शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

खेतों में ऐसे कीटनाशक डालेंगे तो कहाँ से स्वस्थ रहेगा इंसान ?

खेतों में ऐसे कीटनाशक डालेंगे तो कहाँ से स्वस्थ रहेगा इंसान ? 
भारत में कीटनाशकों में 59 फीसदी कीट्नाशक अत्यधिक हानिकारक की श्रेणी में :रिपोर्ट-

दिल्ली : (मनोज रौतेला) भारत एक कृषि प्रधान देश है. देश में कृषि ही प्रमुख आधार है लोगों की आजीविका का. यहाँ कोई न कोई किसी न किसी रूप में खेती से जुड़ा हुआ है. सब मानते हैं किसान खुश हैं तो देश खुश रहेगा. सरकारें नीतियां बनाती हैं किसानों के लिए लेकिन खेतों में ही कीटनाशकों की मात्रा इतनी ज्यादा कर दी गयी है तो कहाँ से फसल अच्छी होगी ? दुर्भाग्य से स्वास्थ्य की चिंता किसे हैं ? जी हैं यही सच है. अभी भारत में इन प्रमुख कम्पनियों द्वारा बेचे गए कुल कीटनाशकों में अत्यधिक हानिकारक कीटनाशकों (HHP) का हिस्सा करीब 59 फीसदी था जबकि इन्ही कंपनियों ने  ब्रिटेन में सिर्फ 11 फीसदी एचएचपी की बिक्री की थी.  ये हैं दुनिया की पांच सबसे बड़ी कीटनाशक बनने वाली कम्पनियां. ये केमिकल इंसानों में कैंसर और उनकी प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इन एग्रोकेमिकल दिग्गजों में-
बीएएसएफ, 
बेयर , 
कोर्टेवा, 
एफएमसी और 
सिन्जेंटा शामिल हैं। 

ये कम्पनियाँ अपनी आय का करीब एक तिहाई हिस्सा हानिकारक कीटनाशकों को बेच कर कमाती हैं. ने केवल ये केमिकल इंसान के लिए बल्कि  पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हैं लेकिन कोई ध्यान देने वाला नहीं है. सबको मुनाफ़ा कमाना है. बाकी जानकारी के अभाव में ये कंपनियां फायदा उठा रही हैं. ऐसे में सरकार को तुरंत चौकन्ना होने की और इस पर कार्रवाई करने की जरुरत है. चौंका देने वाला सच दो प्रमुख गैर लाभकारी संस्था अनअर्थड एंड पब्लिक आई द्वारा की गयी संयुक्त जांच में सामने आया है. अध्ययन के अनुसार यह कम्पनियां अपने अत्यधिक हानिकारक कीटनाशकों (एचएचपी) को अधिकतर भारत जैसे विकासशील देशों में बेच रही हैं. रिपोर्ट के अनुसार जहां भारत में इन कम्पनियों द्वारा बेचे गए कुल कीटनाशकों में एचएचपी का हिस्सा करीब 59 फीसदी था जबकि उन्होंने  ब्रिटेन में सिर्फ 11 फीसदी एचएचपी की बिक्री की थी.
यह रिसर्च 2018 के टॉप-सेलिंग क्रॉप प्रोटेक्शन प्रोडक्ट्स के विशाल डेटाबेस के विश्लेषण पर आधारित है. जिसमें उन्होंने इन कंपनियों द्वारा 43 प्रमुख देशों में बेचे जाने वाले कीटनाशकों का विश्लेषण किया है.जिससे पता चला है कि दुनिया की प्रमुख एग्रोकेमिकल कंपनियों ने अपनी बिक्री का 36 फीसदी हिस्सा अत्याधिक हानिकारक कीटनाशकों को बेच कर कमाया है. सबसे अहम बात यह निकल कर आयी है रिपोर्ट के बाद कि इन कंपनियों ने वर्ष 2018 में करीब 34,000 करोड़ रुपये के हानिकारक कीटनाशकों की बिक्री की है. यह हानिकारक कीटनाशक इंसानों के अलावा यह जानवरों और इकोसिस्टम पर भी बुरा प्रभाव डालते हैं. यह सभी केमिकल इंडस्ट्री के प्रभावशाली समूह क्रॉपलाइफ इंटरनेशनल का हिस्सा हैं. भारत में इन कंपनियों के केमिकल्स हानिकारक-अध्ययन के अनुसार इनके द्वारा बेचे जाने वाले कुछ कीटनाशक यूरोपीय बाजारों में प्रतिबंधित हैं क्योंकि वो इंसानों और मधुमक्खियों पर बुरा असर डालते हैं.  लेकिन विकासशील देशों में लचर कानूनों और सरकारों की उदासीनता के चलते यह कंपनियां आराम से अपने केमिकल्स को बेच  रही हैं. यही वजह है कि भारत और साउथ अफ्रीका, अर्जेंटीना, जापान और ब्राज़ील, जैसे देशों में इनको बेच दिया जाता है.  अनुमान है कि भारत में इनके द्वारा बेचे जाने वाले कुल कीटनाशकों में 59 फीसदी कीट्नाशक अत्यधिक हानिकारक की श्रेणी में आते हैं जबकि ब्राज़ील में 49 फीसदी, चीन में 31 फीसदी, थाईलैंड में 49, अर्जेंटीना में 47 और वियतनाम में 44 फीसदी अत्यधिक हानिकारक श्रेणी के कीटनाशक बेचे जाते हैं.आप अंदाजा लगा सकते हैं कैसा बिमारी रहित समाज विकसित होगा इन देशों में. जबकि विकसित और विकासशील देशों के बीच तुलनात्मक रूप से देखें तो इन कंपनियों द्वारा विकासशील देशों में करीब 45 फीसदी अत्यधिक हानिकारक कीटनाशकों की बिक्री की थी.जबकि विकसित देशों में करीब 27 फीसदी एचएचपी की बिक्री की थी . इस विश्लेषण के अनुसार इन पांच कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाले करीब 25 फीसदी कीटनाशक इंसान के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं. 10 फीसदी मधुमखियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं जबकि इनमे से 4 फीसदी इंसानों के लिए अत्यंत जहरीले होते हैं.गौरतलब है कि WHO और FAO द्वारा HHP को अत्यधिक हानिकारक कीटनाशकों के रूप में परिभाषित किया है .  जिसमें पर्यावरणीय खतरों में जल स्रोतों के प्रदूषण, परागण में आने वाली दिक्कतों और पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले असर जैसी समस्याओं को शामिल किया है.  इस खतरे से निपटने के लिए डब्ल्यूएचओ और एफएओ ने न केवल कठोर नियमों की आवश्यकता पर बल दिया है बल्कि उसके क्रियान्वयन पर भी जोर दिया है लेकिन कौन सुने ?

हमारे देश में भी हानिकारक कीटनाशक एक बड़ी समस्या हैं. इसलिए भारत सबको बड़ा बाजार दिखता है. सब कि लार भारत के बाजार को देख कर टपकने लगती है यही वजह है कि कैसे भी हो भारतीय बाजार में अपने माल को कम्पनियाँ खपाना चाहती हैं और मुनाफ़ा कमानी चाहती है.  2018 में भारत का कीटनाशक बाजार 19,700 करोड़ रुपये आंका गया था जिसके 2024 तक बढ़कर 31,600 करोड़ रुपये का हो जाने का अनुमान लगाया जा रहा है. ऐसे में इन हानिकारक कीटनाशकों की बिक्री एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. जिससे जल्द निपटने की जरुरत है नहीं तो बहुत देर हो जाएगी.  इसलिए आगामी कीटनाशक प्रबंधन विधेयक 2020 अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत में कृषि काफी हद तक इन कीटनाशकों पर ही निर्भर है, जिसमें बड़ी मात्रा में ऐसे कीटनाशक शामिल हैं जिनका अत्यधिक उपयोग और दुरुपयोग मनुष्यों, जानवरों, जैव-विविधता और पर्यावरण के स्वास्थ्य पर भारी असर डाल रहा है. रोज नयी नयी बीमारियों देखने को मिल रही हैं. स्वस्थ इंसान भी कभी-कभी अचनाक घातक बीमारियों की गिरफ्त में आ जाता है. जब तक बिमारी का पता चलता है तब तक बहुत देर हो जाती है. ऐसे में इन हानिकारक कीटनाशकों के उपयोग पर लगाम कसना जरुरी है. इसके साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा देना एक अच्छा विकल्प हो सकता है. भारत सर्कार को जैविक खेती को अधिक से अधिक बढ़ावा देने की जरुरत है . इन कीटनाशकों को बनाने वाली कंपनियों के लिए शख्त नियम और कानून बनाने की जरुरत है. पंत नगर कृषि  विश्वविद्यालय के स्कॉलर रहे और वर्तमान में भगवान सिंह यूनिवर्सिटी देहरादून में सहायक प्रोफ़ेसर डा अनिल पंवार ने इस पर चिंता जताई है. साथ ही इसको बहुत ही खतरनाक बताया इंसानों के लिए जिस तरह से कीटनाशक कम्पनियाँ देश में आपूर्ति कर रही हैं. साथ ही सरकार से इस मामले में कठोर नियम कानून बनाने की मांग की है.

गुरुवार, 20 फ़रवरी 2020

उत्तराखण्ड पहुंची पहली बार टीम आरजेएस पॉजिटिव मीडिया-

उत्तराखण्ड पहुंची पहली बार टीम आरजेएस पॉजिटिव मीडिया-
हरिद्वार : कहते  हैं न  कुछ  कर  गुजरने  का  मादा  हो  तो सब  कुछ  हो  जाता  है उसी कड़ी  में यह  बैठक आज थी हर नगरी हरिद्वार में. गंगा जी के पास सरहरी हवा के साथ दिल और दिमाग सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर था. एक तरफ हवा थी, माहौल था, सकारात्मक सोच थी दूसरी तरफ पहाड़ी ब्यंजन थे और इससे जुड़े पंकज अग्रवाल थे. जो एक शानदार मेहमान नवाज, उत्तराखण्ड की संस्कृति के अच्छे जानकार, लजीज पहाड़ के  खाने  के एक्सपर्ट थे. जब ये सारा मिला तो लोगों को प्यार मिला. लोगों ने एक दूसरे के बारे में जाना.  या यूँ कहिये, जहाँ मिजाज था, उत्सुकता थी, मिशन था और एक अपनापन था --

जहाँ पर श्रृंगार देखने को मिला पहाड़ का, जहाँ पर पहाड़ की यादें ताजा हुई..जहाँ पर एक लुप्त होती संस्कृति दिखी उन लकड़ी के खम्बों के मारफत जो पहाड़ के घरों की कभी शान हुआ करती थी. क्योँकि देवभूमि रसोई\होटल/रेस्टोरेंट में दिल्ली से आयी टीम आरजेएस के प्रतिनिधियों के साथ बैठक जो हुई. आज 25 राज्यों की टीम आरजेएस उत्तराखण्ड  से हुई रुबरु..राज्य की लोकसंस्कृति व पहाड़ी खाना का किया समर्थन. देवभूमि रसोई  हरिद्वार में हुई आरजेएस की 128 वीं सकारात्मक ‌ बैठक थी. इस दौरान अल्मोड़ा के वरिष्ठ रंगकर्मी स्वर्गीय मोहन उप्रेति व उनकी पत्नी  स्वर्गीय नईमा खान उप्रेति और लोक कवि व गायक चंद्र सिंह राही को दी गई श्रद्धांजलि.


देश के 25 राज्यों में सकारात्मक भारत आंदोलन चला रही टीम आरजेएस का प्रतिनिधिमंडल में पत्रकार मनोजीत सिंह (स्वयं), राजेंद्र सिंह यादव,प्रखर वार्ष्णेय ,प्रांजल श्रीवास्तव राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना के नेतृत्व में आज 20फरवरी 2020को आरजेएस फैमिली से जुड़े देवभूमि रसोई के पंकज अग्रवाल के निमंत्रण पर पहुंचा हरिद्वार ।पतंजलि योगपीठ फेज-वन के सामने देव भूमि रसोई हरिद्वार से दिल्ली जाते हुए फ्लाईओवर के नीचे है और ठीक पटनाजलि फैज-I  गेट के सामने है. पतंजलि के दो  गेट हैं . दिल्ली से हरिद्वार आते हुए जो पड़ता है वह फेज -I  गेट है ठीक उसी के सामने देवभूमि रसोई है...और हरिद्वार से जाते समय देवभूमि रसोई से थोड़ा आगे जाते हुए फेज- II का गेट  है. बैठक में आरजेएस की 128वीं सकारात्मक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें हरिद्वार प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश शर्मा और हरिद्वार के 30  से ज्यादा पत्रकार साथियों से टीम आरजेएस रूबरू हुई और सकारात्मक पत्रकारिता पर चर्चा हुई। बैठक में वरिष्ठ रंगकर्मी मोहन उप्रेति व नईमा खान उप्रेति और‌ लोक कवि और गायक चंद्र सिंह राही को श्रद्धांजलि देकर उनके बारे में चर्चा की गई।  बैठक के आयोजक देवभूमि रसोई के पंकज अग्रवाल ने आमंत्रित सभी पत्रकारों और समाज सेवियों का  स्वागत करते हुए कहा कि देवभूमि रसोई यानी पहाड़ी खाना दुनिया के सामने आना चाहिए। पहाड़ी संस्कृति को सबसे पहले उत्तराखंड निवासी अपने दिल में उतारें और कहीं न कहीं लुप्त होती संस्कृति और सुप्त होते हमारे विचार, जिनके लिए वाकई राज्य का गठन हुआ था उसे पुनर्जीवित किया जाए।



आरजेएस के समर्थन पर पंकज अग्रवाल ने खुशी जताई। उन्होंने कहा कि 25 राज्यों की आरजेएस फैमिली व पाॅजिटिव मीडिया का प्रतिनिधि मंडल उत्तराखंड की संस्कृति व व्यंजन को देश भर में समर्थन दिलाने की सकारात्मक सोच के साथ उत्तराखंड सप्ताह यात्रा कर रह है ।यह उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है। श्री अग्रवाल ने कहा कि  उत्तराखंड का भोजन सबसे सादा और  एक ही मसाले ,एक ही तेल में बनने वाला पहाड़ी व्यंजन है ।यदि हम तराई क्षेत्रों में पलायन कर भी गए हैं ,तब भी अपने अपने  क्षेत्रों में उत्तराखंड की संस्कृति और पहाड़ी खाना को जिंदा रख सकते हैं। देवभूमि रसोई  की शुरुआत इसी मंतव्य से की गई है कि उत्तराखंड आनेवाले ‌ पर्यटकों को पहाड़ी संस्कृति से रूबरू कराया जा सके। पर्यटकों को पहाड़ी खाना में मंडुवे की आटे में गहद भरी हुई भरया रोटी , पहाड़ी मट्ठा jise इस क्षेत्र में  पल्लड़ , पहाड़ी झंगोरे का दलिया/खीर आदि बनाए जा सकते हैं।मिष्ठान में बाल मिठाई,मीठू बात,खोई पेड़ा और लोई‌ पेड़ा , सिंगौड़ी आदि प्रमुख पसंदीदा व्यंजन हैं जिन्हें सर्व सुलभ किया जा सकता है। आरजेएस‌ के राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने कहा कि अन्य राज्यों की संस्कृति की तरह पहली बार आरजेएस फैमिली और पॉजिटिव मीडिया ने उत्तराखंड संस्कृति व व्यंजन को समर्थन देने‌के लिए 19 फरवरी से 25 फरवरी तक यात्रा कर समर्थन दिया। हरिद्वार, देहरादून, मंसूरी, रोतुली की बेली ,धनौल्टी, टिहरी , ऋषिकेश आदि क्षेत्रों में भी टीम जाएगी और रूबरू होगी.


बैठक में स्थानीय पत्रकारों और राजेंद्र सैनी व अश्विनी सैनी का सहयोग सराहनीय रहा। बैठक के अंत में प्रतिभागियों ने देवभूमि रसोई में लजीज पहाड़ी खाना का  स्वाद लिया। देवभूमि रसोई की जितनी तारीफ की जाए कम है क्योँकि पंकज अग्रवाल जिस तरीके से और जिस साहस जूनून और तन्मयता से लगे हुए हैं ऐसे लोग समाज के लिए रत्न हैं. इनकी जितनी तारीफ की जाए कम है. अगर आपको पहाड़ के ब्यंजन का लुत्फ़ उठाना है तो देवभूमि रसोई एक बार जाइये आपको निराश नहीं होना पड़ेगा बल्कि ख़ुशी होगी. जहाँ पारम्परिक तरीके से आपको खाना खिलाया जायेगा. पहाड़ की आपको याद आ जाएगी.
अगर ये पंक्ति कहूं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.....

"जिन्नै "देवभूमि रसोई' (हरिद्वार) नहीं वेख्या ओ जन्म्या ई नईं" 
यानी अगर किसी ने देवभूमि रसोई (हरिद्वार) नहीं देखी तो बिल्कुल ऐसा ही जैसे उसका जन्म ही ना हुआ...


आखिर में ....दो पंक्तियाँ उछाल कर छोड़ देते हैं . ...पढ़िए -
हम ख़ुद तलाशते हैं ..मंज़िल की राहों को,
हम वो नहीं हैं जिनकों ....ज़माना बना गया।।

मंगलवार, 18 फ़रवरी 2020

उत्तराखण्ड का प्रसिद्द 'घस्यारी नृत्य' देखेंगे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पत्नी मेलानिया संग-

उत्तराखण्ड का प्रसिद्द 'घस्यारी नृत्य' देखेंगे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पत्नी मेलानिया संग-
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ऋषिकेश : 24 फ़रवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पत्नी मेलानिया के साथ दो दिन के भारत दौरे पर आ रहे हैं. ट्रम्प सीधे अहमदाबाद जाएंगे वहां पर प्रधानमंत्री मोदी के अलावा लगभग 1 लाख से ज्यादा लोग कार्यक्रम में शिरकत करेंगे.ट्रम्प के सामने भारत के अलग-अलग हिस्सों से लोक कलाकार अपना रंगारंग कार्यक्रम पेश करेंगे. उसी कड़ी में उत्तराखण्ड से भी महिला प्रधान 'घस्यारी नृत्य' का मंचन होगा. देवभूमि उत्तराखण्ड के लिए यह गौरव की बात है. इस मंचन से उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति में और चार चाँद लगेंगे. विश्व में लोग जानेंगे और  उनको  एक अवसर मिलेगा देवभूमि की लोक संस्कृति को अधिक से अधिक जानने  का . इसके लिए उत्तराखंड से 8 सदस्यीय दल को भारत सरकार की संस्कृति मंत्रालय की ओर से निमंत्रण मिला है. उत्तराखण्ड के प्रसिद्द लोक कलाकार नत्थीलाल नौटियाल के नेतृतव्  और निर्देशन में यह कार्यक्रम का मंचन होगा. 

ऐसा रहेगा  ट्रम्प की यात्रा का कार्यक्रम-  


ट्रम्प पहली बार भारत यात्रा पर आ रहे हैं उनके साथ उनकी पत्नी मेलानिया ट्रम्प भी रहेंगी.अहमदाबाद में उनका 22 किमी का रोड शो भी होना है. ट्रंप को इस यात्रा के दौरान भारतीय संस्कृति की झलक दिखाने की योजना भी संस्कृति मंत्रालय ने बनाई है इसी कड़ी में उत्तराखण्ड से यह दल भी जा रहा है अहमदाबाद. इसके लिए तीन पर्वतीय राज्यों को चुना गया है. तीन राज्य हैं उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश व मणिपुर शामिल हैं. उत्तराखंड को भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की तरफ से घस्यारी लोक नृत्य की प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित किया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 24 और 25 फरवरी को अहमदाबाद और नई दिल्ली की यात्रा पर आएंगे. मोदी-ट्रम्प 24 फरवरी को रोड शो करेंगे, साबरमती आश्रम में महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देंगे. 25 फरवरी को ट्रम्प और उनकी पत्नी दिल्ली पहुंचेंगे और प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करेंगे. अहमादाबाद में ट्रम्प सरदार पटेल स्टेडियम का उद्घाटन भी करेंगे. ‘केम छो ट्रम्प’ कार्यक्रम अहमदाबाद में नवनिर्मित सरदार पटेल स्टेडियम में होगा. इसमें ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड से भी ज्यादा 1 लाख 10 हजार लोगों के बैठने की क्षमता है.यह विश्व का सबसे बड़ा क्रिकेट ग्राउंड है. ट्रम्प इस स्टेडियम का उद्घाटन करेंगे. इस कार्यक्रम में एक लाख से ज्यादा लोग मौजूद रहेंगे. केम छो कार्यक्रम से पहले मोदी और ट्रम्प रोड शो करेंगे और साबरमती आश्रम में महात्मा गांधी को श्रद्धाजलि देने पहुंचेंगे. मेलानिया ने ट्वीट भी किया है यात्रा के सम्बन्ध में.
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घस्यारी का मतलब -
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घस्यारी का मतलब घास काटने वाली महिला. महिलायें पर्वतीय क्षेत्र में जंगलों में अपने पालतू जानवरो के लिए घास काटने जाती हैं और आपस में एक दूसरे से हंसी मजाक, चर्चा  अपने जीवन की बातें नाच-गाने के रूप में करती हैं और अपनी कठिन जीवन शैली को सरल बनाती हैं मनोरंजन के माध्यम से. यही घस्यारी नृत्य के माध्यम से दिखाया जायेगा. महिलाओं के पीठ पर कंडी या डोका या टोकरी होती है और हाथ में दराती घास काटने के लिए. कंडी रिंगाल की बनी होती है जिसमें घास काट कर डाली जाती है. इसको उत्तराखण्ड का प्रमुख महिला प्रधान नृत्य कहा जाता है इसमें लगातार महिलायें गाने गा कर और और नृत्य कर प्रस्तुति  देती  हैं. 

कौन हैं नत्थी लाल नौटियाल -
हमसे बात करते हुए नौटियाल ने अपने संघर्ष के बारे में काफी कुछ बताया. वे काफी मजे हुए कला प्रेमी हैं. लोक कला और संस्कृति के अच्छे  जानकार हैं. भागीरथी कला संगम समिति के संस्थापक एवं लोक कलाकार नत्थीलाल नौटियाल देश विदेशों में पिछले 40 वर्षों से लोक कला को संरक्षण और प्रस्तुति का काम करते आ रहे हैं. वे नृत्य और गायन के कुशल कलाकार हैं. शुरुवाती दौर पर अध्यापन करते थे. लेकिन कला संस्कृति में विशेष रूचि होने की वजह से  वे इससे जुड़ गए. नौटियाल के निर्देशन में 8-सदस्यीय दल घस्यारी लोक नृत्य की प्रस्तुति देने अहमदाबाद जा रहा है. राजपथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में वर्ष 1995, 1998, 2007, 2009, 2000, 2014, 2017 व 2018 में उन्होंने घस्यारी नृत्य की प्रस्तुति दी. दिल्ली में वर्ष 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स के उद्घाटन पर भी यह नृत्य प्रस्तुत किया गया था. 1991 में चेन्नई में पोंगल से मंचन प्रस्तुति शुरू करने वाले नौटियाल अब तक देश विदेश में सैकड़ों कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुके हैं.जिनमें पूर्व रास्ट्रपति डॉक्टर एपीजी अब्दुल कलाम भी हैं अटल बिहारी बाजपेई भी हैं. इस  दल  में लोक कलाकार दीपिका पंत, सपना ,मोनिका आर्य,  राकेंद्र रौथाण, अंकित  भट्ट, रोहित, हिमांशु शमिल हैं. नौटियाल ने बताया की कि गढ़वाली लोक गीत हे दिदी, हे भुली, हे ब्वारी, घास काटण जौला पल्या सारी गीत पर दल पांच मिनट की प्रस्तुति देगा. सभी कालाकाकर उत्तराखंड की परम्परिक आंचलिक वेशभूषा में होंगे. नौटियाल अब तक देश के कई शहरों और विदेशों में भी इस नृत्य की प्रस्तुति दे चुके हैं. कुमाऊं, गढ़वाल और जौनसार क्षेत्र की लोक कला को बढ़ावा देना,संरक्षण करना और लोगों तक उस लोक-कला को पहुंचाना उनका प्रमुख लक्ष रहा है. वर्तमान में अपने परिवार के साथ ऋषिकेश में रहते हैं उनके दो बेटे  हैं. उनके परिवार के अन्य सदस्य भी इस निपुण कार्य में उनका साथ देते हैं. 

रविवार, 16 फ़रवरी 2020

महिलाओं को सेना में मिलेगा स्थायी कमीशन-सुप्रीम कोर्ट

महिलाओं को सेना में मिलेगा स्थायी कमीशन-सुप्रीम कोर्ट, कहा- महिलाओं को हक न देना केंद्र के पूर्वाग्रह को दिखाता है-


दिल्ली :  महिलाओं को अब सेना में स्थाई कमीशन देने की राह साफ़ हो गयी है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा दायर याचिका पर आज फैसला सुनाया. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.कोर्ट ने कहा महिलाओं को हक न देना केंद्र के पूर्वाग्रह को दिखाता है. दिल्ली हाईकोर्ट ने 2010 के फैसले में कहा था कि महिला सैनिकों को सेना में स्थायी कमीशन मिलना चाहिए. इसके खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गयी थी . केंद्र सरकार ने तर्क दिया था पुरुष सैनिक महिला अफसरों से आदेश लेने को तैयार नहीं.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि केंद्र सरकार सभी महिला अधिकारियों को 3 महीने में सेना में स्थायी कमीशन दे. यह भी साफ किया कि महिलाओं को कमांड पोजिशन (नेतृत्व या मोर्चे पर तैनाती) दिए जाने से किसी भी तरह नहीं रोका जा सकता. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला समाज और देश के  लिए काफी अहम है. अब महिलायें सेना में और ज्यादा संख्या में जाना चाहेंगी क्योँकि स्थायी कमीशन मिलने का मतलब है आप पूरी सर्विस कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने यह फैसला दिया, बेंच ने कहा केंद्र सरकार ने जो तर्क कोर्ट में पेश किया है उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है. केंद्र सरकार ने शारीरिक क्षमता और सामाजिक मान्यताओं को आधार बनाकर कहा था कि महिलाओं को बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती. बेंच ने कहा यह तर्क विचलित करने वाला और समानता के सिद्धांत का उल्लंघन है. कोर्ट ने कहा बीते समय में महिला अफसरों ने बहादुरी के लिए कई मिसालें कायम कीं. अब सोच में बदलाव की जरूरत है. सरकार को भी फौजों में लिंगभेद खत्म करना चाहिए. साथ ही कोर्ट ने कहा ​​महिला अधिकारियों की नौकरियों को लेकर केंद्र सरकार के नीतिगत फैसले बहुत ही अनोखे रहे हैं. कोर्ट ने यह भी कहा महिलाओं का सेना में शामिल होना एक विकास की प्रक्रिया दिखाता है .किसी भी सैनिक को जिम्मेदारी निभाने के लिए शारीरिक रूप से सक्षम होना चाहिए. इससे पहले हाईकोर्ट ने फैसला दिया था 2010 में. हाईकोर्ट ने महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन देने की बात कही थी. केंद्र ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी और केंद्र सरकार का तर्क था कि भारतीय सेना में यूनिट्स पूरी तरह पुरुषों की है और पुरुष सैनिक महिला अधिकारियों को स्वीकार नहीं कर पाएंगे जो कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया.
जहाँ तक सेना में स्थित की बात है अभी सेना में महिलाएं शॉर्ट सर्विस कमीशन के दौरान आर्मी सर्विस कॉर्प्स, आर्डनेंस, एजुकेशन कॉर्प्स, जज एडवोकेट जनरल, इंजीनियर, सिग्नल, इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रिक-मैकेनिकल इंजीनियरिंग ब्रांच में ही एंट्री पा सकती हैं. उन्हें युद्धक सेवाओं (इन्फैंट्री, उड्डयन और तोपखाने) में काम करने का मौका नहीं दिया जाता. लेकिन एयरफोर्स और नेवी में महिलाओं को स्थायी कमीशन का विकल्प था. एयरफोर्स और  नेवी महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन में आने का विकल्प देते हैं, हालांकि यह आर्मी में अभी तक नहीं है. इसके अलावा एयरफोर्स में महिलाएं युद्धक सेवाओं (फ्लाइंग और ग्राउंड ड्यूटी) में शामिल हो सकती हैं. शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत महिलाएं एयरफोर्स में ही हेलिकॉप्टर से लेकर फाइटर जेट तक उड़ा सकती हैं. नेवी में भी महिलाएं लॉजिस्टिक्स, कानून, एयर ट्रैफिक कंट्रोल, पायलट और नेवल इंस्पेक्टर कैडर में सेवाएं दे सकती हैं. वर्तमान में एयर फ़ोर्स में 13.09फीसदी  and 8.5 फीसदी, नेवी में और  2.8 फीसदी   और सेना में 3.80 फीसदी महिलायें हैं. वहीँ अर्धसैनिक बलों की बात करें तो बीएसएफ, सीआरपीएफ, भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस बल, एसएसबी,केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में पहले से महिलाओं की तैनाती है.

सुप्रीम कोर्ट के इस अहम फैसले के बाद महिलाओं के लिए देश सेवा के जज्बे को पाने और पूरा करने का बड़ा रास्ता साफ़ हो गया है. ऐसे में महिलायें सेना में जाना चाहेंगी जिससे रोजगार के साथ-साथ देश सेवा करने का भी मौका मिलेगा.

Zero Angle Goal by this 10 years old kid from Kerala

Ohhh what a shot !!
i cant believe but its fact...."zero angle goal" by this 10 years old kid Dani PK from Kerala,Good keep going good:) see this video.......if we nurture this type of talent surely in future we will have more top class international players on the niche. he has become sensation after going viral of this video. we need to nurture and trained him as good as we can. Great right? Yes, it is just amazing and he's only 10? Unbelievable right? In fact this goal reminds many of the famous scored by Brazil's Roberto Carlos. Even though that one was not off a corner. This one was just as brilliant, if not better. Dani's father Abu Hashim is a photographer with Malayala Manorama. He said that his son loved to play from an early age.."Football is his favourite sport. He loves it so much that no matter how many footballs we buy him, he always asks for another one," said Hashim while speaking to THE WEEK.“Every morning, Novia and I have to help him with packing his school bag as per the timetable. But he needs no alarm clock, no help to wake up or pack his football kit when he has to go for training at 6 am. Such is his love for the game,” he added. Dani joined the KFTC club when he was in class 2 and for the last 3 years has been playing with older boys. “Dani swears by Barcelona,” said his father and added that he wants to visit Spain to meet Messi. “That's the only country he wants to visit. And, of course, he wants to meet Messi,” he went on to say. He is a special talent and one hopes he blossoms into an even more awesome player in the years to come.  Courtesy:indiatimes.com

पाकिस्तानी हनी ट्रैप का शिकार हुए 11 नेवी के जवान, गिरफ्तार-

दिल्ली:पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में नेवी के 11 सैनिक गिरफ्तार,नहीं थम रहा है हनी ट्रैप का मामला- 
देश में गद्दारों की कोई कमी नहीं है, जो लोभ लालच के चक्कर में अपना जमीर बेच देते हैं, देश को बेच देते हैं . कहते हैं देशभक्त बहुत हैं लेकिन कुछ जयचंद हरजगह मिल जाते हैं और वही हो रहा है जब तक हमारे अपने जयचंद हैं तब तक कुछ नहीं कर सकते हैं लेकिन देश की सुरक्षा को ताक पर रखकर दुश्मन देश को सूचना पहुंचाना गद्दारी है और उसके लिए सख्त से सख्त सजा होनी चाहिए. ऐसे  इंसान  को नौकरी  से ही  नहीं  बल्कि  समाज  से भी  बर्खास्त  कर देना चाहिए. कुल 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें से 11 नेवी के जवान और 2 आम नागरिक हैं.इन सभी 13 पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप है. सबसे ख़ास बात सभी आरोपी सोशल मीडिया के जरिए पाकिस्तानी को नौसेना से संबंधित संवेदनशील सूचनाएं लीक करते थे। पाक के एजेंटों ने इन सभी को हनी ट्रैप में फंसा रखा था।यानि महिलायें बात करती थी इनसे और वे अपने जाल में फंसा कर इनसे सूचनाएं लेती थी.  सूत्रों के अनुसार ऐसे इस जासूसी के मामले में सबसे पहले आंध्र प्रदेश पुलिस, नौसेना की खुफिया इकाई और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने संयुक्त कार्रवाई में 7 नौसैनिकों को गिरफ्तार किया था।फिलहाल, आंध्र प्रदेश की पुलिस इस जासूसी कांड की जांच कर रही है और इसमें नेवी की सीक्रेट यूनिट उसकी मदद कर रही है। हालाँकि, नेवी ने अब स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई, केवल 2जी फोन के उपयोग की इजाजत. नौसेना के मुंबई, करवार (कर्नाटक) और विशाखापट्टनम अड्डे से इन नौसैनिकों की गिरफ्तारी की गई थी। नौसैनिकों द्वारा सोशल मीडिया के दुरुपयोग का मामला सामने आने के बाद नौसेना ने सैनिकों के स्मार्टफोन और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म के इस्तेमाल पर सख्ती से रोक लगा दी थी। हालांकि, इसी तरह के जासूसी के मामले सामने आने के बाद भी सेना और वायुसेना ने अभी तक इस तरह की रोक नहीं लगाई है। इससे पहले भी कुछ सैनिक चाहे आर्मी के हो एयर फ़ोर्स के हो या नेवी क हो हनी ट्रैप का शिकार हो चुके हैं।ऐसे में सम्बंधित सेनाओं को अपने कर्मियों के लिए सख्त नियम बनाना और शुरू में ट्रेनिंग देना बहुत जरुरी है अन्यथा देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ होता रहेगा जो कभी घातक सिद्ध हो सकता है. हालाँकि, बैन से कर्मचारियों की परेशानी बढ़ीं हैं, नौसेना के सूत्रों ने बताया कि स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर अचानक लगाई गई इस पाबंदी की वजह से कर्मचारियों को अपने परिवार से संपर्क करना और निजी इस्तेमाल के लिए डिजिटल सेवाओं के इस्तेमाल में परेशानी आ रही है। हालांकि, नौसेना ने पुरानी तकनीक वाले 2जी मोबाइल फोन करने की इजाजत दी है। जानकारों के मुताबिक, इसका इस्तेमाल सीमित है और इसे इंटरसेप्ट भी किया जा सकता है। देश को बचाने के लिए इतना तो सहन करना ही होगा जवानों को अब अगर जिम्मेदारी ले रखी है तो देश की सुरक्षा की-

शनिवार, 15 फ़रवरी 2020

Darkest Skin Beauty of the World

ये है नयाकिम !!
सूडान की मॉडल (नमूनी) है,मतलब, सबसे काली स्किन वाली नमूनी, और तो ठीक है, लेकिन सोच ये रहा हूँ अगर इसको पीलिया हो गया तो कैसे डॉक्टर पता लगाएंगे ?चेहरे , ऊँगली में तो कहीं दिखेगा ही नहीं, और जब तक टेस्ट करेंगे तब तक.........खैर !! या फिर अँधेरे में खड़े कर दिया तो क्या होगा ?हालाँकि इसको सबसे डार्केस्ट स्किन वाली मॉडल घोषित किया गया है-ईश्वर भी इंसान को इस उपग्रह में कैसे-कैसे रूप रंग में भेज देता है? लेकिन अहम बात, सूडान देश का नाम सुन कर में सन्न रह जाता हूँ,
आपको याद होगा, एक बुकर प्राइज विनर फोटोग्राफ था जिसमे बच्चे के आगे गिद्ध बैठा हुआ है भुखमरी से बच्चा मरने को तैयार है और गिद्ध उसको खाने को----वह फोटो सूडान का ही था...हालांकि बाद में जिस फोटोग्राफर को वो बुकर प्राइज ईनाम मिला वह इतना डिप्रेसन में चला गया था उस फोटो को देख कर, की उसने आत्महत्या कर ली.हालाँकि इसके माता-पिता सूडान से कीनिया भागे ,इथीयोपिया अब अमेरिका में हैं. रिफुजी कैम्पों में रहे, गम्बेला में पैदा हुई.जहाँ कभी सूडान में भुखमरी थी, अब भी अधिकतर है ही....गृह युद्ध जारी है. इंसान और सूडान का नाड़बेद (36 का आंकड़ा ) है एक तरह का,वहां से ये लड़की निकल कर मॉडल बन गयी, धन्य हो ! खाने को उस देश के पास पैसे नहीं हैं, पीने को पानी ढंग का पानी मयस्सर नहीं है ऐसे में ये लड़की निकल कर आ गयी...तारीफ !!और हाँ, ऊपर से मुस्लिम आबादी वाला देश !! कहीं मुफ्तियों ने देख लिया तो फतवे जारी कर देंगे इसके के खिलाफ,हालांकि यह एक सफल नमूनी है, कई ब्रांड्स इसके पास हैं और लाखों फॉलोवर हैं सोशल मीडिया में इसके. ऐसे तीसरी दुनिया के देशों से निकल कर आना और फिर सफल होना बड़ी बात है.- तारीफ है !!



भारत का उसैन बोल्ट श्रीनिवास गौड़ा !!

दिल्ली : आखिर लिया संज्ञान खेल मंत्री ने, साई सेंटर में देंगे ट्रायल भारत के उसैन बोल्ट श्रीनिवास गौड़ा, श्रेय दिया अपने दोनों भैंसों को -


दिल्ली : भारत में खेल प्रतिभा की कोई कमी नहीं है इसमें कोई शक नहीं है. कहते हैं प्रतिभा कब किस रूप में और किस मौके पर सामने आ जाये कोई पता नहीं होता है. इसी कड़ी में कर्नाटक के एक युवक के बारे में चर्चा की जा रही है कि उसने 100 मीटर की रेस महज 9.55 सेकेंड में पूरी कर ली. दावा किया जा रहा है कि युवक ने उसैन बोल्ट का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है. मामले पर मीडिया की खबरों का संज्ञान लिया है खेल मंत्री  किरेन रिजिजू ने. सबसे अहम बात जो देखने को खेल मंत्री ने तुरंत  फैसला  लिया और एक  प्रतिभा  को सामने आने  का मौका  दिया, जो हो  सकता  है आने  वाले  समय  में देश  के लिए  मैडल लाये. 
जैसे ही यह खबर मीडिया में आयी खेल मंत्री का ट्वीट आया जो एक अच्छी बात है. दरअसल,  कर्नाटक के युवक श्रीनिवास गौड़ा ने पारंपरिक भैसों की रेस में 13.62 सेकंड में 142.50 मीटर की रेस पूरी की है. यानि 100 मीटर की दूरी सिर्फ 9.55 सेकंड में पूरी की है. इस युवक का वीडियो भी वायरल हुआ है मीडिया और सोशल मीडिया में . श्रीनिवास गौड़ा के वीडियो को लोग सोशल मीडिया पर शेयर भी कर रहे हैं और खेल मंत्री को लगातार टैग कर रहे हैं. इसके बाद अब केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्वीट किया है और श्रीनिवास को ट्रायल के लिए बुलाए जाने की बात कही है.
खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने अपने ट्वीट में लिखा कि 'मैं SAI कोचों के द्वारा कर्नाटक के श्रीनिवास गौड़ा को ट्रायल के लिए बुलाऊंगा, एथलेटिक्स में ओलंपिक के मानकों के बारे में लोगों में ज्ञान की कमी है, लेकिन मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि भारत की कोई भी प्रतिभा छूट ना जाए.
रिजिजू ने इसके बाद एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने कहा कि SAI ने श्रीनिवास से बात की है. उनका रेल टिकट भी करा दिया गया है. सोमवार को यानि  17  फ़रवरी को उनका SAI सेंटर पर ट्रायल किया जाएगा. साई यानि स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया जो खेल मंत्रय्लय के अंदर आता है और खेल मंत्रालय साईं में हर खेल के लिए कोचों को नियुक्त करता है देश के लिए खिलाड़ी उन कोचों के मार्गदर्शन में अपनी प्रतिभा को निखारते हैं.      
कर्नाटक के रहने वाले श्रीनिवास गौड़ा की जो खास बात है, वह है उसने सूखे ट्रैक पर नहीं बल्कि पानी से भरे खेत में भैंसों के जोड़े के साथ दौड़कर बनाया है जो अपने आप बहुत मुश्किल है, दौड़ना, भैंसों को कण्ट्रोल करना, स्पीड बनानी और पानी, गीली  मिटटी में दौड़ना उससे भी मुश्किल. इस हालात में अगर वह ट्रैक पर ट्रेनिंग के बाद दौड़े तो रिजल्ट काफी अच्छा आ सकता है और देश को एक बना बनाया एथलीट मिल जायेगा. जमैका के रहने वाले उसैन बोल्ट ने अपना रिकॉर्ड सूखी जमीन पर दौड़कर बनाया था यानि ट्रैक पर. जमैका के उसैन बोल्ट का जलवा   रहा   है ट्रैक पर. उनको दुनिया का सबसे तेज दौड़ने वाला एथलीट माना जाता है. बोल्ट ने 100 मीटर, 200 मीटर और 4*100 रिले दौड़ में वर्ल्ड रिकॉर्ड बना रखा है जो अभी भी उन्हीं के नाम है. बोल्ट ने एक बार नहीं बल्कि 11 बार दौड़ में विश्व चैंपियन होने का रिकॉर्ड बनाया है.उसैन बोल्ट ने दौड़ में ही 8 ओलंपिक मेडल भी जीते हैं. बोल्ट ने 100 मीटर की दूरी का विश्व रिकॉर्ड 9.58 सेकंड में बनाया था. हालांकि अब बोल्ट करियर  से सन्यांस ले चुके हैं.  श्रीनिवास कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के मोडाबिद्री इलाके के रहने वाले हैं. श्रीनिवास ने यह रिकॉर्ड एक भैंसा दौड़ में बनाया जिसे कंबाला नाम से बुलाया जाता है और हर वर्ष होती है.स्थानीय लोग बढ़ चढ़कर इसमें शिरकत करते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक श्रीनिवास ने कहा कि पारंपरिक खेल में रिकॉर्ड बनाकर मुझे काफी तारीफ मिल रही है. मुझे कंबाला पसंद है, मैंने पहले भी ऐसी दौड़ लगाईं है. इसका श्रेय मेरे दोनों भैंसों को जाता है. यहां तक कि यूजर्स उन्हें ओलिंपिक में भेजने की मांग कर रहे हैं, उनका कहना है कि सरकार श्रीनिवास को ट्रेनिंग दिलाने की व्यवस्था करे और अब जब खेल मंत्रालय से कॉल आ गयी है उम्मीद है गौड़ा अच्छा प्रदर्शन करेंगे और अपना और देश का नाम रोशन करेंगे. 


सोमवार, 10 फ़रवरी 2020

क्या हो गया है कांग्रेस को ?

क्या हो गया है कांग्रेस को ?
दिल्ली में एक सीट कांग्रेस नहीं जीत पा रही है ?  
शर्म की बात है, दिल्ली में तो कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन कर सकती थी लेकिन आप के आगे अपने आप को बलिदान कर दिया, और हथियार डाल दिए, चांदनी चौक से कांग्रेस की अलका लाम्बा इतनी मेहनत कर रही थी सोशल साइटों पर चुनाव से पहले, काम न आयी वो भी ..ऐसे रणनीति किस काम की ? अन्य प्रदेशों में कांग्रेसी विधारधारा के लोग मन ही मन हाइकमाण्ड को कोष रहे हैं, अपना तो नाश करवा डाला थोड़ा बहुत हड्डी सूप हमें भी मिल जाता वो भी छीन लिया, भाजपा ज्वाइन कर नहीं सकते...कर लिया तो मंत्री पद, प्रतिष्ठा मिलेगा नहीं, सामने संघी बैठा होगा डंडा ले कर !
लेकिन भाजपा 3 से 13 के आस पास जा रही है ..जैसा रुझान आ रहा है अभी तक, लेकिन प्रदर्शन बुरा नहीं हैं..लेकिन भाजपा ने स्थानीय मुद्दों को साइड कर और  अजब-गजब टाइप का नेता दिल्ली को दे कर अपने पैरों पर बड़याठ (कुल्हाड़ी) मार डाली, उसके लिए दिल्ली अभी दूर है..दिल्ली को वोटर चिड़चिड़ा टाइप का है. पहले दिल वालों की दिल्ली होती थी अब तनाव वालों की दिल्ली है. न हवा है न पानी दिल्ली में, ऊपर से सड़कें जाम से ठुसी हुई..एक मेट्रो ने थोड़ा सांस दे रखा है लेकिन इतना समय मेट्रो के अंदर की बनी बनायी हवा को लेना सेहत के लिए ठीक नहीं है-दिल्ली से लोग अब दुसरे शहरों की तरफ शिफ्ट कर रहे हैं वहीँ हैं अब वहां जिनकी मजबूरी है नौकरी, पेशा, धंधा है ....या जिनका ठिकाना कहीं न रहा अब--लेकिन मुफ्त में कुछ चीजें दे कर केजरीवाल ने राज्य का नुक्सान किया है आने वाला समय ठीक नहीं है. कुर्सी जिसमे बैठेंगे वही चुभने लगेगी...शासन का चक्र कैसा चलता है आज जनता को कुछ लेना देना नहीं. क्योँकि जनता से कमाया जाता है और जनता के ऊपर खर्च किया जाता है. फ्री में देकर नहीं. जेब से तो नहीं दे रहा है. ..विजन किसी के पास है नहीं जो अच्छे नेता हैं वे आगे नहीं आ रहे हैं ...हजारों करोड़ों का घाटा कहाँ से कौन सहेगा ? कुर्सी चाहिए बस !! कुर्सी !! 

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