शनिवार, 19 सितंबर 2009

चीन की दुस्साहस ...........

'हिन्दी चीनी भाई भाई 'शायद ये शब्द हर किसी भारतीय ने सुने होंगे....लेकिंग समय के साथ ये अब 'हिन्दी चीनी बाय बाय 'ज्यादा प्रतीत हो रहे हैं...अभी हाल में चीन ने जो कदम उठाये और जिस तरीके से वह कम कर रहा है वह अपने अपने आप में आने वाले समय के लिए कूतिनितिक और रणनीतिक आधार पर खतरनाक हो सकते हैं...चीन ने नेहरू जी को बेवकूप बना कर यह नारा दिया और पीछे से हमले की तयारी कर डाली...वही दूसरी तरह चीन का इतिहास देखा जाए तो उसने हमेशा से विश्व में ऐसे देश को मदद दी है जो साम्यवाद का समर्थन करता हो ..दक्षिण कोरिया, लीबिया ,पक्सितन जैसे कई देश हैं जिन्हें चीन ने पुरी तरह से समर्थन दिया और उस इलाके में एक तरह से हालात को उथल पुथल बनाने में अपनी और से कोई कसं नही छोड़ राखी है....खैर भारत के नजरिये से देखे तो अपने आप में यह कोई नही बात नही है...कूतिनितिक स्तरपर देखे तो हमेसा से चीन ने मतलब परस्ती दिखाई है..और भारत के ख़िलाफ़ रहा है...अभी हाल ही में चीन में जो स्वेट पत्र जरी हुआ है और उसमे भारत के टुकड़े करने का अंदेशा जो सामने आया है वो आने वाला समय में बहुत घटक हो सकता है और भारत को इस बारे में जल्द सोचना होगा...सरकार चाहे जितना कह ले , मामला टालने की कोशिश कर लेकिन हकीकत से मुह नही मोडा जा सकता है .....सरकारी अधिकार्यौं की बयान बजी एक तरफ़ और वह क्या पाक रहा है वो एक तरफ़....लद्दाख,अरुणाचल,सिक्किम,उत्तरखंड,हिमांचल सभी जगह उथल पुथल सी स्थित हो रखी है...सेना हो या गुप्त चार बिभाग सभी गुपचुप तरीके से दौरे करने में लगे हुए हैं..और होना भी चैये लेकिन देश की जनता को सब कुछ पता होना चाहिए....अभी तक हम पाकिस्तान से परेशान थे और अब चीन खुले तौर पर अपनी हरकत से दक्षिण एशिया में अशांति फैलाने में कोई कसार नही छोड़ रहा है....पाकिस्तान को परमाणु शक्ति बनाने में मदद और यूध पोत दे कर वो अपनी मंशा ज़ाहिर कर भी चुका है.....भारत को अन्तार्रस्त्रिये मंच पर चीन हरकत का खुले तौर पर जवाब और परिचय देना चाइये....न की दबे जुबां से कारवाही करनी चाइये...

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