#देवभूमि का देवदूत रोशन रतूड़ी, आखिर कमलेश भट्ट का शव भारत दुबारा भिजवाया,ऋषिकेश में हुआ अंतिम संस्कार
ऋषिकेश : भारत पहुंचा आखिर कमलेश भट्ट का शव, आज ऋषिकेश में परिजनों ने अंतिम संस्कार किया. सोशल डिस्टेंस को ध्याम में रखते हुए अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार हो गया कमलेश भट्ट का, टिहरी गढ़वाल के रहने वाला युवा कमलेश भट्ट (25) जो दुबई में होटल में नौकरी करते थे.
कमलेश भट्ट
17 अप्रैल को ह्रदय गति रुकने से मौत हो गयी थी. लॉकडाउन के चलते सब कुछ बंद था. आर्थिक रूप से कमजोर कमलेश के परिजनों ने गुहार लगाई थी कि उनके बेटे को ऋषिकेश तक पहुंचाएं. दुबई से विमान के जरिये कमलेश और उसी के साथ पंजाब और केरल के अन्य दो लोगों के शव को भी दिल्ली लाया गया. कमलेश के परिजन शव लेने के लिए दिल्ली गए थे.कमलेश टिहरी गढ़वाल के सेमवाल गाँव के रहने वाले थे.
हॉस्पिटल से बाहर आते हुए रोशन रतूड़ी
ऐसे में उत्तराखंड के लाल सामाजिक कार्यकर्ता रोशन रतूड़ी ने कमलेश भट्ट के शव को भारत भिजवाया. लेकिन दिल्ली से शव वापस दुबई भेज दिया गया सरकार ने. बताया गया की लॉक डाउन के चलते ऐसा किया गया . ऐसे में सामाजिक कार्यकर्ता रोशन रतूड़ी ने बड़ी जद्दोजहद के बाद अपने खर्च पर कार्गो विमान से 23 अप्रैल को शव को भारत भिजवाया था लेकिन उस समय निराशा हाथ लगी कमलेश के परिजनों और दुबई में रोशन रतूड़ी को जब भारत सरकार ने शव को वापस दुबई भिजवा दिया दिल्ली एयरपोर्ट से. उसके बाद रोशन ने अपने पेज पर नाराजगी ब्यक्त की थी. वहीँ गरीब परिजनों पर दुःख का पहाड़ टूट पड़ा.
दुबई में कॉफिन के साथ रोशन रतूड़ी
क्योँकि अंतिम संस्कार भी नहीं कर पा रहे थे कमलेश का. परिवार काफी दुखी हो गया था, कल फिर से रोशन के बदौलत शव फिर से भारत भिजवाया गया. देर शाम दिल्ली कमलेश के परिजन जो दिल्ली गए थे शव लेने के लिए शव लेकर ऋषिकेश लाये. आज सुबह पूर्णानंद घाट पर कमलेश का अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया था. कमलेश के परिवार के ज्यादा लोग अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाये क्योँकि लॉकडाउन के चलते. लेकिन कहीं न कहीं देवभूमि के लाल को अपनी जमीन में गंगा किनारे मुक्ति मिली यही परिवार को संतुष्टि होगी.
भारत भेजते हुए कमलेश भट्ट के शव को रोशन रतूड़ी
दिल्ली एयरपोर्ट तक उत्तराखंड सरकार ने जो एम्बुलेंस भेजी थी उसी में शव को लाया गया ऋषिकेश. इस बीच कमलेश के परिजन दिल्ली हाईकोर्ट भी गए. हाईकोर्ट ने भारत सरकार को लताड़ भी लगाईं और इस मामले में स्थित स्पष्ट करने को कहा और हैरानी ब्यक्त की कोर्ट ने ऐसा क्योँ हुआ ? वहीँ कमलेश के परिजन देवभूमि के इस लाल रोशन रतूड़ी का धन्यवाद करते नहीं थक रहे हैं.
उनके लिए रोशन एक भगवान् से कम नहीं है. रोशन रतूड़ी एक नहीं बल्कि कई लोगों को भारत भिजवा चुके हैं. गल्फ देशों में भारत के नागरिक फंस जाते हैं किसी न किसी कारणवश ऐसे में मानवता के मद्देनजर देवभूमि उत्तराखंड का यह लाल रोशन रतूड़ी सामने आता है और अपना तन मन धन लगाकर उन लोगों को भारत जाने या भेजने में मदद करता है. इससे पहले भी देश भर के सैकड़ों लोगों को भारत भेज चुके हैं रोशन.
वहीँ उनका अपना काम है साथ में सामाजिक कार्य से भी जुड़े हैं. रोशन भारत के लोगों को कोई भी परेशानी होती है तो मदद करते हैं खुले दिल से. इससे पहले भी रोशन ने ऐसा करके मानवता की एक बड़ी मिशाल प्रस्तुत की है.
उनके लिए रोशन एक भगवान् से कम नहीं है. रोशन रतूड़ी एक नहीं बल्कि कई लोगों को भारत भिजवा चुके हैं. गल्फ देशों में भारत के नागरिक फंस जाते हैं किसी न किसी कारणवश ऐसे में मानवता के मद्देनजर देवभूमि उत्तराखंड का यह लाल रोशन रतूड़ी सामने आता है और अपना तन मन धन लगाकर उन लोगों को भारत जाने या भेजने में मदद करता है. इससे पहले भी देश भर के सैकड़ों लोगों को भारत भेज चुके हैं रोशन.
ऋषिकेश स्थित घाट पर किया गया अंतिम संस्कार
किसी के पास पैसे नहीं होते हैं, उनके लिए घर तक टिकट कर के मदद करते हैं. विदेशों में अपना कोई नहीं मिल पाता है तो रोशन दौड़े चले जाते हैं उसके पास. रोशन खाड़ी देशों में काफी वर्षों से रहते हैं.वहीँ उनका अपना काम है साथ में सामाजिक कार्य से भी जुड़े हैं. रोशन भारत के लोगों को कोई भी परेशानी होती है तो मदद करते हैं खुले दिल से. इससे पहले भी रोशन ने ऐसा करके मानवता की एक बड़ी मिशाल प्रस्तुत की है.
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