ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने श्री आनन्द सिंह बिष्ट जी के अंतिम संस्कार में शामिल होकर उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की. परमार्थ निकेतन में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूर्व आश्रम के पूज्य पिता आनन्द सिंह बिष्ट की आत्मा की शान्ति हेतु मौन रखा गया.
श्रद्धांजलि देते हुए स्वामी चिदानन्द महाराज जी
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि आज हमने आनन्द सिंह बिष्ट के रूप में एक जिम्मेदार पिता और एक महान विभूति को खो दिया हैं. भगवान उन्हें अपने चरणों में स्थान प्रदान करें एवं उन्हें शांति प्रदान करें और मां गंगा उन्हें अपनी गोद में स्थान प्रदान करें. उनके विचारों की रोशनी माननीय योगी जी के जीवन में स्पष्ट दिखायी देती है. माननीय योगी जी के पूर्व आश्रम के परिवार में इतनी बड़ी क्षति हुई है और वे कोरोना महामारी के संकट के समय उत्तर प्रदेश के 23 करोड़ लोगों के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए वे अपनी कर्तव्यनिष्ठा से निरत नहीं हुए, केवल इतना ही कि मेरे प्रदेश और मेरे देश की सेवा करना ही मेरा कर्तव्य है, इस भाव से, आंखें नम, दिल में गम पर मन और दिमाग में केवल कर्तव्य और कर्तव्यनिष्ठा, 23 करोड़ लोगों के परिवार की चिंता और रात दिन जूट कर उनकी सेवा में सदैव तत्पर रहने वाले आदरणीय योगी जी सचमुच उनका यह तर्पण, अर्पण और समर्पण वंदनीय हैं और अभिनंदनीय हैं।
श्रद्धांजलि देते हुए स्वामी चिदानन्द महाराज जी
योगी जी सचमुच योगी है, उनकी साधना को प्रणाम, पूर्व आश्रम के पिता ही सही पर पिता तो पिता ही होते हैं ना, यही तो कड़िया होती है जब व्यक्ति के चरित्र का दर्शन होता है और ऐसे में योगी जी ने अपने प्रदेश को और पूरे भारत को संदेश दिया हैं. लॉक डाउन का पालन करते हुए पिता के अंतिम संस्कार में ना आना यह देखने में तो बहुत छोटा लगता है परंतु बहुत गहरे संदेश जीवन में देता हैं, बस आज इसी की इस देश को आवश्यकता हैं, इदम् राष्ट्राय स्वाहा इदं नमम्. यही तो गुरु जी कहां करते थे आज गुरुजी के उन वचनों का 21 वीं शताब्दी के इस अलौकिक योगी और अद्भुत गुरु मैं दर्शन होता है पुनः प्रणाम. अपने राजधर्म का पालन करते हुए योगी जी ने एक आदर्श प्रस्तुत किया है, कैसे अद्भुत है हमारे योगी जी उन्हें प्रणाम, उनकी राष्ट्र भक्ति को प्रणाम. आज स्वामी जी चिदानन्द सरस्वती महाराज बिष्ट जी के अंतिम संस्कार में सम्मिलित हुये और उन्होंने निकट से बिष्ट परिवार की संवेदना को जाना और सभी का मनोबल बढ़ाया और सभी को शान्ति प्रदान करने की प्रभु से प्रार्थना की. स्वामी जी ने कहा कि परिवार से चर्चा के दौरान मेरा ध्यान योगी जी की साधना पर भी गया कि 10ः30 बजे उनकी प्रतिदिन की तरह बैठक शुरू होती है और उसी समय उन्हें यह संदेश मिलता है और वे कुछ क्षण मौन और शान्त रहकर पुनः बिना विचलित हुये अपने कर्तव्य को निभाते हुये बैठक को आगे बढ़ाया, वास्तव में अद्भुत साहस के धनी हैं हमारे योगी जी. योगी जी के पिताजी का जाना बिष्ट परिवार, उत्तराखण्ड और उत्तरप्रदेश के लिये अपूरणीय क्षति है. इस दुःख के समय में बिष्ट परिवार को ईश्वर आत्मबल, शक्ति और शान्ति प्रदान करें.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें