#हल्द्वानी: 21 मार्च से देशभर में लॉक डाउन होने की वजह से इंसानी गतिविधियों में एक तरह से रोक लग गई है. सब कुछ बन्द है. इंसानी गतिबिधियाँ कम हुई तो इन जंगली जानवरों,पशु पक्षियों के लिए भी मुश्किलात पैदा हो गयी हैं. ऐसे में आम जन के साथ-साथ इन जंगली जानवरों व् पशु पक्षियों लिए भी हल्द्वानी नगर निगम आगे आया है. हल्द्वानी जैसा कि कुमाऊं मंडल का गेट कहा जाता है ऐसे में हर कोई हल्द्वानी आता है पर्वतीय इलाकों से. हल्द्वानी-काठगोदाम से पहाड़ शुरू हो जाते हैं. लिहाजा सामने पहाड़ों से आवारा पशु, चील गिद्धों,पक्षियों का एक तरह से हल्द्वानी दूसरे घर की तरह है. क्योँकि जहाँ इंसानी बसावट होती है वहां पर पशु पक्षी का आना स्वाभाविक है. कुछ न कुछ खाने के लिए, चुगने के लिए. फिर वे अपने जंगलों की तरफ चल देते हैं. लॉक डाउन ने एक तरह से बायोडायवर्सिटी पर भी कहीं न कहीं प्रभाव डाला है. यही वजह है कि आवारा जानवर हो या पशु-पक्षी लॉक डाउन के बाद चारा न मिलने की वजह से भूख से बिलबिला रहे हैं. जिसको देखते हुए अब हल्द्वानी का नगर निगम और पशुपालन विभाग द्वारा आवारा कुत्तों, पशुओं और मवेशियों सहित पशु पक्षियों के लिए लॉक डाउन में चारे की व्यवस्था में जुटा है.
इसी के चलते #कुमाऊं के सबसे बड़े हल्द्वानी #नगर-निगम ने चील गिद्ध और जंगली कौवा के लिए नगर निगम की छत पर सप्ताह में 2 दिन चिकन रखना शुरू कर दिया है. इंसान के साथ-साथ इन चील कौवों से भी प्रकर्ति का चक्र चलता है. हम इनको नकार नहीं सकते. लिहाजा इनके लिए कुछ कर पाना इंसान द्वारा हो रहा है तो काबिले तारीफ है. यह चील और गिद्ध अब नगर निगम की बिल्डिंग के चारों तरफ घूमते दिखाई दे रहे हैं और अब तक कूड़े या कचरे में अपने लिए चारा ढूंढ रहे थे. वहीँ चील और गिद्ध आजकल अब नगर निगम की छत पर चिकन खा रहे हैं. क्योँकि नगर निगम ने इनके लिए खाने का प्रबंध किया है.
इसी के चलते #कुमाऊं के सबसे बड़े हल्द्वानी #नगर-निगम ने चील गिद्ध और जंगली कौवा के लिए नगर निगम की छत पर सप्ताह में 2 दिन चिकन रखना शुरू कर दिया है. इंसान के साथ-साथ इन चील कौवों से भी प्रकर्ति का चक्र चलता है. हम इनको नकार नहीं सकते. लिहाजा इनके लिए कुछ कर पाना इंसान द्वारा हो रहा है तो काबिले तारीफ है. यह चील और गिद्ध अब नगर निगम की बिल्डिंग के चारों तरफ घूमते दिखाई दे रहे हैं और अब तक कूड़े या कचरे में अपने लिए चारा ढूंढ रहे थे. वहीँ चील और गिद्ध आजकल अब नगर निगम की छत पर चिकन खा रहे हैं. क्योँकि नगर निगम ने इनके लिए खाने का प्रबंध किया है.
डॉ. जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला, मेयर, हल्द्वानी
हल्द्वानी के मेयर #डॉ जोगेंद्र पाल सिंह #रौतेला ने बताया "18 लाख रुपये जिला प्रशासन ने नैनीताल जिले के लिए दिए गए हैं. यह बजट चीफ मॉनिटरिंग ऑफिसर को जारी किया गया. हल्द्वानी नगर निगम मॉनिटर कर रहा है इसको. पशु पक्षियों को खाने की कमी न हो, जानवरों को दिक्कत न हो लॉक डाउन के दौरान. एक पॉइंट हमारा नगर निगम के छत को भी बनाया है जो चीलों के लिए खाने के लिए. अन्य जानवर जैसे कुत्ता, सांड, गाय,कबूतर को वगैरह को भी पशु आहार दिया जा रहा है सम्बंधित जगहों पर. पशु आहार जो दिया जा रहा है पशुपालन बिभाग द्वारा चेक कर के दिया जा रहा है पशु चिकित्सकों के द्वारा. रौतेला ने बताया कि ये जानवर, पशु-पक्षी बहुत आवश्यक है हमारे पर्यावरण के लिए.
चील, गिद्ध, कबूतर, कुत्ते इत्यादि सभी को खाना मिले हमारी कोशिश है. क्योँकि यह हमारे बायोडायबर्सिटी का एक हिस्सा है. इस लिए ख़ास ध्यान दिया गया है इस पर. आम लोगों के लिए शहर में राशन का संकट न हो उसके लिए काम कर रहे हैं हम लगातार. जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उनके लिए भी राशन की ब्यौवस्था कर रहे हैं. मोदी रसोई, कुछ सामाजिक संगठन हैं उनके साथ मिल कर नगर निगम नजर रखे हुए हैं और उसी अनुसार प्रबंध कर रहा है ताकि खाद्यान का संकट न हो.4 लोगों को पका हुआ भोजन देने की अनुमति भी दी गयी है. बाकि को तो नहीं दिया गया हैं, क्योँकि पका हुआ भोजन है, हाइजीनिक के लिहाज से ध्यान रखना पड़ता है. लोगों को अच्छा भोजन मिले हम चाहते हैं. फ्लोरा और फौना का भी ध्यान रख रखे रहे हैं."
चील, गिद्ध, कबूतर, कुत्ते इत्यादि सभी को खाना मिले हमारी कोशिश है. क्योँकि यह हमारे बायोडायबर्सिटी का एक हिस्सा है. इस लिए ख़ास ध्यान दिया गया है इस पर. आम लोगों के लिए शहर में राशन का संकट न हो उसके लिए काम कर रहे हैं हम लगातार. जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उनके लिए भी राशन की ब्यौवस्था कर रहे हैं. मोदी रसोई, कुछ सामाजिक संगठन हैं उनके साथ मिल कर नगर निगम नजर रखे हुए हैं और उसी अनुसार प्रबंध कर रहा है ताकि खाद्यान का संकट न हो.4 लोगों को पका हुआ भोजन देने की अनुमति भी दी गयी है. बाकि को तो नहीं दिया गया हैं, क्योँकि पका हुआ भोजन है, हाइजीनिक के लिहाज से ध्यान रखना पड़ता है. लोगों को अच्छा भोजन मिले हम चाहते हैं. फ्लोरा और फौना का भी ध्यान रख रखे रहे हैं."
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें