शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010

HAPPY NEW YEAR 2011








अंग्रेजों के नव वर्ष पर सभी को मेरी ओर से ढेर सारी बधाई...और अन्रेजों का कैलेण्डर आज से शुरू हो रहा है..२०११ के लिए...इस वर्ष पर अंग्रेजों जैसी तरक्की करो तो जाने..जिससे देश भी तरक्की कर सके...

बुधवार, 15 दिसंबर 2010

पाकिस्तान में पत्रकार की गोली मारकर हत्या--

पडोसी देश पाकिस्तान में एक बार फिर से मीडिया पर हमला हुआ, और एक पत्रकार की गोली मार कर हत्या कर दी...किसने गोली मारी अभी यह पता नहीं चल पाया है...यह घटना बलूचिस्तान प्रांत के खुजदार कस्बे की है .... पुलिस ने बुधवार को कहा कि खुजदार प्रेस क्लब के अध्यक्ष मोहम्मद खान सासोली की मंगलवार शाम को गोली मारकर हत्या कर दी गई....मीडिया जगत इस घटना की निंदा करता है..........

सोमवार, 13 दिसंबर 2010

घर में बीबी के 72 टुकड़े, फिर भी शांति ?


कहते हैं प्यार अँधा होता है लेकिन इस अंधेपन में एक इन्सान इतना अँधा हो गया कि उसने अपनी बीवी के ७२ टुकड़े कर डाले और तीन महीने तक फ्रिज में रखे रहा ..इस युगल के २ मासूम जुड़वां बच्चे इस सब से इतने लम्बे समय से अनजान बने रहे...और जिस घर में उनकी मां के के टुकड़े रखे गए थे..जिस बेतरतीब और निर्दयता से उनकी मां को मारा गया था...उसी घर में वे मासूम रह भी रहे थे...अपनी पापी बाप के साथ !लेकिन उनको कोई बताना वाला नहीं था तुम्हारी मां तुम्हारे बाप ने इतनी बुरी तरह क़त्ल कर दिया है. ....
पेशे से सोफ्टवेयर इंजीनियर,राजधानी दिल्ली का रहने वाला है, और उसकी पत्नी भी दिल्ली के द्वारका इलाके कि रहने वाली.....बताया जाता है कि राजधानी देहरादून में ये पिछले कई सालों से रह रहे थे...११ साल पहले प्रेम विवाह करने वाले इस युगल के पास सब कुछ होते हुए भी पता नहीं किस चीज़ कि कमी थी कि इतना बुरा खुनी खेल अपने ही घर में खेल रच डाला.....वो भी उस सख्स ने जो आज के सामाज में पढ़ा लिखा है और एक कुशल प्रोफेसनल ! मैं भी द्वारका में था....घर पर सुबह जब पता चला कि सामने वाले अपार्टमेन्ट के बहार मीडिया के लोग आये हुए हैं...तो पता चला कि देहरादून में हुए क़त्ल कि कहानी के पीछे सामने वाले अपार्टमेन्ट में रहने वाले एक परिवार के साथ लिखी गई है....मैं भी गया...हमारे भी रिपोर्टर आये थे..सभी पत्रकार आये हुए थे....लोग पूछ रहे थे क्या हुआ ..कैसे हुआ ....कब हुआ .....आदि...मगर सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि इंसान क़त्ल कर सकता है लेकिन इतना बुरा क़त्ल वो भी अपने परिवार के सदस्य का और वो भी अपनी पत्नी का....जीने मरने कि कसम जिसके साथ खाई हों...जिसे पत्नी माना हो.....रिश्ते नाते कहा रहे..?

क्या इंसान इतना पापी हो सकता हैं....जिस समाज में जन्म लिया है तो उस समाज को इसको समझना भी होगा....आंखिर ऐसा क्योँ हो रहा है...आंखिर हिन्दुस्तानी समाज जो विश्व में मिशाल के साथ पेश होता है ...उसके ऊपर प्रश्न उठने लग गए हैं....अगर ऐसे ही घटना देखने को मिलती रही तो ..वो दिन दूर नहीं जब लोग सामाजिक नहीं बल्कि एक दुसरे के खून के प्यासे हो जायेंगे...और कुछ कुछ ऐसा दिखने भी लग गया है...जो भी हुआ वह अचंभित करने वाला तो था ही. खास बात यह कि जो इंसान अपनी बीवी का क़त्ल करके घर में फ्रिज में तीन महीने रख सकता है और फिर उसी घर में रह भी रहा है....वो इंसान नहीं राक्षस है..इसमें कोई दो राय नहीं है....क्राइम के कई घटनाएं होती,दिखती रही हैं...क्राइम के एंगल से देखे तो यह घटना क्राइम के लिए एक अलग चैप्टर भी लिख गई ..!

विपक्ष बोला जेपीसी, सरकार बोली 'नो'!


लोकतंत्र के मंदिर कहे जाने वाली संसद..में अगर काम काज हो तो कितने दुःख की बात है....जैसे कोई मंदिर हो और उसमे पूजा हो तो कितना बुरा लगेगा ऐसा ही संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान हुआ...सभी ने देखा कैसे विपक्ष अध्यक्ष के कुर्सी के नजदीक अपनी मांग को लेकर चिल्लाता रहा और सरकार की कान में में खुजली तक नहीं हुई.....विपक्ष मांग करता रहा की जेपीसी से पुरे घोटाले की जांच करवाई जाए ....जो 2जी स्पेक्ट्रम के नाम से हुआ है...और सरकारी खजाने को नुकशान पहुचाया है....इस सारे मसले की जांच करवाई जाए....मगर कुछ नहीं हुआ और शीतकालीन सत्र ख़तम हो गया...लगातार २० दिन काम नहीं हुआ....लोक सभा और राज्य सभा दोनु सदनों में काम हो पाने का शर्मनाक रिकार्ड बन गया....!

नौ नवंबर से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र में पहले दिन को छोडकर हंगामे के कारण दोनों सदनों में प्रश्नकाल नहीं हो पाया। इस पुरे मसले पर जिसे 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन भी कहा गया है...इसमें हुई अनियमितताओं के चलते सरकारी खजाने को हुए कथित एक लाख 70 करोड रूपए के नुकसान हुआ है...इसी को लेकर विपक्ष मांग कर रहा था मगर पूरे शीतकालीन सत्र पर पानी फेर दिया... इस सबके लिए कौन जिम्मेदार होगा...कौन और किसकी जवाबदेही होगी....और जो खर्चा हुआ वह क्या वाजिब है...?आंखिर आम जनता ने यह सोच कर संसद में नेता को भेजता है की वह वहां पर लोगों की समस्या और देश के विकाश को लेकर आवाज उठाएगा और फैसले लेंगे...लेकिन सब बेकार....संसद के इस सत्र को चलाने में करीब डेढ अरब रूपए का खर्चा आया जबकि दोनों सदनों में 32 बैठकों के दौरान मुश्किल से दस घंटे बैठक चली, वो भी भारी हंगामे और नारेबाजी के बीच...अगर ऐसा ही होता रहा तो आने वाले समय में इसके बुरे नतीजे हो सकते हैं...क्यूंकि आम जनता खामोश नहीं बैठेगी !

शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

आंखिर सरकार तीन साल तक क्योँ सोई रही ?

नीरा राडिया के विदेशी एजेंट होने के सम्बन्ध में जो खबरें आ रही हैं, वो सच में चकित करने वाली बात है. एक बात तो तय है सरकार अब तक हाथ पर हाथ धरे क्योँ बैठी रही. बताया जा रहा है कि जो सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताई है....उसमे चौकाने वाले तथ्य हैं...जब सरकार को २००७ में शिकायत मिल गई थी....नीरा ने ३०० करोड़ कमाए वो भी सिर्फ नौ साल में.....तो सरकार की खोपड़ी में खुजली क्योँ नहीं हुई.....सब कुछ जानते हुए अनजान???......जो भी है मसला देश कि जनता के सामने आना चाहिए...ऊपर से विदेशी एजेंट होने कि बात......? खैर राजा कि तो कुर्शी गई.....फजीहत तो हुई.....मुकदमा दर्ज कर जल्द सजा देने कि कोशिश करनी चाहिए....एक विदेशी एजेंट होना वाकई देश द्रोह का काम है....और यह अच्छी बात नहीं है...............क्योँ तीन साल लगा दिए..........टेप करने में..या पहले क्योँ नहीं तहकीकात कि गई........और गिरफ्तार कर जेल भेजा जाना चाहिए था.....इसमें सरकार कि ढिलाई साफ़ नज़र आ रही है, इसमें दोषी तो सजा के लिए जिम्मेवार है ही साथ ही सरकार में बैठे जो मठाधीस बैठे हैं, जो जिम्मेवार हैं उनको भी सजा का स्वाद चखाना चाहिए.....और देश कि जनता के सामने यह सब होना चाहिए.....बाकी कौन किसके साथ बात कर रहा था...क्या था क्या नहीं बात की बात है...लेकिन आने वाले दिनों में देखने वाली बात यह होगी क्या सरकार वाकई इसमें कुछ करेगी या फिर और घोटालों की तारीकें लगा लगा कर इसको भी इतिहास न बना दे....?

सोमवार, 6 दिसंबर 2010

मैं तेरा राजा तू मेरी रानी..बेटा चाहिए तो चलो फतेहपुरी सीकरी...


भारत की यात्रा पर ना जाने कितने अनगिनत प्रधानमंत्री , राष्ट्रपति और राजा आये.....और चले गए...कुछ समय पहले तेज तरार अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भी भारत यात्रा पर आये...मगर उन्हूने अपने आप को राष्ट्रपति और बिजिनेसमैन के तहत अपने आप को रखा और पेश किया...मीडिया ने भी उसको स्वीकारा ...लेकिन आजकल जो राष्ट्रपति भारत आये हैं वो एक राष्ट्रपति अपनी राष्ट्रपति होने की वजह से नहीं बल्कि अपनी पत्नी की वजह से फेमस हैं... जी हाँ ...फ्रांस के राष्ट्रपति भारत यात्रा पर आये हैं.....अपनी ‘Highly Inflammable’ या ज्वलनशील गर्लफ्रेंड,[अंग्रेजी में इसलिए क्यूंकि यह शब्द तेल टैंकर पर लिखा होता है जो घातक और खतरनाक होता है ] प्रेमिका और अंत में जैसे तैसे बनी पत्नी के साथ.....मीडिया में जहाँ भी देखो एक राष्ट्रपति भारत आया... इस पर नहीं बल्कि उनकी नीली आँखों वाली और उनसे लम्बी-पतली और तेज तरार ब्रूनी आयी है....मीडिया की दिलचस्पी इस पर ज्यादा रही है..जहाँ देखो जवलनशील ब्रूनी ही दिख रही है....अखबार में... टेलिविज़न में हेड लाइंस में ..... सब जगह एक ही चीज़ प्रेमी रास्त्रपति और उनकी प्रेमिका जिन्हूने यूरोप के अशांति फैला रखी है...

स्पेस तकनीकी पर फ़्रांस के साथ समझौते हुए....ज्यादा तवज्जो नहीं मिली...रक्षा मामलों में कई समझौते हुए वो भी ऐसा ही रहा...सार्कोजी मंच पर बीच बीच में कंधे उचकाते नज़र आये...ऐसा इसलिए सायद हिंदी वो जानते नहीं अंग्रेजी उन्हें आती नहीं ....वहां पर कोई दुभाषिया भी नहीं था ना ही ट्रांसलेटर- कम- इयर फ़ोन....कुल मिलाकर उनका दौरा बड़ा रोचक रहा है अभी तक....ब्रूनी को तो सिर्फ ताज देखने में मशगूल थी....और शायद लगता भी है की सरकोजी को बोला हो मुझे ताज दिखाओ....! में कुछ नहीं जानती बस ! सार्कोजी ने सोचा होगा की वैसे तो जाया नहीं जायेगा दल बल के साथ और पत्नी के साथ जाया जाये..और ओबामा भी कुछ दिन पहले गए थे और यह मौका भी अच्छा है......ब्रूनी के साथ वह फतेहपुरी सिकरी भी गए..मजार पर भी गए....हमारे यहाँ एक बात गोरों को सही ढंग से बेवकूफ बनाया जाता है....बेटा मांगने के लिए फतेहपुर सिकरी पहुच गए...इतिहास में लिखा हुआ है फलाना राजा गया था...बेटा माँगा था और मिल गया...ये भी चल दिए मांगने केलिए....जबकि गोरे बेटा या बेटी वाले मसले पर कम ही बिलीव करते हैं.......जो हो गया जो पैदा हो गया चलेगा....वही गिफ्ट होता है..क्योँ की कुछ समय बाद तो तलाक लेना और देना होता है न ? जिंदगी भर के लिए जोड़ी तो बनती नहीं है ....अब देखना यह है की बेटा कब होता है..अगर जल्द हो जाता है तो फतेहपुरी सिकरी 'बेटा देना वाला एक BRANDED जगह बन जाएगी ' और फिर देखो गोरों के साथ देशी जोड़ों की भी लाइन लग जाएगी वहां पर....ताज को फिर जलन होगी....!

खैर सार्कोजी और ब्रूनी की प्रेम कहानी कोई ट्विस्ट से कम नहीं है....बीच में टूटने के कगार में पहुच चुकी थी...शुक्र हैं हिन्दुस्तान में ऐसा नहीं है वरना 'राजनीतिक भंवर ' आ जाता ....मगर एक राष्ट्रपति हो कर भी प्यार कर सकता है और अपनी प्रेमिका के साथ घूम सकता है ....कितना और कैसे टाइम मिल जाता है यह देखने वाली बात है...खैर.....दिखाने केलिए एक दिन एड्स मरीजों को देखने के लिए ब्रूनी सफदरजंग हॉस्पिटल भी गई....वो भी इसलिए क्यूंकि उनके भाई की भी एड्स से मौत हुई थी....बाकी उनको प्रोटोकोल से भी लेना देना नहीं...उनका चलना..हाव भाव...बोलना सब मस्त और अपनी मर्जी का...कोई प्रोटोकोल की परवा नहीं..खैर ये उनका अपना निजी और सरकारी दोनू तरह का मसला था...अंत में जायेंगे वह मुंबई हमें में मारे गए लोगों को सुमन अर्पित करने ...वो भी आखरी दिन...प्रधान मत्नरी की मीटिं भी बाद पहले ताज देखंगे..फिर बेटा की मुराद पूरी होगी...वो भी फतेहपुरी सिकरी में....मज़े की बात तो यह हुई ..जिस दिन ताज देखा... उसके दूसरे दिन बताया गया कि फिर से ताज देखेंगे .फिर फतेहपुर सिकरी जायेंगे...

लेकिन हमारे रिपोर्टर के उस होटल के गेट के बाहर खड़े-खड़े पेट में चूहे कूदने लगे मगर सरकोजी और ब्रूनी नहीं निकले होटल से बाहर...मैंने रिपोर्टर से पूछा निकले बाहर ...?मगर उधर से जवाब आया नहीं ! अंत में दोपहर ३ बजे के आस पास बड़ी मुश्किल से निकले..तब तक होटल में पता नहीं क्या कर रहे थे....शायद मुमताज़ और शाहजहाँ कि कहानी सुनने और सुनाने का काम कर रहे होंगे..फिर सीधे चल दिए बेटा मांगने
फतेहपुरी सिकरी !.....मगर एक बात समझ से परे है वो यह कि मुराद किसने मांगी होगी सार्कोजी ने या फिर ब्रूनी ने.....दोनू मांग नहीं सकते एक साथ....? मगर एक बात है राष्ट्रपति हो तो ऐसा..! खैर खुदा का शुक्र है ब्रूनी ने यह नहीं कहा चलो खजुराहो..फिर तो क़यामत ना आ जाती...? मगर इस सबका केंद्र बिंदु रहा फतेहपुर सिकरी के दिन लगता है अब फिरने वाले हैं ?

Дели: правительство Индии вводит запрет на 59 китайских приложений, включая работу Tiktok в Индии, в том числе UC Brozer

-Collab на Facebook может заменить Tik Tok, может скоро запустить Collab в Индии -Решение заставило китайские технологические компании сд...