद्र में
उस समय अटल बिहारी
बाजपेई की सरकार
थी । झारखण्ड,
छत्तीसगढ़ के साथ
उत्तराखण्ड का जन्म
हुआ था ।
जैसे ही राज्य
का गठन हुआ
तभी से राजधानी
गैरसैंण को बनाने
की मांग उठने
लगी थी। क्षेत्रीय
दल उत्तराखण्ड क्रांति
दल और राज्य
आंदोलनकारियों ने समय-समय पर
परवतीर्य राज्य की राजधानी
पहाड़ में बनाने
की मांग की
थी और बनाने को लेकर
आंदोलन तेज किये
थे ।नारा दिया
था पहाड़ी प्रदेश
की राजधानी पहाड़
हो का ।
लगभग
दो दशकों तक
राजधानी के मुद्दे
पर राजनीती होती
रही । प्रदेश
में प्रदेश में
सरकारें बदली कबि
कांग्रेस की कभी
भाजपा की लेकिन
गैरसैंण का कुछ
ख़ास न हो
सका । गैरसैंण
राजधानी का सपना
भी जनता को
दिखाया गया, लेकिन
सपना ही रह
गया । विजय
बहुगुणा की सरकार
के शासनकाल में
गैरसैंण की
राजधानी बनने की
उम्मीदें एकबार फिर प्रबल
हुई और तत्कालीन
मुख्यमंत्री विजय
बहुगुणा ने यहां
विधानसभा भवन, सचिवालय,
ट्रांजिट हॉस्टल और विधायक
आवास का
शिलान्यस किया। इसके बाद
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश
रावत के कार्यकाल
के दौरान ये
बनकर तैयार भी
हुए । बाद
में गैरसैंण में
छह विधान सभा
सत्र भी हो
चुके हैं ।
गैरसैंण चमोली जिले में
आता है वर्तमान
में । गैरसैंण
को राजधानी घोषित
सबसे पहले पेशावर
काण्ड के महानायक
रहे वीर चंद्र
सिंह गढ़वाली ने
की थी ।
चंद्र नगर के
नाम से एक
पथ्हर भी रख
दिया था गैरसैंण
में उत्तराखंड क्रांति
दल ने ।
उस दौर में
गैरसैंण को उत्तराखंड
की औपचारिक राजधानी
तक घोषित कर
दिया था। राज्य
बन गया लेकिन
स्थायी राजधानी का मुद्दा
अधूरा ही रह
गया था इसलिए
गैरसैण को जनभावनाओं
की राजधानी कहा
जाने लगा। आज
का दिन राज्य
के लिए ऐतिहासिक
रहा जब मुख्यमंत्री
त्रिवेंद्र सिंह रावत
ने गैरसैंण को
ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की
घोषणा कर दी
। वहीं, गैरसैंण
को ग्रीष्मकालीन राजधानी
बनाने का भाजपा
का यह चुनावी
संकल्प भी था
जो उसने पूरा
किया। उसने चुनाव
संकल्प पत्र में
इस मुद्दे को
शामिल किया था।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश
रावत ने जब
गैरसैंण में विधानमंडल
भवन बनाया तब
उन पर भी
राजधानी घोषित करने का
दबाव बना था।
लेकिन उन्होंने घोषणा
नहीं की। राज्य
की 70 फीसदी जनता
गैरसैंण को चाहती
है स्थायी राजधानी
। राज्य बनने
से पहले उत्तर
प्रदेश की मुलायम
सिंह यादव की
सरकार द्वारा गठित
कौशिक समिति ने
अपनी रिपोर्ट में
गैरसैंण को राजधानी
बनाने की बात
कही थी ।
UKD के दिवाकर भट्ट के
मुताबिक राज्य गठन के
बाद भी जनभावनाओं
की अनदेखी हुई
है। सरकार गैरसैंण
को ग्रीष्मकालीन नहीं
बल्कि स्थायी राजधानी
घोषित करे। राज्य
के लिए कई
आंदोलनकारियों ने अपनी
शहादत दी। नवंबर
2000 में अलग राज्य
बना, लेकिन 19 साल
बाद भी गैरसैंण
स्थायी राजधानी नहीं बन
सकी। सरकार ने
गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन
राजधानी घोषित किया है,
लेकिन आंदोलनकारियों को
ग्रीष्मकालीन राजधानी मंजूर नहीं
है।उनके अनुसार देश में
कोई भी ऐसा
प्रदेश नहीं है
जहां दो राजधानी
हो। सरकार स्पष्ट
करे कि किस
कारण से वह
दो राजधानी बनाना
चाहती है। दल
गैरसैंण को स्थायी
राजधानी बनाने की मांग
को लेकर आंदोलन
जारी रखेगा।
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1 टिप्पणी:
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