गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

ईरान से चम्पावत तक 60 दिन की यात्रा 4 बार क्वारंटाइन फिर भी अटके रास्ते में प्रवीन-

देहरादून : खबर उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल के चम्पावत जिले से है. एक ऐसे शख्स की जो ईरान से उसे अपने गृह जनपद पहुँचने में लग गए 60 दिन यानि दो महीने. फिर भी रास्ते में हैं अभी भी. प्रवीन की हिम्मत की दाद देनी होगी. अब प्रवीन अपने गृह जनपद चम्पावत में क्वारंटाइन में हैं. 
14 दिन पूरे हो जायेंगे तब घर पहुँच पाएंगे.  प्रवीन जिंदगी की सबसे लम्बी यात्रा बताते हैं अपनी इसको. कोरोना संक्रमण के चलते   लॉकडाउन से जो बीती है चम्पावत निवासी 32 साल के प्रवीन बुराठी पर वह जिंदगी भर नहीं भूलेंगे.  प्रवीन ईरान में कमा करते हैं मर्चेंट नेवी में कार्यरत हैं. लगभग 3551 किलोमीटर के इस सफर उन्हें चार दफा क्वारंटाइन होना पड़ा. मंगलवार को सवेरे वह राजस्थान से सीधे अपने गृह जनपद चम्पावत पहुंचे. अब उन्हें चम्पावत में चौथी बार क्वारंटाइन कर एक होटल भेज दिया गया है. प्रवीन का गाँव खटोली है, 65 किलोमीटर दूर चम्पावत मुख्यालय से. बुराठी सउदी अरब से कजाकिस्तान और ईरान के बीच मर्चेंट नेवी में कार्य करते हैं.  फ़रवरी 28 को उन्हें भारत लौटना था, लेकिन कोरोना संक्रमण फैलने से उनकी यात्रा अटक गई. फ्लाइट जो थी कैंसिल हो गयी और आगे कुछ पता नहीं था कब फ्लाइट आएगी इंडिया के लिए. प्रवीण ने बताया कि राजस्थान में दो बार क्वारंटाइन में रहने के बाद उन्हें पास बनाने में ही तीन दिन का समय लग गया. वह 23 अप्रैल को राजस्थान से दिल्ली पहुंचे. दिल्ली से चम्पावत पहुंचने के लिए उन्हें 30 हजार में वाहन बुक कराना पड़ा. इस दौरान उन्हें यूपी के हापुड़ में रोक लिया गया. 
बड़ी मुश्किल से वे वहां से निकले. फिर दूसरे रुट से निकलते हुए जैसे तैसे चम्पावत पहुंचे. पुरे 60 दिन लग गए प्रवीन को चम्पावत तक पहुँचने में और अभी तक घर नहीं पहुंचे हैं. ईरान से दिल्ली की हवाई दूरी पड़ती है 2278 किमी, दिल्ली से राजस्थान की दूरी पड़ती है 425 किमी, राजस्थान से दिल्ली पड़ती है 425 किमी, दिल्ली से चम्पावत की दूरी 423 किमी.  कुल जोड़ा जाए तो यात्रा किलोमीटर में निकल के आती है 3551 किलोमीटर. इंसान अगर अपने घर के लिए इतना ट्रेवल करना पड़े तो कैसे करेगा और क्या उसकी मनोदशा होगी आप अंदाजा लगा सकते हैं. वह भी तब जब आपके पैसा है लेकिन रास्ते बंद हैं. साधन नहीं है. जैसे तैसे आप निकल रहे हैं अपने घर की तरफ.  इससे पहले वे ईरान में फ्लाइट पकड़ने से पहले क्वारंटाइन हुए. ईरान सरकार ने प्रवीन को फ्लाइट पकड़ने से ठीक पहले के समय निकट आते ही उन्हें ईरान प्रशासन ने 14 दिन के क्वारंटाइन में भेज दिया. 1 मार्च से 14 मार्च तक ईरान में क्वारंटाइन रहे. 
इस दौरान उनके दो सैंपल भी लिए गए. दोनों सैंपल नेगेटिव आने के बाद उन्हें दिल्ली के लिए जाने दिया और फ्लाइट में बैठने दिया.  इसके बाद वे दिल्ली से राजस्थान गए और राजस्थान में दो दफा क्वारंटाइन किया गया. अपने देश आने की ख़ुशी में प्रवीन के लिए ज्यादा समय तक नहीं रही. दिल्ली में फ्लाइट से उतरते ही प्रशासन ने उन्हें 18 मार्च को राजस्थान आर्मी कैंप भेज दिया गया.यहां भी किस्मत ने प्रवीन का साथ नहीं दिया. प्रवीण को 14 दिन के लिए क्वारंटाइन में भेज दिया गया. सैंपल जांच में रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी प्रवीन की क्वारंटाइन अवधि 14 दिन और बढ़ा दी गई. अब जब अपने जिले में पहुँच गए हैं अब फिर से क्वारंटाइन में हैं. घर गाँव अभी भी 65 किलोमीटर दूर है लेकिन इतनी संतुष्टि है वे अपने राज्य, अपने जिले अपने गाँव घर के पास हैं अब. वहां लोग अपने हैं. यही एक सुकून है प्रवीन को. 

बुधवार, 29 अप्रैल 2020

केदारनाथ धाम के कपाट विधि विधान से खुले, सीमित लोग थे मौजूद

देहरादून: केदारनाथ धाम सबसे बड़े तीर्थ धाम में से एक स्थान. भगवान केदारनाथ के कपाट आज 6 बजकर 10 मिनट ओर मेष लग्न में खुल गए है. धाम में अब छह माह तक पूजा होती रहेगी। इस बार श्रद्धालु नहीं थे. कपाट खुलने के दौरान धाम सीमित लोग ही मौजूद रहे. इस बार धाम में मुख्य पुजारी समेत केवल 15 लोग ही मौजूद थे. जो नियमित रूप से पूजा, अर्चना करते करेंगे.
ऐसे होती है पूजा-
पहले भैरवनाथ मंदिर में पूजा होती है। भैरव बाबा का आह्वान
कपाट खुलने से पहले होता है, भगवान भैरवनाथ का आह्वान
पुजारी द्वारा अराध्य का श्रृंगार किया जाता है. इसके बाद उनकी अलग-अलग आरती कर भोग लगाया जाता है. बताया जाता है कि भगवान भैरवनाथ से बाबा केदार की यात्रा के सकुशल संचालन व सुख-समृद्धि की मनौति मांगी जाती है. वे, पूरे क्षेत्र के क्षेत्रपाल हैं, इसलिए सर्वप्रथम उनका आह्वान किया जाता है पूजा में.धाम की पूजाएं ये होती हैं ये-धाम में पूजाओं के क्रम में प्रात:कालिक पूजा, महाभिषेक पूजा, अभिषेक, लघु रुद्राभिषेक, षोडशोपचार पूजन, अष्टोपचार पूजन, सम्पूर्ण आरती, पाण्डव पूजा, गणेश पूजा, श्री भैरव पूजा, पार्वती जी की पूजा, शिव सहस्त्रनाम आदि प्रमुख हैं.
इस बार 4 फीट बर्फ काटकर रास्ता बनाया गया है.संगम से लेकर मंदिर परिसर तक. इस बार कोरोना संक्रमण काल के चलते लॉक डाउन चल रहा है। इसलिए एहतियातन श्रद्धालु को अनुमति नहीं दी गयी है दर्शन के लिए.चारधाम यात्रा के गंतोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खुल चुके हैं. अब 15 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे.

लॉक डाउन में हल्द्वानी नगर निगम की पहल चील-कौओं को अब मिलेगा चिकन

#हल्द्वानी:  21 मार्च से देशभर में लॉक डाउन होने की वजह से इंसानी गतिविधियों में एक तरह से रोक लग गई है. सब कुछ बन्द है. इंसानी गतिबिधियाँ कम हुई तो इन जंगली जानवरों,पशु पक्षियों के लिए भी मुश्किलात पैदा हो गयी हैं. ऐसे में आम जन के साथ-साथ इन जंगली जानवरों व् पशु पक्षियों लिए भी हल्द्वानी नगर निगम आगे आया है. हल्द्वानी जैसा कि कुमाऊं मंडल का गेट कहा जाता है ऐसे में हर कोई हल्द्वानी आता है पर्वतीय इलाकों से. हल्द्वानी-काठगोदाम से पहाड़ शुरू हो जाते हैं. लिहाजा सामने पहाड़ों से आवारा पशु, चील गिद्धों,पक्षियों का एक तरह से हल्द्वानी दूसरे घर की तरह है. क्योँकि जहाँ इंसानी बसावट होती है वहां पर पशु पक्षी का आना स्वाभाविक है. कुछ न कुछ खाने के लिए, चुगने के लिए. फिर वे अपने जंगलों की तरफ चल देते हैं. लॉक डाउन ने एक तरह से बायोडायवर्सिटी पर भी कहीं न कहीं प्रभाव डाला है.  यही वजह है कि आवारा जानवर हो या पशु-पक्षी लॉक डाउन के बाद चारा न मिलने की वजह से भूख से बिलबिला रहे हैं. जिसको देखते हुए अब हल्द्वानी का नगर निगम और पशुपालन विभाग द्वारा आवारा कुत्तों, पशुओं और मवेशियों सहित पशु पक्षियों के लिए लॉक डाउन में चारे की व्यवस्था में जुटा है.
इसी के चलते #कुमाऊं के सबसे बड़े हल्द्वानी #नगर-निगम ने चील गिद्ध और जंगली कौवा के लिए नगर निगम की छत पर सप्ताह में 2 दिन चिकन रखना शुरू कर दिया है. इंसान के साथ-साथ इन चील कौवों से भी प्रकर्ति का चक्र चलता है. हम इनको नकार नहीं सकते. लिहाजा इनके लिए कुछ कर पाना इंसान द्वारा हो रहा है तो काबिले तारीफ है. यह चील और गिद्ध अब नगर निगम की बिल्डिंग के चारों तरफ घूमते दिखाई दे रहे हैं और अब तक कूड़े या कचरे में अपने लिए चारा ढूंढ रहे थे. वहीँ चील और गिद्ध  आजकल अब नगर निगम की छत पर चिकन खा रहे हैं. क्योँकि नगर निगम ने इनके लिए खाने का प्रबंध किया है.
डॉ. जोगेंद्र पाल सिंह  रौतेला, मेयर, हल्द्वानी
हल्द्वानी के  मेयर  #डॉ  जोगेंद्र पाल सिंह  #रौतेला  ने  बताया "18 लाख रुपये जिला प्रशासन ने नैनीताल जिले के लिए दिए गए हैं. यह बजट चीफ मॉनिटरिंग ऑफिसर को जारी किया गया. हल्द्वानी नगर निगम मॉनिटर कर रहा है इसको. पशु पक्षियों को खाने की कमी न हो, जानवरों को दिक्कत न हो लॉक डाउन के दौरान. एक पॉइंट हमारा नगर निगम के छत को भी बनाया है जो चीलों के लिए खाने के लिए. अन्य जानवर जैसे कुत्ता, सांड, गाय,कबूतर को वगैरह को भी पशु आहार दिया जा रहा है सम्बंधित जगहों पर. पशु आहार जो दिया जा रहा है पशुपालन बिभाग द्वारा चेक कर के दिया जा रहा है पशु चिकित्सकों के द्वारा. रौतेला ने बताया कि ये जानवर, पशु-पक्षी बहुत आवश्यक है हमारे पर्यावरण के लिए.
चील, गिद्ध, कबूतर, कुत्ते इत्यादि सभी को खाना मिले हमारी कोशिश है. क्योँकि यह हमारे बायोडायबर्सिटी  का एक हिस्सा है. इस लिए ख़ास ध्यान दिया गया है इस पर. आम लोगों के लिए शहर में राशन का संकट न हो उसके लिए काम कर रहे हैं हम लगातार. जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उनके लिए भी राशन की ब्यौवस्था कर रहे हैं. मोदी रसोई, कुछ सामाजिक संगठन हैं उनके साथ मिल कर नगर निगम नजर रखे हुए हैं और उसी अनुसार प्रबंध कर रहा है ताकि खाद्यान का संकट न हो.4 लोगों को पका हुआ भोजन देने की अनुमति भी दी गयी है. बाकि को तो नहीं दिया गया हैं, क्योँकि पका हुआ भोजन है, हाइजीनिक के लिहाज से ध्यान रखना पड़ता है. लोगों को अच्छा भोजन मिले हम चाहते हैं. फ्लोरा और फौना का भी ध्यान रख रखे रहे हैं."

दिग्गज अभिनेता इरफान खान का निधन, 54 की उम्र में कैंसर के चलते जिंदगी को कहा अलविदा-

दिल्ली : बॉलीवुड के लिए आज का दिन बहुत बुरी खबर ले कर आया. बॉलीवुड-हॉलीवुड के अभिनेता इरफान खान ने बुधवार को मुंबई में  निधन हो गया. मुमने के कोकिला बेन अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. इरफ़ान लंबे वक्त से बीमारी से जूझ रहे थे. इरफान खान को बीते दिनों ही अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. उनके निधन से बॉलीवुड के अलावा हर कोई स्तब्ध है. अपनी अदाकारी से हर किसी के दिल पर राज करने वाले फिल्म अभिनेता इरफान खान का बुधवार को निधन हो गया. मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में इरफान खान ने 54 साल की उम्र में अंतिम सांस ली.
इरफान काफी लंबे वक्त से बीमार थे और बीते दिनों ही उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. साल 2018 में ही उन्होंने दुनिया को कैंसर के बारे में जानकारी दी थी, लेकिन दो साल बाद ये जिंदगी से जारी इस जंग को इरफान हार गए. दिग्गज कलाकार के जाने से बॉलीवुड में शोक का माहौल है. प्रधानमंत्री से लेकर अमिताभ बच्चन तक सभी ने दुःख ब्यक्त किया है.  मुंबई में अस्पताल से जानकारी दी गयी , इरफान खान पेट की समस्या से जूझ रहे थे, उन्हें कोलोन संक्रमण हुआ था. फिल्म डायरेक्टर शूजीत सरकार ने इरफान खान के निधन की जानकारी सबसे पहले दी, ट्वीट कर उन्होंने जानकारी दी. उसके बाद अस्पताल की ओर से भी जानकारी दी गयी. शूजीत सरकार इरफ़ान के अच्छे दोस्तों में से एक हैं. सुजीत ने ट्वीट कर लिखा- मेरा प्यारा दोस्त इरफान. तुम लड़े और लड़े और लड़े. मुझे तुम पर हमेशा गर्व रहेगा. हम दोबारा मिलेंगे. सुतापा और बाबिल को मेरी संवेदनाएं. तुमने भी लड़ाई लड़ी. सुतापा इस लड़ाई में जो तुम दे सकती थीं तुमने सब दिया. ओम शांति. इरफान खान को सलाम. सुतापा इरफ़ान की पत्नी का नाम है. एक बार इरफ़ान ने कहा भी था अगर जिंदगी जीने का मिला तो मैं सुतापा के लिए जीना पसंद करूँगा.
इसी शनिवार को जयपुर में इरफ़ान खान की माँ का इंतकाल हुआ था. लॉक डाउन के चलते वे अपनी माँ के अंतिम संस्कार में भी नहीं शामिल हो पाए थे. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उन्होंने दुआ की थी. उसके बाद उनकी तबियत खराब होने लगी. इरफान खान के निधन के बाद अक्षय कुमार, परेश रावल समेत बॉलीवुड के दिग्गजों ने श्रद्धांजलि दी. वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत अन्य नेताओं ने भी उन्हें नमन किया.
वे एक मजे हुए कलाकार थे. उन्हें कोई रोल दे दो. सब बखूबी निभाते थे. उन्होंने हिंदी के साथ हॉलीवुड की फिल्मों में भी काम किया था. दो साल पहले मार्च 2018 में इरफान को न्यूरो इंडोक्राइन ट्यूमर नामक बीमारी का पता चला था. इरफ़ान ने इसका इलाज विदेश में करवाया था और ठीक हो गए थे. भारत लौटने के बाद इरफान खान ने अंग्रेजी मीडियम फिल्म में काम भी किया था.  वे राजस्थान के रहने वाले थे. इरफान खान ने अपनी करियर की शुरुआत टेलिविजन से की थी, जिसके बाद वह फिल्मों में आए. हासिल, हैदर, अंग्रेजी मीडियम, हिन्दी मीडियम, पान सिंह तोमर ना जाने कितनी ऐसी फिल्में हैं, जिनमें इरफान खान ने दमदार अभिनय किया और पानी छाप छोड़ी.
हॉलीवुड में उन्होंने माइटी हार्ट और जुरासिक पार्क जैसी ऐतिहासिक फिल्मों में भी काम किया था. बॉलीवुड ने एक शानदार अभिनेता खो दिया उनकी भरपाई बॉलीवुड शायद की कभी कर पाए.  कॉमर्शियल फ़िल्में हो या आर्ट फ़िल्में  सभी में वे रम जाते थे अभिनय में. इस तरह के अभिनय के मालिक बहुत कम होते हैं उनमें से इरफ़ान भी एक थे. 

मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

नॉएडा में घर के छत पर हुई शादी बिग बॉस 2 के विजेता आशुतोष कौशिक की-

नॉएडा में घर के छत पर हुई शादी बिग बॉस 2 के विजेता आशुतोष कौशिक की-
 #अलीगढ की रहने वाली अर्पिता संग लिए सात फेरे
दिल्ली : ऐसी शादी किसी सेलेब्रिटी की देखि है आपने ? वो भी उसके घर के छत पर. जी हाँ  हम बात  कर रहे हैं बिग बॉस विजेता और रियलिटी टीवी शो स्टार आशुतोष कौशिक की. आशुतोष ने अलीगढ की अर्पिता के साथ शादी कर ली. आशुतोष ने लॉकडाउन के बीच अपनी शादी रचाई है. वह अलीगढ़ की रहने वाली अर्पिता के साथ रविवार को शादी के बंधन में बध गए. उन्होंने अपनी शादी नोएडा स्थित घर की छत पर सिर्फ चार लोगों के बीच में की. बताया जा रहा है उन्होंने शादी का सारा पैसा पीएम केयर फंड और प्राइमिनिस्टर सिटीजन अस्सिटेंस फंड में डोनेट कर दिया है.
ashutosh kaushik 
हालांकि,कितना दान किया गया किसी को कुछ नहीं पता. आशुतोष बिग बॉस के अलावा रोडीज के पांचवे सीज़न के भी विजेता रह चुके हैं. जो लोग शादी में शामिल हुए उनमें से आशुतोस की मां और उनकी बहन शामिल हुईं. वहीं, अर्पिता की तरफ से भी मां और उनकी बहन शादी के कार्यक्रम में शामिल हुईं. शादी की फोटोज़ और वीडियो आशुतोष ने अपने फेसबुक पेज पर भी शेयर किए हैं. तब लोगों को और मीडिया को पता लगा. आशुतोष ने बताया  'शादी एक बहुत पर्सनल मैटर है, तो इसमें क्यों भीड़, गाना-बजाना और ढोल-नगाड़े? आपके पर्सनल मैटर के लिए क्यों इनता खर्चा करना? मेरा यह मानना है कि उसे घर वाले के बीच में करिए।'
शायद अगर लॉक डाउन न होता तो हो सकता है आशुतोष का कहना और कुछ होता सकता था. खैर, 
यूट्यूब चैनल जो चलाते हैं आशुतोष उससे जो कमाई होती उसकी कमाई भी चैरिटी के लिए दान कर दी ऐसा बता रहे हैं आशुतोष. बिग बास 2 के बाद आशुतोष ने कई हिंदी फ़िल्मों में भी काम किया है. इसमें किस्मत लव पैसा दिल्ली और जिला गाजियाबाद प्रमुख हैं. आशुतोष का घर नॉएडा में ही है.  लॉक डाउन के बाद क्या आशुतोष अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को पार्टी देंगे या बात यही तक सीमित थी यह तो वक्त ही बताएगा. 

आज खुलेंगे बाबा केदार के कपाट, फूलों से सजा मंदिर, श्रद्धालु नहीं रहेंगे इस बार


देहरादून: चार धामों में से एक धाम केदारनाथ धाम के कपाट सुबह यानि बुधवार को मेष लग्न में सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर खोल दिए जाएंगे. उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है. बताया जा रहा है कि केदारनाथ मंदिर को कई क्वेंटल फूलों से सजाया गया है. सजाने के लिए लगभग 10 क्वेंटल फूलों का प्रयोग किया गया है. इस बार कोरोना संक्रमण के चलते श्रद्धालु नहीं कपाट खुलने के समय दर्शन नहीं कर पाएंगे. गिने चुने लोग रहेंगे कपाट खुलते समय केदार धाम में. भगवान शिव की जगह केदारनाथ धाम में अब छह महीने तक पूजा होगी.
सुबह मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग बाबा की समाधि पूजा के साथ अन्य सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करेंगे. बाबा केदार की पूजा-अर्चना के लिए जरूरी पूजन सामग्री भी डोली के साथ धाम पहुंचा दी गई है. देवस्थानम बोर्ड ने कपाट खोलने की तैयारी पूरी कर ली है. इस बार बर्फ संगम से लेकर मंदिर तक बर्फ को काटकर चार फ़ीट का रास्ता बनाया गया है.
लोग आसानी से जा सके ऐसा इसलिए किया गया है. इससे पहले बाबा की डोली ने किया धाम में विश्राम. बाबा केदार की डोली ने देवस्थानम बोर्ड के कार्यालय में विश्राम किया और पूजा अर्चना कर आरती व भोग लगाया गया.

सोमवार, 27 अप्रैल 2020

देवभूमि का देवदूत रोशन रतूड़ी-आखिर कमलेश भट्ट का शव भारत दुबारा भिजवाया

#देवभूमि का देवदूत रोशन रतूड़ी, आखिर कमलेश भट्ट का शव भारत दुबारा भिजवाया,ऋषिकेश में हुआ अंतिम संस्कार
ऋषिकेश : भारत पहुंचा आखिर कमलेश भट्ट का शव, आज ऋषिकेश में परिजनों ने अंतिम संस्कार किया. सोशल डिस्टेंस को ध्याम में रखते  हुए अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार हो गया कमलेश भट्ट का, टिहरी गढ़वाल के रहने वाला युवा कमलेश भट्ट (25) जो दुबई में होटल में नौकरी करते थे.
                                                                               कमलेश भट्ट 
17 अप्रैल को ह्रदय गति रुकने से मौत हो गयी थी. लॉकडाउन के चलते सब कुछ बंद था. आर्थिक रूप से कमजोर कमलेश के परिजनों ने गुहार लगाई थी कि उनके बेटे को ऋषिकेश तक पहुंचाएं. दुबई से विमान के जरिये कमलेश और उसी के साथ पंजाब और केरल के अन्य दो लोगों के शव को भी दिल्ली लाया गया. कमलेश के परिजन शव लेने के लिए दिल्ली गए थे.कमलेश टिहरी गढ़वाल के सेमवाल गाँव के रहने वाले थे. 
हॉस्पिटल से बाहर आते हुए रोशन रतूड़ी 
ऐसे में उत्तराखंड के लाल सामाजिक कार्यकर्ता रोशन रतूड़ी ने कमलेश भट्ट  के शव को भारत भिजवाया. लेकिन दिल्ली  से शव वापस दुबई भेज दिया गया सरकार ने. बताया  गया की लॉक डाउन के चलते ऐसा किया गया . ऐसे में सामाजिक कार्यकर्ता रोशन रतूड़ी  ने बड़ी जद्दोजहद के बाद अपने खर्च पर कार्गो विमान से 23 अप्रैल को शव को भारत भिजवाया था लेकिन उस समय निराशा हाथ लगी कमलेश के परिजनों और दुबई में रोशन रतूड़ी को जब भारत सरकार ने शव को वापस दुबई भिजवा दिया दिल्ली एयरपोर्ट से. उसके बाद रोशन ने अपने पेज पर नाराजगी ब्यक्त की थी. वहीँ गरीब परिजनों पर दुःख का पहाड़ टूट पड़ा.
दुबई में कॉफिन के साथ रोशन रतूड़ी 
क्योँकि अंतिम संस्कार भी नहीं कर पा रहे थे कमलेश का. परिवार काफी दुखी हो गया था, कल फिर से रोशन के बदौलत शव फिर से भारत भिजवाया गया. देर शाम दिल्ली कमलेश के परिजन जो दिल्ली गए थे शव लेने के लिए शव लेकर  ऋषिकेश लाये. आज सुबह  पूर्णानंद  घाट  पर कमलेश का अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया था. कमलेश के परिवार के ज्यादा लोग अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाये क्योँकि लॉकडाउन  के चलते. लेकिन कहीं न कहीं देवभूमि के लाल को अपनी जमीन में गंगा किनारे मुक्ति मिली यही परिवार को संतुष्टि होगी.
भारत भेजते हुए कमलेश भट्ट के शव को रोशन रतूड़ी 
दिल्ली एयरपोर्ट तक उत्तराखंड सरकार ने जो एम्बुलेंस  भेजी थी उसी  में शव को लाया  गया ऋषिकेश. इस बीच कमलेश के परिजन दिल्ली हाईकोर्ट भी गए. हाईकोर्ट ने भारत सरकार को लताड़ भी लगाईं और इस मामले में स्थित स्पष्ट करने को कहा और हैरानी ब्यक्त की कोर्ट ने ऐसा क्योँ हुआ ? वहीँ कमलेश के परिजन देवभूमि के इस लाल रोशन रतूड़ी का धन्यवाद करते नहीं थक रहे हैं.

उनके लिए रोशन एक भगवान् से कम नहीं है. रोशन रतूड़ी एक नहीं बल्कि कई लोगों को भारत भिजवा चुके हैं. गल्फ देशों में भारत के नागरिक फंस जाते हैं किसी न किसी कारणवश ऐसे में मानवता के मद्देनजर देवभूमि उत्तराखंड का यह लाल रोशन रतूड़ी सामने आता है और अपना तन मन धन लगाकर उन लोगों को भारत जाने या भेजने में मदद करता है. इससे पहले भी देश भर के सैकड़ों लोगों को भारत भेज चुके हैं रोशन.
ऋषिकेश स्थित घाट पर किया गया अंतिम संस्कार  
किसी के पास पैसे नहीं होते हैं, उनके लिए घर तक टिकट कर के मदद करते हैं. विदेशों में अपना कोई नहीं मिल पाता है तो रोशन दौड़े चले जाते हैं उसके पास. रोशन खाड़ी देशों में काफी वर्षों से रहते हैं.
वहीँ उनका अपना काम है साथ में सामाजिक कार्य से भी जुड़े हैं. रोशन भारत के लोगों को कोई भी परेशानी होती है तो मदद करते हैं खुले दिल से. इससे पहले भी रोशन  ने  ऐसा  करके  मानवता  की  एक  बड़ी  मिशाल  प्रस्तुत  की  है.


रविवार, 26 अप्रैल 2020

एटा में घर में पांच मौतों पर हुआ खुलासाः बहू दिव्या ने जहर खिलाकर सबको मारा !फिर की आत्महत्या

दिल्ली : खबर उत्तर प्रदेश के एटा से है. एटा शहर के मोहल्ला श्रृंगार नगर में शनिवार की सुबह पांच शव एक मकान में मिले थे. लेकिन तफ्तीश के बाद पता चला कि बहु दिव्या ही निकली कातिल. दिव्या ने अपने एक साल के बेटे को भी नहीं छोड़ा. पांचों शवों का पोस्टमार्टम देररात तक हो पाया था. इसमें खुलासा हुआ कि चार की मौत नहीं बल्कि हत्या की गई थी, अंत में दिव्या ने खुद की जान ले ली. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चारों को पहले खाना खिलाया और उसी में नशीला पदार्थ खिलाया गया, जबकि दिव्या ने रविवार की रात खाना नहीं खाया था.
श्रृंगार नगर में यह परिवार रहता था. परिवार में सेवानिवृत्त स्वाथ्यकर्मी राजेश्वर प्रसाद पचौरी, पुत्रबधू दिव्या पचौरी पत्नी दिवाकर पचौरी, नाती आरूष (10) और आरव उर्फ छोटू (10 माह) दिव्या की बहन बुलबुल (25) के शव शनिवार सुबह बरामद हुए थे. बताया जा रहा है कि दिव्या की बहन बुलबुल कुछ दिन पहले रहने के लिए आयी थी. पुलिस सूत्र बताते हैं कि परिवार में घरेलू कलह था. पोस्टमार्टम में खुलासा हुआ कि दिव्या ने पारिवारिक कलह में चारों को रविवार की रात खाना खिलाया था, खाने में ही सभी को विषाक्त पदार्थ दिया गया. विषाक्त पदार्थ वाला खाना खाने से चारों की मौत हो गई. सीसीटीवी में भी कोई संदिग्ध नहीं दिखा. दित्य ने अपने एक साल के मासूम बेटे को भी नहीं छोड़ा. इसके बाद दिव्या ने सभी के गले दबाए और मासूम एक साले के बेटे के मुंह को दबाकर जान ले ली. दिव्या जब चारों की मौत से संतुष्ट हुई तब उसने खुद विषाक्त पदार्थ खाकर जान दे दी. जब लगा कि जान बच सकती है तो उसने ब्लेड से अपनी कलाई की नस भी काट ली थी. पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने सभी शव परिजनों को सौंप दिए. 
दिव्या का मायका मथुरा में है. छोटी बेटी बुलबुल के शव को मथुरा ले गए जब कि राजेश्वर प्रसाद पचौरी, दिव्या पचौरी, आरूष और आरव के शवों का अंतिम संस्कार गांव सिरसा टिप्पू में शनिवार की रात ही कर दिया गया. एटा के एसएसपी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि श्रृंगार नगर में मिले शवों का देर रात तक पोस्टमार्टम हो सका था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राजेश्वर प्रसाद पचौरी, बुलबुल, आरूष और आरव को खाने में विषाक्त देकर हत्या की गई. इसके बाद खुद विषाक्त पदार्थ खा लिया. अभी बिसरा और फोरेन्सिक रिपोर्ट आना बाकी है. वहीं दिव्या के पति दिवाकर का बुरा हाल है। उनका कहना है दिव्या ऐसा कर ही नहीं सकती। शुक्रवार की शाम भी बात हुई थी घर पर। उनका कहना है पांचों की हत्या हुई है। मामले की सीबीआई जांच की मांग की है दिवाकर ने।परिवार के अकेले बचे दिवाकर रुड़की में दवा कंपनी में काम करते हैं।

गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुले, पीएम मोदी के नाम से हुई पहली पूजा

देहरादून : चार धामों में से दो धाम गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट आज अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर रविवार को खुल गए. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पूरी तरह से पालन किया गया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अक्षय तृतीया महापर्व की शुभ बेला पर मंदिर समिति गंगोत्री को 1100 रुपये दान स्वरूप दिए. वहीं, धाम में पहली पूजा प्रधानमंत्री मोदी के नाम से हुई.
उत्तराखंड में गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट खुलने के साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा शुरू हो गई. लेकिन यात्री नहीं हैं इस बार. सड़कों पर बिरानी है. होटल, ढाबे,दुकानें सब बंद हैं. हालाँकि पर्वतीय जिलों में सुबह से शाम तक दुकानें खोलने की अनुमति सरकार ने दे दी है और पर्वतीय जिलों में अभी कोई कोरोना से संक्रमित मरीज भी नहीं है. कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन की वजह से इस यात्रा से फिलहाल श्रद्धालुओं को दूर रखा गया है. गंगा पूजन, गंगा सहस्त्रनाम पाठ एवं विशेष पूजा अर्चना के बाद वैदिक मंत्रोच्चार के साथ रोहिणी अमृत योग की शुभ बेला पर दोपहर 12:35 पर पुजारियों, मंदिर समिति के पदाधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में गंगोत्री के कपाट खोल दिए गए. 12 बजकर 41 मिनट पर यमुनोत्री धाम के कपाट खोल दिए गए हैं. इस दौरान सभी लोगों ने मास्क पहने थे और सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा गया था. इससे पहले शनिवार को माँ गंगा की डोली आयी थी मां गंगा की डोली.कल शनिवार को मां गंगा की डोली उनके मायके एवं शीतकालीन प्रवास मुखबा से भैरोंघाटी आई थी और वहां रात्रि विश्राम के बाद सुबह गंगोत्री पहुंची. अब केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल को खुलेंगे वहीं बदरीनाथ के कपाट 15 मई को खुलेंगे. मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल, अध्यक्ष गंगा पुरोहित सभा पवन सेमवाल, सदस्य मंदिर समिति, राकेश सेमवाल, सचिव मंदिर समिति,दीपक सेमवाल, एसडीएम देवेंद्र नेगी, सह सचिव राजेश सेमवाल, पुलिस उपाधीक्षक कमल सिंह पंवार, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डीपी जोशी भी मौजूद रहे. इससे पहले आज सुबह मां यमुना की डोली खरसाली से यमुनोत्री धाम के लिए रवाना हुई थी. इस दौरान उन्हें विदा करने के लिए भाई शनिदेव की डोली भी निकली. परंपरा के अनुसार मुखबा गांव से मां गंगा की भोग मूर्ति को डोली यात्रा को शनिवार को ही गंगोत्री धाम के लिए रवाना कर दिया गया था. वहीँ भैरोंघाटी में प्राचीन भैरव मंदिर में रात्रि विश्राम के बाद डोली यात्रा आज दोपहर तक गंगोत्री धाम पहुंची. चार धाम यात्रा का आगाज हो चुका है लेकिन अभी श्रद्धालु नहीं है. ऐसे में कोरोना संक्रमण से हालात ठीक हो जाएँ तो लोगों को भी आसानी हो जाएगी. सभी ने मंदिर में कोरोना से निपटने और सभी देशवासियों को सुरक्षित रखने के लिए भी प्रार्थना की.

लॉकडाउन पर बोले संघ प्रमुख मोहन भागवत स्वदेशी को अपनाना पड़ेगा

#संघ प्रमुख ने कहा मुस्लिमों से दूरी ये ठीक नहीं, सभी 130 करोड़ हमारे भाई-बंधु हैं.
#पालघर में साधुओं की लिंचिंग पर बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत-भय और क्रोध पर रखें काबू
नई दिल्ली: लॉकडाउन के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भगवत ने रविवार को महाराष्ट्र के पालघर में हुए साधुओं की लिंचिंग पर बोले. साथ ही उन्होंने संघ कार्यकर्ताओं से कहा है इस समय जरूरतमंद लोगों की मदद करें. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पालघर हिंसा पर कहा की साधुओं को पीट-पीट कर मार डाला गया. भय और क्रोध पर काबू रखें. उन्होंने किसी का अहित नहीं किया था. दो ‘साधुओं’ की हत्या हो गयी. क्या ऐसा होना चाहिए था? क्या कानून और व्यवस्था को किसी के हाथ में लेना चाहिए? पुलिस को क्या करना चाहिए था? यह सब कुछ सोचना है.
संघ प्रमुख ने कहा हमें संकट को अवसर बनाना होगा. उन्होंने कहा, “हमको लॉकडाउन का पालन करना होगा. हमे इस संकट से निकलना होगा. हमें स्वदेशी को अपनाना पड़ेगा. मोहन भगवत ने स्वावलंबी होने की बात फिर दोहरायी. उन्होंने कहा, “लॉकडाउन से वातावरण ठीक हुआ है, हवा-पानी ठीक हुआ है. इस पर विचार करना होगा. हमको इस बात पर विचार करना होगा कि हम लॉकडाउन के खत्म होने के बाद फिर से रोजगार का साधन कैसे पैदा कर सकते हैं ” लॉकडाउन के दौरान आरएसएस सक्रिय है, संगठन राहत कार्य में जुटा है. भारत ने इस महामारी का प्रभावी रूप से मुकाबला किया है अभी तक क्योंकि सरकार और लोगों ने इस संकट से निपटने के लिए आगे बढ़कर काम किया है. RSS ने मार्च में ही निर्णय लिया और जून अंत तक अपने सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया. लेकिन कुछ लोगों को लग सकता है कि सरकार हमारे कार्यक्रमों को प्रतिबंधित कर रही है.

उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा, महामारी का खात्मा होने तक हमें राहत कार्य जारी रखना चाहिए और कोविड-19 संकट से प्रभावित सभी लोगों की मदद करनी चाहिए. उन्होंने देश में स्थिति का फायदा उठाने संबंधी निहित स्वार्थों को लेकर आगाह किया. लोगों को जागरूक करने के साथ ही संघ कार्यकर्ता कोविड-19 के मद्देनजर सभी नियमों और सावधानियों का पालन कर रहे हैं. मोहन भगवत ने कहा, जब लोग कुछ नियमों और दिशानिर्देशों से बंधे हुए थे, तो उन्हें लगा कि उन्हें चीजों को करने से प्रतिबंधित किया जा रहा है. संघ प्रमुख ने कहा मुस्लिमों से दूरी ये ठीक नहीं, सभी 130 करोड़ हमारे भाई-बंधु हैं.

शनिवार, 25 अप्रैल 2020

रामलला के जल्द होंगे ऑनलाइन दर्शन, राम मंदिर ट्रस्ट लॉन्च करेगा वेबसाइट-

दिल्ली : अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट लांच करेगा वेबसाइट ताकि श्रद्धालु देश विदेश में रामलला के दर्शन कर सकेंगे. एक महीना हो गया है अयोध्या में धार्मिक अनुष्ठान और मंदिर आरती पर प्रभाव पड़ा है. लाखों की संख्या में श्रद्धालु अयोध्या के मंदिरों में होनी वाली आरती व धार्मिक अनुष्ठानों में आते थे और दर्शन करते थे. लेकिन सब बंद है आजकल लॉक डाउन के चलते.
श्री रामलला 
ठाकुर जी की आरती व दर्शन का आनलाइन प्रसारण भी नही हो रहा है. संतों, पुजारियों का कहना है लॉक डाउन पता नहीं कब तक चलेगा. ऐसे में वेबसाइट लांच करना अच्छा कदम होगा. साथ ही सोशल साइट पर आना भी अच्छा होगा क्योँकि श्रद्धालु सीधे दर्शन कर पाएंगे. राम जन्म भूमि परिसर में राम लला के नए अस्थाई मंदिर के पुजारी आचार्य सत्येद्र दास का कहना है कि लाॅक डाउन कब तक चलेगा कुछ कहा नही जा सकता. ऐसे में जहां आनलाइन से सारे काम हो रहे हैं वहीं राम लला के दर्शन व आरती का भी आनलाइन प्रसारण किया जाना चाहिए.  पुजारी ने बताया कि इसके लिए उन्होने श्रीराम जन्म भूमितीर्थ क्षेत्र ट्स्ट के पदाधिकारियो से बात की है.  ट्स्ट इसकी व्यवस्था बना रहा है. कनक भवन ,हनुमानगढी मंदिर की आरती को फेस बुक पर कभी कभी श्रद्धालुओं द्वारा प्रसारण किया जाता है लेकिन मंदिर की व्यवस्था में इसका नियमित व अधिकृत प्रसारण नहीं किया जाता.
डा अनिल मिश्र जो राम मंदिर ट्स्ट के सदस्य  हैं, उनका कहना है कि ट्स्ट की जल्द ही आफिशल वेब साइट ,फेसबुक व ट्वीटर अकाउंट तैयार हो जाएगा. इसके लिए आईटी की प्रफेशनल कंपनियो से संपर्क किया जा रहा है. जैसे ही ट्स्ट की वेब साइट लांच होगी उसी पर राम लला मंदिर की आरती भजन व अन्य अनुष्ठानों का प्रसारण शुरू कर दिया जाएगा. इसमें अब ज्यादा समय नही लगेगा. अगर ऐसा होता है तो देश विदेश जो लोग नहीं आ पाते हैं या जो लोग दूर हैं वे दर्शन कर पाएंगे रामलला के. 

शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

लॉकडाउन में जिंदगी अगंरेज की...

यह देख रहे हैं न आप लोग...यह कुत्ता है...
गलियों में आवारा घूमता रहता है, इसका नाम मैंने रखा है "अंगरेज".  अंग्रेज इसलिए क्योँकि इसकी आँखें भूरी हैं अंग्रेजी में ब्राउन कहते हैं जिसे. अभी चंद महीनों का है. इसके भाई-बहन थे, हमारे गेट के आगे, गली में उत्पात मचा के रखते थे. यह अंगरेज उनमें से इकलौता बचा है अब.
अंगरेज रात में 
इसकी मम्मी को खुजली वाली बीमारी हो गयी. इसलिए उसको कोई पसंद नहीं करता न इंसान न कुत्ते. इसकी फोटो इसलिए खींची मैंने क्योँकि इसने जिंदगी को बहुत नजदीकी से देखा और कई मौतों को दरकिनार कर जिंदगी बचाई अपनी. इसने अपने भाई बहनों को अपने सामने मरते देखा, गायब होते देखा. कहते हैं न सबसे पहले इंसान जिन जानवरों के बीच रहा या इंसान ने जिन जानवरों को अपने पास रखा उनमे से कुत्ता भी था. घोड़ा पहला था. इसका एक भाई तो इसी के रंग का था अंग्रेज टाइप ..ट्रैक्टर आया कुचल कर चटनी बना कर..10 मीटर आगे चला गया. फिर ब्रेक लगे रुक गया..क्वाव क्वांव एक दो बार हुई बस..तब तक काम तमाम हो चुका था. यह अंग्रेज देखता रहा, भटकता रहा मौत को अपने मन में रख कर.थोड़ी देर पहले खेलते थे साथ लेकिन अब नहीं है वह दूसरा अंग्रेज. 3 ठण्ड से मर गए. एक को दुसरे कुत्तों ने रात के 3 बजे नोंच नोंच कर फाड़ डाला.....सर अलग धड़ अलग. जब तक गली में इंसान निकला तब तक काम तमाम हो चुका था...थर्ड क्लास शिकारी कुत्ते खिसक चुके थे मौका-ए-बारदात से. लेकिन उस रात की दर्द की दहाड़ मेरे दिल में अभी भी जिन्दा है...पछतावा है...बचा नहीं सका उस बेचारे पिल्ले को. सबसे अहम बात देखिये, कुत्ते खुद कुत्ते को काट रहे हैं..क़त्ल कर रहे हैं. वो भी नवजात बच्चे को. कुछ महीने का पिल्ला. कोरोना तो इंसानों को आसानी से मार रहा है. इनसे बढ़िया कोरोना....
अंगरेज दिन में 
खैर,अब बचा है यह अंगरेज. इसको भी कई कुत्तों ने हमला किया कई बार, लेकिन इधर उधर घुस घुसा कर बच निकला...अभी जी रहा है जिंदगी अपनी. कितने दिन जियेगा पता नहीं. कभी कभार मैं भी एक दो निवाले डाल देता हूँ. कल रात को फोटो खींच रहा था इसकी, तो गर्दन इधर उधर कर रहा था, इसे पता था यह इंसान कुछ कर रहा है मेरे ऊपर...फिर आज सुबह गली में उजाले में खींची फोटक तो, पूँछ हिला रहा था..शायद फिर, समझ गया फोटक खींच रहा है यह इंसान करके. आज ज़िंदा है बेचारा...ये अंग्रेज भी इसलिए आ जाता है क्योँकि हमारे घर के गेट के आगे दुकान हैं, रोज लोग आते हैं क्याप क्याप ले जाते हैं ये देखता रहता है,कोई इसको पूछता नहीं है. कोई इसको नहीं खिलाता क्याप-क्याप.. इसकी मां को खुजली हो गयी..उसको न लोग देखते हैं, न खाना देते हैं, न कुत्ते पसंद करते हैं. जब देखो उसको काटने को दौड़ते हैं. वो भी लॉक डाउन में, ऐसी फंसी है जैसे रजिया डाकू के बीच फंस जाती है...अंगरेज जी रहा है..इसे क्या पता कोरोना वायरस क्या होता है ? इंसान का हाल भी आजकल इस जैसा तो नहीं, लेकिन इनसे भी अच्छा नहीं है..लेकिन कुत्तों की जिंदगी के किस्से भी अजीब हुए. यह भी एक हिस्स्सा था, मेरी आँखों देखी. आपके बीच शेयर कर रहा हूँ. जीता-जागता किस्सा ठैरा...बल !

बुधवार, 22 अप्रैल 2020

जब आया प्रधानमंत्री मोदी का भाजपा के इस नेता को फोन…तो पुरानी यादें हो गई ताजा


देहरादून : सालों बाद आपको देश का प्रधानमंत्री फोन कर खुद हाल-चाल पूछता है, तो आप अंदाजा लगा सकते हैं उस इंसान के मन में कितनी इज्जत होगी उस इंसान के बारे में जिसने अपना जीवन पार्टी को खड़ा करने में और लक्ष्य प्राप्त करने में लगा दिया हो और फिर आजकल के चौकाचौंध भरी जिंदगी कैमरे, अखबारों से दूर अपना जीवन परिवार के साथ बिता रहा हो. आज सुबह उत्तराखंड भाजपा के वरिष्ठ नेता मोहन लाल बौठियाल को आया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय से फोन. आपसे प्रधानमंत्री बात करेंगे. लगभग 3 मिनट बात हुई दोनों के बीच. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और सन 60 से जनसंघ से जुड़े मोहन लाल बौठियाल को आज यकीन नहीं हुआ कि उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय से अचानक फोन आया और प्रधानमंत्री बात कर रहे हैं. उनकी हाल चाल पूछ रहे हैं. उनके पार्टी, संगठन को दिए योगदान को याद कर रहे है. सुबह 8 बजकर 26 मिनट पर जब वे अपने गाँव एता में अपने गेंहू के खेतों की तरफ घूमने गए थे तभी ये फोन आया .जिसमें उनसे पूछा गया क्या मोहन जी बोल रहे हैं ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ये बताया गया कि प्रधानमंत्री बात करेंगे आपसे लाइन पर रहिये. फिर प्रधानमंत्री ने लगभग तीन मिनिट बात की बौंठियाल से. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि आज उन्होंने जनसंघ से जुड़े अपने पुराने लोगों से बात की. इसी क्रम में आप से बात कर रहे हैं. ये समय संकट का है इसलिए वे सभी से बात कर रहे हैं. साथ ही दोनों ने अपनी बद्रीनाथ व श्रीनगर गढ़वाल की मुलाकातों को याद किया.
मोहन लाल बौठियाल,भाजपा के वरिष्ठ नेता 
बौठियाल ने कहा कि ये किसी कार्यकर्ता के लिए बहुत बड़ा सम्मान है कि जब देश का प्रधानमंत्री स्वयं फोन करके उनका हालचाल पूछता है और मोदी जी की यही खूबी उन्हें जननायक बनाती है. एक विश्व नेता के तौर पर सिखर पर रखती है. गौरतलब है कि मोहनलाल बौठियाल उत्तराखण्ड में बीजेपी के संस्थापकों में से एक रहे हैं. सन 1958 में वे बाल स्वयं सेवक के तौर पर संघ से जुड़ गए थे 1960 में वे जनसंघ से जुड़े और फिर 1970 में जनता पार्टी में फिर 1980 में भाजपा के सदस्य बने और तब से आज तक जुड़े हुए हैं. उत्तराखण्ड में बीजेपी को एक पार्टी के तौर पर खड़ा करने के लिए वर्षों कठिन परिश्रम किया. वे राज्य बनने के बाद पार्टी के कई वरिष्ठ पदों पर रहे पंचायत प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रहे . अनुशासन समिति के अध्यक्ष रहे. वह कई बार गढ़वाल लोकसभा के प्रभारी व पालक रहे हैं. भुवन चंद्र खंडूरी के चुनव के समय भी वे पदाधिकारी थे. 2014 से 2020 तक राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे. बीजेपी सरकार के समय वन निगम व जलागम प्रबंधन समिति के अध्यक्ष रहे. वही विद्या भारती रामजन्मभूमि आंदोलन व राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका रही है. कई बार जेल भी गए हैं. आपातकाल में भी भूमिगत आंदोलन में सक्रिय रहे राज्य बनने से पहले पर्वतीय विकास परिषद के सदस्य भी रहे. वे एक जाने माने न्यूरोसर्जन भी हैं. उनके सुपुत्र भी न्यूरोसर्जन हैं अभी लखनऊ में हैं.मूलतः वे उत्तरकाशी के रहने वाले हैं, वर्तमान में वे देहरादून में रहते हैं. राजनीती में कहते हैं उगते सूरज को सलाम करते हैं सभी. ऐसे में जब प्रदेश में पार्टी पुराने लोगों को भूल रही है ऐसे में प्रधानमंत्री द्वारा पुराने लोगों को याद किया जाना उन लोगों के लिए भी संदेश है. जो आज पार्टी की चकाचौंध देख रहे हैं. लेकिन उस त्याग समर्पण को मेहनत को नहीं देख रहे हैं जिसकी बदौलत आज पार्टी इस मुकाम पर पहुँची है.
उनके इस फोन प्रकरण को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी शेयर किया है. उन्होंने कहा पार्टी में वरिष्ठों का कैसे सम्मान किया जाता है वह इसी पार्टी में हो सकता है. साथ ही कहा पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को भूलती नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस तरह पुराने लोगों को याद करना उनकी खूबी को दर्शाता है साथ ही एक आम कार्यकर्ता के लिए यह किसी प्रेरणा से कम नहीं है.

खून देकर अपना फर्ज निभा रहे हैं ऋषिकेश के पुलिसकर्मी

#इससे पहले भी ऋषिकेश कोतवाली इंडिया के टॉप 10 कोतवाली में हासिल कर चुकी है अपना मुकाम

ऋषिकेश lऋषिकेश पुलिस अपनी ड्यूटी के अलावा आम जन को सहयोग, मदद के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी आगे है l इसका आज एक बार फिर से मित्र पुलिस की शानदार मिशाल देखने को मिली. जब ऋषिकेश कोतवाली पुलिसकर्मियों ने कोरोना महामारी के चलते पुलिस उप- महानिरीक्षक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जनपद देहरादून से आज्ञा लेकर, ऋषिकेश पुलिस कर्मियों ने किया स्वैच्छिक रक्तदान किया. पुलिसिंग करना कितना चुनौती पूर्ण कार्य होता है सब जानते हैं. कानून व्यवस्था भी देखना, शहर की देखभाल भी करना, आम जन का भी ख्याल रखना, कोई भूखा न रहे वह भी देखना और फिर अपना खून भी देना. रक्तदान कर अलग मिशाल कायम करना.
सामाजिक संस्था हेल्पिंग हैण्ड के द्वारा सरस्वती विद्या मंदिर आवास विकास क्षेत्र में स्वैच्छिक रक्तदान कैंप का आयोजन किया गया था. जहां ऋषिकेश पुलिस के अधिकारी एवं कर्मचारी गणों के द्वारा स्वैच्छिक रक्तदान किया गया है. जिससे एम्स अस्पताल में इलाज हेतु आए हुए मरीजों का उपचार हो सके और रक्त की कमी को पूरा किया जा सके. कोरोना संक्रमण महामारी के चलते आजकल प्रत्येक ब्लड बैंक में रक्त की कमी हो गई है, लॉकडाउन चल रहा है देश में. बाहर आना-जाना लोगों को मनाही है, दिए गए समय में आप जरुरी सामान लेने जा सकते हैं नियम कानून के तहत. सोशल डिस्टेंसिंग पर पूरा ध्यान है. ऋषिकेश स्थित एम्स अस्पताल से लगातार रक्त की मांग होने पर पुलिस उप- महानिरीक्षक और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जनपद देहरादून से आज्ञा लेकर आज ऋषिकेश पुलिस कर्मियों ने स्वैच्छिक रक्तदान किया . जो अपने आप में एक मिशाल कायम करता है.
वक्त की नजाकत को समझते हुए पुलिस द्वारा ड्यूटी के साथ-साथ इस तरह काम की जितनी तारीफ की जाए कम है. इससे न केवल मित्र पुलिस पर भरोसा आम जन का बढ़ता है बल्कि शासन प्रशासन अन्य सम्बंधित बिभाग भी इससे प्रेरणा लेते हैं. जिन कर्मियों व अधिकारियों ने रक्तदान किया गया उनके नाम हैं – रितेश शाह प्रभारी निरीक्षक कोतवाली ऋषिकेश, सब इंस्पेक्टर चिंतामणि मैठानी प्रभारी चौकी आईडीपीएल, सब इंस्पेक्टर कुलदीप रावत, सब इंस्पेक्टर उत्तम रमोला, चौकी प्रभारी त्रिवेणी घाट
सिपाही 1458 विकास फोर, सिपाही 679 रुपेश, सिपाही सुधीर कुमार प्रमुख थे.

छोटी बच्ची को गोद में उठाए कोरोना से जंग को उतरी महिला सिपाही


लखनऊ : प्रेरणा इंसान को कहाँ से मिल जाए, कब मिल जाए कोई पता नहीं होता है. लेकिन इंसान को प्रेरणा बहुत कुछ करवा देती है जो उसे उस काम को करने में अहम भूमिका निभाती है. मुख्यमंत्री योगी से प्रेरणा लेकर छोटी बच्ची को गोद में उठाये कोरोना से जंग को उतरी महिला सिपाही. कोरोना फाईटर्स की हम लगातार बात करते आ रहे है जो जान जोखिम में डाल कर, तपती गर्मी में लोगों को बचाने के लिए उतरे हैं l इन्हें अपनी चिन्ता नही बल्कि चिन्ता है समाज को इस महामारी से बचाने की. लोग लॉक डाउन का कैसे पालन करें इसकी चिन्ता में दिन रात एक किये हुए हैं. बाराबंकी से पुलिस की एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जो पुलिसकर्मियों का सम्मान बढ़ा देती है.
सड़क पर लॉक डाउन का पालन करवाने का काम रही महिला पुलिसकर्मी अपनी छोटी सी बच्ची को गोद में उठाये ड्यूटी करती नज़र आई. इस महिला ने बताया कि जब हमारे मुख्यमंत्री अपने पिता के अन्तिम संस्कार में अपनी जिम्मेदारियों की वजह से शामिल नही हो सकते तो हम तो पुलिसकर्मी है हम अपनी बच्ची की देखरेख के बहाने घर कैसे बैठ जायें. देखा जाए तो वाकई में ये कोरोना योद्धा हैं.वैसे तो आम जनमानस की नज़र में पुलिस कर्मियों की छवि अच्छी नही होती मगर बाराबंकी में जो दिखा वह पुलिसकर्मियों का आम जनता में सम्मान बढ़ाने वाले था. यहाँ मुख्यालय पर लॉक डाउन का पालन कराने के लिए ड्यूटी पर लगाई गई महिला पुलिसकर्मी गोद में छोटी बच्ची को लेकर अपना फर्ज निभाती नजर आयी. अपनी बच्ची की देखरेख के लिए उसने छुट्टी नही ली बल्कि जब मुख्यमंत्री योगी अपनी जिम्मेदारियों के लिए अपने पिता की अन्त्येष्टि में शामिल नही हुए तो इसे भी अपना फर्ज याद आया और अपनी छोटी सी बच्ची को गोद में उठाकर अपनी जिम्मेदारियों को निभाने चल पड़ी. पुलिस की ड्यूटी ऐसे समय पर अहम हो जाती है ऐसे में ऐसे काम काफी प्रेरणा देते हैं समाज में.बच्ची को लेकर ड्यूटी कर रही महिला पुलिसकर्मी प्रीती तिवारी ने बताया कि वह महिला थाने पर तैनात है और उसकी छोटी सी बच्ची को देखने वाला दूसरा कोई नही है लेकिन जब हमारे मुख्यमंत्री अपने पिता के अन्तिम संस्कार में अपना फर्ज निभाने की वजह से शामिल नही होते है तो हम तो छोटे से पुलिसकर्मी है और हमारी जिम्मेदारी उनके मुकाबले काफी कम है तो हम अपना फर्ज निभाने के लिए अपनी बच्ची का बहाना कैसे करें .इसी बात से प्रेरणा लेकर वह अपनी छोटी बच्ची को साथ में लेकर अपना कर्तव्य निभा रही है

मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

Shops of educational books, electric fans, forestry items will be opened:MHA

Delhi : A mid of ongoing lockdown Home Ministry today expands lockdown exemption list: Shops of Educational books, Electric fans, Forestry items has been added.. The government has now exempted additional agricultural and forestry items, shops of educational books for students and shops of electric fans from lockdown restrictions A day after “select necessary activities” were allowed to be open, the Ministry of Home Affairs Tuesday issued new guidelines for the nationwide lockdown extended till May 3 to contain the transmission of the novel coronavirus.


In its revised list, the government has exempted additional agricultural and forestry items, shops of educational books for students and shops of electric fans from lockdown restrictions, besides allowing inter and intra state movement of planting materials and honey bee colonies, honey and other beehive products. The new list of exemptions also include sign-on and sign-off of Indian seafarers at Indian ports and their movement. In its last revised order on April 19, the government had revoked its April 15 order to restrict e-commerce to essential goods and groceries only.On April 15, a day after Prime Minister Narendra Modi announced an extension in the nationwide lockdown till May 3, the government released revised guidelines under which activities like agriculture, Information Technology, and movement of trucks and goods carriers were to be allowed from April 20 to “mitigate hardships to public.” Under the revised guidelines, the exemptions from the lockdown have also been granted to all health services, financial services, MNREGA works, public utilities, the supply of goods, e-commerce and cargo services. 

The government has also made face masks mandatory in public as well as work spaced and also emphasised on practising social distancing.A day later, the Centre issued an addendum to its instructions allowing certain more activities in sectors of agriculture, banking and rural construction.The Ministry of Home Affairs had then included “collection, harvesting and processing of Minor Forest Produce (MFP)/ Non Timber Forest Produce (NTFP) by Scheduled Tribes and other forest dwellers in forest areas” in the list of exemptions. Under the head of “Plantation”, it further allowed sowing, harvesting, processing, packaging, sale and marketing of “Bamboo, Coconut, Arecanut, Cocoa, Spices”.The total number of coronavirus cases has neared 19,000 as of April 21, including 602 deaths and 3,259 recoveries. On Tuesday, the government said the rate at which India was doubling the case numbers had slowed down considerably after the lockdown had been put in place.The week before the lockdown, which was imposed on March 24, India’s doubling rate was almost 3.4 days, meaning the total number of positive cases were doubling every four days. The growth of numbers in the last seven days, however, suggest that the doubling rate had gone down to 7.5 days..Coutesy: Indian Express 

कोरोना ने मध्य प्रदेश में एक और पुलिस अधिकारी यशवंत पाल की ले ली जान

#एक हफ्ते में दो अधिकारी खो चुकी है मध्य प्रदेश पुलिस
उज्जैन :कोरोना के कहर से मध्य प्रदेश को काफी नुकसान हुआ है, एक हफ्ते में 2 पुलिस अधिकारी खो दिए मध्य प्रदेश ने. अभी दो दिन पहले इंदौर में इंस्पेक्टर देवेंद्र चंद्रवंशी की मौत हुई थी अब शहर के नीलगंगा थाना प्रभारी यशवंत पाल (59) की कोरोना वायरस के इलाज के दौरान इंदौर के अरविंदो अस्पताल में मौत हो गई. ऐसे में मध्य प्रदेश पुलिस के लिए बहुत बड़ा झटका है. क्योँकि यही लोग फ्रंट लाइन में काम कर रहे हैं. इन्ही लोगों के ऊपर सारी व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी है. टीआई पाल के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उनकी पत्नी मीना और दोनों बेटियां फाल्गुनी और ईशा को विक्रमादित्य होटल में क्वॉरेंटाइन किया गया था. 15 दिनों तीनों की दो-दो बार जांच के लिए सैंपल लिए गए थे, मगर दोनों सैंपल की रिपोर्ट आज तक स्वास्थ्य विभाग को नहीं मिली है. एसपी रूपेश द्विवेदी का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ भोपाल में भी इस संबंध में बात कर ली गई थी, मगर उनके परिवार की जांच रिपोर्ट अभी तक नहीं आई. गौरतलब है कि रविवार को इंदौर में जूनी इंदौर थाना प्रभारी देवेंद्र चंद्रवंशी की भी कोरोना से लड़ते हुए मौत हो गई थी.
यशवंत पाल
प्रदेश में ऐसे समय में पुलिस कर्मी कोरोना की चपेट में आ रहे हैं जब वे रात दिन काम कर रहे हैं और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उनका अहम योगदान हो रहा है. हर कोई पुलिस कर्मियों की तारीफ कर रहा है. आम जन को पूरा सहयोग दे रहे हैं पुलिस कर्मी. इंदौर में जूनी इंदौर टीआई के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उनके साथ रहने वाले एक कांस्टेबल भी पॉजिटिव निकले थे. इंदौर और महू में भी एक-एक पुलिस अधिकारी कोरोना पॉजिटिव हैं, जिनका इलाज चल रहा है. भोपाल में भी कई पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव मिले हैं. ऐसे में दो मध्य प्रदेश पुलिस ने अपने अधिकारी खो दिए हैं. पुलिस कर्मियों को अपना ख़ास ध्यान रखने की जरुरत है.

North Korean leader Kim Jong Un’s ‘fragile condition’ after surgery !

South Korea looking into reports of North Korean leader Kim Jong Un’s ‘fragile condition’ after surgery ! Courtesy:HT

Speculation about North Korean leader Kim Jong Un’s health was raised after he missed the celebration of his late grandfather and state founder Kim Il Sung on April 15.The South Korean government on Tuesday was looking into reports saying North Korean leader Kim Jong Un was in fragile condition after surgery.


An official from the National Intelligence Service, who didn’t want to be named, citing office rules, said the spy agency couldn’t immediately confirm the report. CNN cited an anonymous U.S. official who said Kim was in “grave danger” after an unspecified surgery.The Unification Ministry, which deals with inter-Korean affairs, said it wouldn’t comment on the CNN report or another report by Daily NK, which cited anonymous sources saying Kim was recovering from heart surgery in the capital Pyongyang and that his condition was improving.The presidential Blue House didn’t immediately respond to a request for comment.Speculation about Kim’s health was raised after he missed the celebration of his late grandfather and state founder Kim Il Sung on April 15, the country’s most important holiday.Outside governments and media have a mixed record on tracking developments among North Korea’s ruling elite, made difficult by Pyongyang’s stringent control of information about them.In 2016, South Korea media quoted intelligence officials as saying Kim Jong Un had Ri Yong Gil, a former North Korean military chief, executed for corruption and other charges.
But North Korea’s state media months later showed that Ri was alive and in possession of several new senior posts.Kim’s absence from state media often triggers speculations or rumors about his health. In 2014, Kim vanished from the public eye for nearly six weeks before reappearing with a cane. South Korea’s spy agency said days later that he had a cyst removed from his ankle.Kim took power upon his father’s death in December 2011 and is the third generation of his family to rule the nuclear-armed country.Kim met President Donald Trump three times in 2018 and 2019 and had summits with other Asian leaders as he pursued diplomacy in hopes of ending crippling sanctions and getting security guarantees. But he maintained his right to a nuclear arsenal and most diplomacy has stalemated since...courtesy:HT

फूलचट्टी गंगाघाट पर हुआ CM योगी के पिता का अंतिम संस्कार

ऋषिकेश : योगी आदित्यनाथ केपिता आनंद सिंह बिष्ट का अंतिम संस्कार मंगलवार को किया गया। ऋषिकेश स्थित फूलचट्टी गंगाघाट पर सीएम योगी के पिता का अंतिम संस्कार किया गया. आनंद सिंह बिष्ट का 89 वर्ष की उम्र में दिल्ली एम्स में 20 अप्रैल की सुबह निधन हो गया था. दिल्ली से उनके पार्थिव शरीर को एम्बुलेंस से पैतृक गांव पंचूर लाया गया था।
मंगलवार सुबह ऋषिकेश के फूलचट्टी स्थित गंगाघाट पर सीएम योगी के पिता का अंतिम संस्कार किया गया. सीएम योगी के बड़े भाई मानवेन्द्र सिंह बिष्ट ने नम आंखों से पिता को मुखाग्नि दी. योगी आदित्यनाथ इस दौरान मौजूद नहीं रहे. लॉकडाउन के बाद योगी दर्शनार्थ गांव आएंगे। योगी के पिता आनंद सिंह बिष्ट की अंतिम यात्रा में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक और योग गुरु बाबा रामदेव घाट पर मौजूद रहे.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कंधा देते हुए व् श्रद्धाजंलि देते हुए 
बता दें बीते रोज दिल्ली के एम्स में योगी के पिता आनंद सिंह बिष्ट का निधन हो गया था. जिसके बाद उनके पार्थिव शरीर को सड़क मार्ग से उनके पैतृक गांव पंचूर लाया गया. देर रात एम्बुलेंस पहुंची पंचूर। जहां उनके पार्थिव शरीर को दर्शनार्थ रखा गया. जिसके बाद आज सुबह ऋषिकेश के फूलचट्टी स्थित गंगाघाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया.
विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल श्रद्धाजंलि देते हुए 

केदारनाथ के कपाट अब 29 अप्रैल को ही खुलेंगे, बद्रीनाथ के 15 मई को

देहरादून : केदानाथ धाम के कपाट अब 29 अप्रैल को खुलेंगे, पहले भी यही तिथि थी खुलने की. सोमवार को फिर ऐलान हुआ की नहीं 14 मई को खुलेंगे. मंगलवार को फिर ऐलान हुआ नहीं केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल के तय तिथि के अनुसार खुलेंगे. बद्रीनाथ धाम के कपाट 15 मई को खुलेंगे. केदारनाथ के रावल क्वारैंटाइन में हैं, उनके कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट तीन दिन में आएगी, उनका 14 दिन का क्वारैंटाइन 3 मई को खत्म होना है. वहीँ अब बद्रीनाथ धाम के कपाट बदली हुई तारीख पर ही खुलेंगे, लॉकडाउन का पालन किया जाएगा, वहीँ अब केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट खुलने को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. यह पहला मौका है, तीन बार कपाट खुलने की तिथि बदल चुकी है.
पहले से शिवरात्रि पर पारंपरिक तरीके से 29 अप्रैल की तारीख ही केदारनाथ के कपाट खुलने के लिए तय की गई थी. लेकिन समस्या रावल की थी. रावल महाराष्ट्र में फंसे थे और लॉकडाउन के चलते समय पर पहुंचना मुश्किल था. केदारनाथ का मुकुट भी उन्हीं रावल भीमा शंकर लिंग के पास था, इसके बिना पूजा संभव नहीं थी,वहीँ रावल का क्वारैटाइन 3 मई को खत्म हो रहा है. मंगलवार को ऊखीमठ में केदारनाथ के मंदिर समिति के अधिकारी, वेदपाठी, पंचगांव के लोगों की बैठक में तारीख 29 अप्रैल ही रखने का फैसला किया गया. इस बैठक में ऊखीमठ में मौजूद रावल नहीं आए. क्योँकि वह क्वारैंटाइन में हैं. उनसे लिखित में संदेश भेजकर सहमति मांगी गई थी. प्रशासन ने रावल को क्वारैंटाइन में रहने को कहा था. वह किस तरह कपाट खुलने की पूजा में शामिल होंगे, इसका फैसला शासन प्रशासन को करना है. रावल 19 मई को ऊखीमठ पहुंचे हैं. रावल की जांच हो चुकी है. रिपोर्ट 3 दिन में आएगी. वह महाराष्ट्र के नांदेड़ से आए हैं जो कि कोरोना का ग्रीन जोन है.
बद्रीनाथ के रावल जो 20 मई को उत्तराखंड पहुंचे हैं वो भी कोरोना के ग्रीन जोन घोषित केरल के कन्नूर से आए हैं. बद्रीनाथ के कपाट खुलने को लेकर टिहरी महाराज ने सोमवार को तारीख बदलने का फैसला लिया था. पहले 30 अप्रैल को कपाट खुलने थे, सोमवार को तारीख बदलकर 15 मई कर दी गई थी. सोमवार को सतपाल महाराज ने तारीख बदलने का जो बयान दिया था वह देर शाम बदल दिया और कहा था कि तारीख मंदिर समिति और रावल जी तय करेंगे. बद्रीनाथ की तारीख इसलिए भी जल्दी नहीं रखी जा सकती क्योंकि, वहां गाडू घड़ा की जो रस्म निभाई जानी है वह 30-40 महिलाएं मिलकर करती हैं और अलग-अलग सोशल डिस्टेंसिंग में यह फिलहाल संभव नहीं है.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी प्रतिक्रिया दी है. अपने फेसबुक पेज पर लिखते हुए उन्होंने कहा है ” स्थान, घटनाओं, पूजा स्थलों व धार्मिक यात्राओं का महात्म्य, उनसे जुड़ी ऐतिहासिक आध्यात्मिक परंपराओं से है, ये परंपराएं असंभव सी चुनौतियों के आने पर ही बदली या संशोधित की जानी चाहिये.क्या कोरोना संक्रमण, ऐसी चुनौती है कि, भगवान बद्रीनाथ जी के कपाट खुलने की तिथि बदली जाय जबकि, भगवान केदारनाथ जी के कपाट यथा तिथि खोले जा रहे हैं, बात समझ में नहीं आ रही है. परंपराओं को शिथिल करना कपाट खुलने से जुड़ी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक महत्व का शरण तो नहीं करेगा और यदि क्वारंटाइन का प्रश्न है, तो फिर आदरणीय रावल जी को हमने पहले आमंत्रित क्यों नहीं किया ? खैर लॉकडाउन तक मैं, सरकार के निर्णयों से बधां हुआ हूँ, मगर इस निर्णय ने मुझे उलझन में डाल दिया है”.

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