डिटेंशन सेण्टर बना कर मानवता के शत्रुओं को मरने के लिए छोड़ देना चाहिए:यति माँ चेतनानंद सरस्वती
जमातियों ने अपने शरीर वायरस को सौंप दिया:यति माँ चेतनानंद सरस्वती
यह एक तरह का देश के खिलाफ जिहाद है:यति माँ चेतनानंद सरस्वती
यति माँ चेतनानंद सरस्वती,हिन्दू धर्म गुरु
दिल्ली : दिल्ली मरकज से सामने आये जमातियों के खिलाफ हिन्दू धर्म गुरु भी सामने आने लग गए हैं. दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी मरकज का मामला सामने आने के बाद से पूरे देश में हड़कंप मच गया है. जगह-जगह अब कोरोना संक्रमित मरीज मिल रहे हैं उनका सम्बन्ध जांच के बाद कहीं न कहीं दिल्ली मरकज से जुड़ रह है. ऐसे में डासना स्थित श्री प्रचंड चंडीदेवी मंदिर की महंत यति माँ चेतनानंद सरस्वती ने जमातियों के खिलाफ हमला बोल दिया है. देश में महिलाओं के खिलाफ हो लोव जिहाद के मामले हों या किसी भी तरह के अन्य अपराध के विरुद्ध वे आवाज उठाने वाली प्रमुख शख्सियत रहीं हैं. उनका कहना है " आज जब विश्व महामारी से जूझ रहा है विश्व के समृद्ध देश इस महामारी के आगे हार गए है वहीं भारत कुशल नेतृत्व में महामारी को परास्त कर विजय की और बढ़ने का प्रयत्न कर रहा है.परंतु अचानक तबलीगी जमात ने देश के जनमानस व सरकार के समक्ष दोहरी चुनौती खड़ी कर दी है. एक तरफ प्रशासनिक तंत्र,चिकित्सक, नर्स,मीडिया कर्मी,सफाई कर्मी अपने प्राणों की चिंता किए बिना हर संभव प्रयास कर रहे है कि देश को सुरक्षित रख सकें और एक तरफ मरकज से निकले जमातियों हैं जो हर संभव प्रयास कर रहा है इस संक्रमण को अधिक से अधिक फैला कर देश को अस्थिर अवस्था मे ला कर खड़ा करने की."
यति माँ चेतनानंद सरस्वती ने कहा "जैसे प्रशासनिक तंत्र पर हमला, नर्सिंग स्टाफ से अश्लीलता,मांसाहारी भोजन की मांग को लेकर हंगामा, उन पर थूकना,खाँसना हमला बोलना. यह संकेत बहुत स्पष्ट हैं कि जेहादियों की मंशा किसी भी कीमत पर देश को गृह युद्ध की स्थिति में धकेलना ही है. जो लोग लॉकडाउन को गम्भीरता से पालन कर रहे हैं यह घटनाएं धीरे-धीरे उनमें असंतोष का भाव उतपन्न कर रही हैं. ये जाहिल नहीं हैं. कुछ लोग इनको जाहिल करार दे रहे हैं. जाहिल वह होता है जो शिक्षित नहीं होता है. ये तो शातिर हैं. इनका उद्देश्य है. इनका ब्रेनवाश किया गया है. समाज, देश को खतरे में डालने में लगे हुए हैं."
यति माँ चेतनानंद सरस्वती ने बताया, हमारे यहाँ एक प्रचलित नीति है जिसको विदुर नीति कहा जाता है "शठे शाठ्यम समाचरेत." अर्थात दुष्ट से दुष्टता के व्यवहार से ही निपटा जा सकता है.जमातियों को न् मौत का डर है और न् ही प्रशासनिक कार्यवाही की चिंता,न् ही उन लोगों के प्रति कोई कृतज्ञता जो उनके इलाज में लगे हैं. सम्वेदनविहीन,मानवता के शत्रुओं से किसी भी कीमत पर मित्रता का व्यवहार कष्टकारी ही साबित होगा. आज अपने शरीर को Object के रूप में प्रयोग कर Corona Virus को अपना शरीर उपलब्ध कराने वाले यह जमाती देश के खिलाफ जिहाद छेड़े हुए हैं. इस महामारी से लड़ने में लगे तंत्र व सरकार की हर योजना को विफल करने में लगें यह जिहादी इस समय एक बड़ी चुनौती बन गए हैं.आज आवश्यकता है इन जिहादियों को एकत्रित कर एक स्थान पर Detention Center बना कर इनको इनके हाल पर छोड़ देने की आवश्यकता है. अन्यथा मानवता के शत्रुओं से संवेदना देश के लिए बड़ा खतरा साबित होगी.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें