मंगलवार, 31 मार्च 2020

कोरोना के खौफ से सैकड़ों नेपाली नागरिक फंसे भारत-नेपाल सीमा पर-

नेपाल नहीं आने दे रहा है अपने नागरिकों को,
पहले 31 मार्च तक था बॉर्डर सील अब 7 अप्रेल तक बढ़ाया
नेपाली नागरिक खुद अपनी  ही  सरकार  से हैं नाराज 
नेपाली मजदूरों की भीड़ 
धारचूला : नेपाल और भारत के बीच एंट्री पॉइंट उत्तराखण्ड में दो जगह है एक पिथौरागढ़ जिले के धारचूला बॉर्डर और दूसरा बनबसा बॉर्डर खटीमा के पास.  हर महीने हजारों नेपाली नागरिक भारत आते हैं काम करने. ऐसे में भारत में कोरोना के चलते लॉकडाउन हो रखा है. काम धंधे सब बंद पड़े हैं. अब नेपाली मजदूर करें तो क्या करे? काम है नहीं. घर वापस जाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. सैकड़ों नेपाली नागरिक धारचूला सीमा पर फंसे हुए हैं. पहले नेपाल सरकार ने 31 मार्च तक बॉर्डर सील रखने की सूचना दी थी. लेकिन अब इसको बढ़ा कर 7 अप्रैल कर दिया है. ऐसे में नेपाली नागरिक नेपाल सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. उनका कहना है की भारत विदेशों से अपने नागरिकों को जहाज भेज कर ला रहा है. वहीँ हमें हमारी सरकार पूछ भी नहीं रही है. ऐसे में न हमारे पास काम धंधा न खाने को. हालाँकि सीमा पर भारत की तरफ से इनको ठहराया गया है और उपचार और खाने की ब्यवस्था  की गयी है नेपाली नागरिकों की. स्थानीय प्रशासन नेपाल सरकार के अधिकारियों के साथ संपर्क बनाया हुआ है. 
झूला पुल, धारचूला 
ये नेपाली नागरिक उत्तराखण्ड में अलग अलग जिलों में काम करते हैं. वह किसी भी तरह अपने देश नेपाल जाना चाहते हैं लेकिन नेपाल की तरफ से बॉर्डर सील है. धारचूला में काली नदी पड़ती है. जिसके पुल को पार कर के आप नेपाल जा सकते हैं. और कोई रास्ता नहीं है. कल कुछ नेपाली युवक काली नदी में भी कूद गए थे जो  नेपाल जाने को ब्याकुल थे. तैर  कर उस पार तो पहुँच गए लेकिन नेपाली पुलिस  ने उनको  पकड़  लिया. उनमें से एक नेपाली युवक वापस आ गया, तीन पार पहुँच गए फिलहाल वे नेपाली पुलिस के हिरासत में है.
नेपाली युवक जो काली नदी में कूद गया था, नेपाली पुलिस की हिरासत में 
सभी नेपाली नागरिक अपनी साकार से नाराज हैं. वहीँ नेपाली सरकार ख़तरा मोल लेना नहीं चाहती है. कई लोगों ने आरोप लगाया नेपाल सरकार उनके साथ अच्छा ब्यौहार नहीं कर रही है.   उनका कहना है आखिर नेपाल सरकार हमें वापस क्यों नहीं आने दे रही. उन्होंने कहा कि जब भारत अपने नागरिकों को विदेशों से हवाई जहाज में बैठाकर ला सकता है तो नेपाल सरकार हमें बस एक गेट पार करने की इजाजत क्यों नहीं दे सकती. धारचूला में झूला ब्रिज पड़ताहै उसको पार करना पड़ता है तब आप नेपाल जा सकेंगे. बीच में काली नदी बहती है.  नदी के इस  पार भारत और उस  पार नेपाल पड़ता है.भारत की तरफ से  स्थानीय प्रशासन का कहना है कि उत्तराखंड के अलग अलग जिलों से करीब 600 नेपाली मजदूर धारचूला के झूला ब्रिज में जमा हो गए हैं. उन्होंने कहा कि मजदूरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. भारत की तरफ से इनका मेडिकल टेस्ट कराया है और भारत का स्थानीय प्रशासन नेपाल के स्थानीय प्रशासन के साथ संपर्क में है. नेपाल का कहना है कि 7 अप्रैल के बाद जब बॉर्डर खुल जायेगा तब नागरिकों को नेपाल आने देंगे.वहीँ नेपाली नागरिकों को अलग-अलग ग्रुप में  रखा गया है. बलवाकोट, जौलजीबी और धारचूला के स्कूलों में इनके रहने का इंतजाम किया है. जहां इनके उपचार, बिजली पानी की भी पूरी व्यवस्था है. उत्तराखण्ड में नेपाली नागरिक मजदूरी करने आते रहते हैं. पहाड़ों में काम करने के लिए नेपाली मजदूर कि काफी डिमांड है. क्योँकि नेपाली मजदूर बहादुर और ईमानदार होते हैं. इसलिए स्थानीय लोग नेपाली मजदूरों को काम देने में खुश रहते हैं. वहीँ नेपाली मजदूर भी उत्तराखण्ड में रहना पसंद करता है क्योँकि पर्वतीय प्रदेश होने की वजह से उन्हें भौगोलिक बदलाव महसूस नहीं होता है. करंसी का फायदा होता है. जितना नेपाली मजदूर यहाँ से कमा कर ले जाता है उससे ज्यादा करंसी वहां पर कन्वर्ट करने पर उनको प्राप्त होती है. इसलिए उत्तराखण्ड नेपाली मजदूर का सबसे पसंदीदा जगह बना हुआ है. 

सोमवार, 30 मार्च 2020

AIIMS ऋषिकेश में शुरू हुई कोविड-19 की जांच-

ऋषिकेश : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,ऋषिकेश,  में सोमवार से कोरोना वायरस कोविड 19 की जांच के लिए वायरोलॉजी लैब ने कोरोना टेस्ट करना शुरू कर दिया है l अब संस्थान में आने वाले मरीजों की कोरोना जांच के सैंपल दूसरी प्रयोगशालाओं में नहीं भेजने पड़ेंगे l संस्थान में मरीजों के कोविड-19 संक्रमण की जांच निशुल्क होगी l मगर संस्थान के चिकित्सकों के परामर्श पर ही मरीजों को इस जांच की सुविधा मिल सकेगी. उधर एम्स के ट्रॉमा सेंटर में 100 बेड के कोविड 19 आइसोलेशन वार्ड भी शुरू कर दिया गया है.इससे पहले ऋषिकेश एम्स में संक्रमण की ली गई सैंपल को हल्द्वानी भेजा जाता था. जिसकी रिपोर्ट आने में 7 दिन का वक्त लग जाते थे. अब 7 से 8 घंटे में यह रिपोर्ट मरीज को मिल जायेगी. जिससे राज्य के मरीजों को काफी फायदा होगा. 
AIIMS RISHIKESH 
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि संस्थान के माइक्रो बायोलॉजी विभाग की देखरेख में कोरोनो वायरस कोविड-19 के नमूनों की जांच के लिए वायरोलॉजी लैब में परीक्षण का कार्य विधिवत शुरू हो गया है. जिसमें कोरोनो के अलावा अन्य तरह के वायरस की टेस्टिंग भी की जा रही है..निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के सहमति के बाद एम्स संस्थान में वायरोलॉजी लैब में मरीजों के नमूनों का परीक्षण विधिवत शुरू कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में कोरोना वायरस के बढ़ते दुष्प्रभाव के चलते संस्थान में मरीजों के सैंपल की टेस्टिंग के लिए वायरोलॉजी लैब की नितांत आवश्यकता थी . लिहाजा इसके लिए आवश्यक संसाधन जुटाने के बाद आईसीएमआर, भारत सरकार से इसकी एप्रूवल ली गई. 
संस्थान में वायरोलॉजी लैब प्रारंभ कराने के लिए एम्स को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की ओर से प्रथम चरण में 150 और द्वितीय चरण में 300 पीसीआर किट (पॉलीमारेज चैन रिएक्शन) उपलब्ध कराई गई हैं. नवसृजित प्रयोगशाला में क्वालिटी टेस्टिंग का रिजल्ट बीते 26 मार्च को आईसीएमआर को भेजा गया,जिस पर 27 को आईसीएमआर द्वारा सहमति दे दी गई थी. अब एम्स अस्पताल में आने वाले कोविड 19 से ग्रसित मरीजों की सैंपल की जांच अन्यत्र नहीं भेजनी पड़ेगी और रिपोर्ट के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा.संस्थान में कोविड 19 प्रयोगशाला के प्रभारी डा. दीपज्योति कलिता ने बताया कि दुनियाभर में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर एम्स में वायरोलॉजी लैब की स्थापना को लेकर निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत सतत प्रयासरत थे, लिहाजा निदेशक एम्स के प्रयासों से आईसीएमआर द्वारा संस्थान में वायरोलॉजी लैब की स्थापना व टेस्टिंग की मंजूरी मिल सकी, जिसका लाभ यहां आने वाले कोरोना आशंकित व संक्रमित मरीजों की सैंपल जांच में मिल सकेगा.उन्होंने बताया कि अब तक संस्थान में कोविड 19 की जांच के सैंपल वायरोलॉजी लैब हल्द्वानी व पूणे भेजने पड़ते थे, लिहाजा रिपोर्ट आने में चार से 10 दिन का समय लगता था. उन्होंने बताया कि वर्तमान में संस्थान में एक दिन में 25 टेस्ट किए जा सकते हैं. जबकि दो सप्ताह बाद प्रतिदिन 50 टेस्ट की सुविधा मिल सकेगी. 
LAB 
इसके लिए संस्थान की ओर से 10 पीजी चिकित्सकों, जूनियर रेजिडेंट्स व पीएचडी विद्यार्थियों को टेस्टिंग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. आईसीएमआर के प्रोटोकॉल के तहत संस्थान में मरीज की नेगेटिव टेस्ट रिपोर्ट में दो दिन व पॉजीटिव टेस्ट रिपोर्ट में तीन दिन का समय लगेगा.निदेशक के स्टाफ ऑफिसर डा. मधुर उनियाल ने बताया कि एम्स संस्थान के ट्रॉमा सेंटर में कोविड-19 से आशंकित व ग्रसित मरीजों के लिए 100 बेड का आइसोलेशन वार्ड शुरू कर दिया गया है.उन्होंने बताया कि पेसेंट की संख्या के मद्देनजर जल्द ही वार्ड में बेडों की संख्या में और अधिक इजाफा किया जाएगा l

कोरोना की मार...कलयुग के हनुमान पर भी पड़ी !

लॉकडाउन के चलते बन्दर भी परेशान,
न मिल रहा  खाना...न मिल रहे इंसान...
देहरादून : कोरोना वायरस की मार से लॉकडाउन हुआ देश में इंसान ही नहीं बल्कि जंगली जानवरों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ा है. जंगल में रहने वाले बंदर आजकल दाने-दाने के लिए मोहताज हैं.पहले जंगल के बीच सड़कों से जब लोग गाड़ियों से या पैदल जाते थे तो बंदरों को कुछ न कुछ दे जाते थे खाने के लिए. लेकिन अब लॉक डाउन होने की वजह से लोगों का आनाजाना बंध हो गया. वहीँ बंदर भी अब रोड किनारे या जंगल में मुंह लटकाये बैठे रहते हैं.
एक तो लोगों ने बंदरों की आदत अब बदल दी है. पहले बंदर जंगलों में रहते थे वहीँ अपना खाना पीना देखते थे. लेकिन अब गाड़ियों में लोग आते जाते हैं और चिप्स, कुरकुरे,ब्रेड, केला, फल इत्यादि फेंक कर चले जाते हैं. इससे बन्दर इन्तजार में सुबह सड़कों किनारे बैठे रहते हैं. घूमते रहे हैं.  जैसे ही छोटी गाडी यानि कार आती है भंडार अलर्ट हो जाते हैं. उम्मीद भरी निगाहों से देखने लगते हैं. ऐसे में अब लॉकडाउन के चलते न गाड़िया आ रही हैं, न इंसान आ-जा रहे हैं. अब जो  थोड़ा  बहुत  खाने  पीने को  मिलता  भी  था  वह  भी  नहीं  मिल रहा है अब. कुछ लोग धार्मिक  मान्यता  के तहत  बंदरों को हर मंगलवार  या  शनिवार  को खिलाते  थे खाना,फल-फूल लेकिन लॉकडाउन के चलते वह भी बंद हो गया है आजकल. जंगलों में खाने को अब कुछ नहीं  रहा.कस्बे, खाली जगह,खेत अब कंक्रीट के शहर में तब्दील होते जा रहे हैं.
ऐसे में बन्दर जाएँ तो जाएँ कहाँ ? महामारी के चलते इंसान घरों में कैद हो गया है. जंगली जानवरों की और देखने वाला कोई नहीं है ऐसे संकट के समय. उत्तराखंड में अधिकतर क्षेत्र वन क्षेत्र है. ऐसे में देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, अल्मोड़ा, हल्द्वानी, नैनीताल, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चम्पावत, रानीखेत, चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, थराली, गरुड़, सोमेश्वर, कांडा-कपकोट, जोशीमठ,अगस्तमुनि, मुनस्यारी, थल-मवानी, उधम सिंह नगर, खटीमा, काशीपुर ये सब क्षेत्रों में बंदरों की संख्या काफी है.कहीं पर्वतीय क्षेत्रों में तो जंगलों में फिर भी कुछ खा लेते हैं लेकिन मैदानी क्षेत्रों में जंगल भी इंसान ने नहीं छोड़े. कुछ न कुछ जंगल में जड़ी बूटी, फल फूल जो भी होता है वह इंसान तोड़ लेता है. बंदरों के लिए कुछ नहीं बचता है. ऐसे में बंदरों को बड़ी विकट हालत का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में सरकारें  इंसान को  बचाने  में जुटी  हुई  है. वहीँ इन  बेजुबान जानवरों  को  कोई नहीं  देखने वाला .ये क्या  करे  ? किसे  कहें अपना दुःख-दर्द ? 
लोगों ने बिगाड़ दी आदत: नौटियाल- प्रमोद नौटियाल बरिष्ठ पत्रकार &एक पर्यावरण  प्रेमी और जंतु  प्रेमी  भी हैं. काफी वर्षों  से ऋषिकेश, देहरादून क्षेत्र में बंदरों पर रिसर्च कर रहे हैं और बंदरों  पर लगातार नजर बनाये रहते हैं. इनका कहना है कि लोगों ने बंदरों की आदत बिगाड़ दी है. लोग सीसा नीचे कर के गाडी से आते हैं और खाना-पानी फेंक कर चले जाते हैं,ऐसे में बंदरों के मुंह पिज़ा, बर्गर, चाउमीन, कुरकुरे जैसा  स्वाद लग गया है.अब बंदर जंगल के कंद मूल  खोदने में ढूंढने में वक्त जाया नहीं करना चाहता है. जहाँ कहीं पर है भी वहां पर इंसान पहुँच जाता है खोदने, तोड़ने. बंदर के हाथ से वह भी गया. बंदर को मुफ्त में बिन मेहनत किये सामान सड़क किनारे मिल जा रहा है. ऐसे में यह जंगली जानवरो के लिए बड़ा ख़तरा है. क्योँकि अधिकतर जो फेंक के जाते हैं उनमें केमिकल  होता है जो बंदर के सेहत के लिए हानिकारक भी  है. इससे बायोडायवर्सिटी को भी खतरा बना रहता है.
प्रमोद नौटियाल
कुछ रोचक जानकारी बंदरों के बारे में :बंदर जिन्हें हम मंकी भी कहते हैं, बहुत ही बुद्धिमान और शरारती जानवर होते हैं. यह जानवर हम इंसानों के सबसे क़रीबी रिश्तेदार हैं. मनुष्य भी समय के साथ बंदर से ही विकसित हुआ है, और इसलिए आज भी हमारा 98% DNA इन जानवरों से मेल खाता है. बंदर एक मेरूदण्डी, स्तनधारी प्राणी है, तथा इसे कपि और वानर भी कहा जाता हैं. इसके हाथ की हथेली एवं पैर के तलुए छोड़कर सम्पूर्ण शरीर घने रोमों से ढकी है. कर्ण पल्लव, स्तनग्रन्थी उपस्थित होते हैं. मेरूदण्ड का अगला भाग पूँछ के रूप में विकसित होता है. हाथ, पैर की अँगुलियाँ लम्बी नितम्ब पर मांसलगदी है.जब बंदरों को शीशा दिया जाता है तो ये सबसे पहले अपने गुप्तांगों का निरीक्षण करते है.

बंदरियाँ अपने पेट में बच्चे को 134 से 237 दिनों तक रखती है. इनकी उम्र 10 से 50 साल तक होती है अब तक सबसे ज्यादा जीने वाले एक मंकी की उम्र 53 साल थी.बंदर आम तौर पर पेड़ो, घास के मैदानों, पहाड़ों और जंगलों में रहते हैं. सबसे पहले इसका जवाब दिया गया: बंदर शाकाहारी होते या मांसाहारी? बंदर वैसे तो मुख्यतः अपने खाने में फल ,नट्स , पत्तियां , आदि ही खाते है। अत: कह सकते है की बन्दर सामान्यत शाकाहारी ही होते है , लेकिन शाकाहार के उपलब्ध न होने पर वह माँसाहार भी करते है. दुनिया का सबसे छोटा बंदर पिग्मी मार्मोसेट, एक अंगुली से भी है छोटा / दुनिया का सबसे छोटा बंदर पिग्मी मार्मोसेट, एक अंगुली से भी है छोटा.सबसे बड़ा बंदर कहाँ पाया जाता है तथा उसका नाम क्या है ? मैनड्रिल प्राइमेट पुराने विश्व बंदर की प्रजातियों में से एक है, जो गिनी और कांगो में पाया जाता है. मैनड्रिल दुनिया में बंदरों की सबसे बड़ी प्रजातियां हैं, जिन्हें ड्रिल नाम की दूसरी प्रजाति के साथ जंगली दुनिया का सबसे खूबसूरत जानवर भी कहा जाता है।

कर्नाटक में लोगों ने बनाया बन्दर का मंदिर : अभी  कुछ दिन  पहले कर्नाटक में बन्दर की मौत  हो गयी  थी  वहां  लोगों ने बन्दर के नाम से मंदिर बना  डाला. क्योँकि  बन्दर लोगों के साथ  इतना  घुल  मिल गया था. हिंदू रीति रिवाज से किया अंतिम संस्कार. गांव के मुखिया ने दिया था पैसा.  वैसे  भी बंदर को कलयुग  का भगवान्  कहते  हैं हनुमान  के रूप  में देखा  जाता  है. वैज्ञानिकों ने कई बार रिसर्च कर के बताया है,इंसान और बंदरों का डीएनए काफी मुलता जुलता है.कर्नाटक के दावणगेर जिले के चन्नागिरी तालूक के एसवीआर कॉलोनी की घटना है यह. वहां पर स्थानीय लोगों ने एक मंदिर बनवाया है बन्दर के नाम पर. मंदिर की स्थापना एक बंदर की याद में की गई है, जिसकी हाल ही में अचानक मौत हो गई थी. स्थानीय लोगों का कहना है कि उस बंदर से उनकी भावनाएं जुड़ी थीं.लोगों के मुताबिक तीन महीने पहले कॉलोनी में बंदरों का एक समूह आ गया था.ये बंदर कभी भी वहां किसी को परेशान नहीं किए. खास बात यह है कि यहां के बच्चों के साथ ये बंदर पालतू जानवरों की तरह खेला करते थे.

बच्चों को भी उनके साथ काफी मजा आता था. इससे ये बंदर कॉलोनी वालों के लिए बड़े करीबी हो गए थे. स्थानीय लोगों का मानना है कि बंदरों का समूह बड़ा ही नम्र और आज्ञाकारी था। वे साथ-साथ खेलते और खाते थे. सबके साथ घुल-मिल गए थे. कॉलोनी वालों को बंदर की मौत पर किसी अपने के चले जाने जैसा महसूस हुआ.मृत बंदर से अपने जुड़ाव के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करने के लिए स्थानीय लोगों ने हिंदू रीति-रिवाजों के साथ उसका अंतिम संस्कार किया. बाद में लोगों ने गांव के मुखिया से मिलकर उसकी याद में एक मंदिर बनाने के लिए फंड की मांग की. फंड मिलने पर वहां मंदिर बनना शुरू हो गया. मंदिर उसी जगह बनाया जा रहा है, जहां उसका अंतिम संस्कार हुआ था. ऐसे भी इसी देश में होता है.  

गुरुवार, 26 मार्च 2020

ऋषिकेश AIIMS में सोमवार से होगी कोरोना की जांच

कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में मिलेगी इससे काफी मदद

ऋषिकेश : उत्तराखण्ड के सबसे बड़े हॉस्पिटल ऋषिकेश AIIMS में सोमवार से कोरोना के संक्रमित हुए मरीजों की जांच शुरू  होगी. एम्स निदेशक पद्मश्री व यश भारती से सम्मानित डा. प्रो. रविकांत का कहना  है हम  पूरी  तरह  से तैयार  हैं  हर  किसी  भी  स्थति  का  सामना  करने  के लिए. हमारी  तैयारी  पूरी  है. मरीज का  सैम्पल लेने  के बाद 24 घंटे  में रिपोर्ट  मरीज को  दे  दी  जाएगी. एक दिन में यहाँ 100  सैम्पल की जांच हो सकेगी. अभी एम्स के पास 300  किट हैं 10  हजार किट और आर्डर किया है ताकि कोई भी एमरजेंसी हालात में समस्या न हो.
                                               AIIMS Director, Dr.Prof.Ravikant 
एम्स निदेशक ने बताया की कोविड-19  संक्रमित मरीजों की जांच के लिए अनुमति मिल चुकी है. पहले से हम इसके लिए तैयार थे. थोड़ा बहुत काम और करने की जरुरत है वह पूरा जल्द कर लिया जायेगा. टीम उस काम में लगी हुई है. सैम्पल लेने के बाद जांच रिपोर्ट इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी ICMR को भेज दिया जायेगा स्वीकृति के लिए. उसके बाद सम्बंधित रोगी को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी. इससे  पहले  राज्य से सैम्पल पुणे या सुशीला तिवारी  हॉस्पिटल हल्द्वानी  भेजे  जाते थे. जिसमें समय  लगता  था जो अब नहीं लगेगा. इससे मरीज के जल्द उपचार करने में भी काफी मदद मिलेगी. 
Rishikesh  AIIMS
एम्स में माइक्रोबायोलॉजी के इंचार्ज डा. एम्. दीपज्योति  कलिता का कहना है कि क्वालिटी  कण्ट्रोल  से जुडी सभी मसलों को पूरा किया जा रहा है.समय पर ऑप्टिमाइजेशन का काम पूरा हो इसके लिए दिन-रात टीम काम कर रही है. सोमवार से एम्स में जांच शुरू कर दी जाएगी. एम्स ऋषिकेश में इस बिमारी की जांच शुरू होने के बाद इस महामारी से लड़ने में काफी मदद मिलेगी. ऋषिकेश एम्स न केवल उत्तराखंड के मरीजों के उपचार में वरदान साबित हो रहा है बल्कि उत्तर प्रदेश व् अन्य राज्यों के कई मरीज भी यहाँ उपचार के लिए आते हैं. बिजनौर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली,मेरठ, गाजियाबाद तक के मरीज काफी संख्या में यहाँ उपचार के लिए  आते हैं. 

मित्र पुलिस उत्तराखंड की वास्तव में जनमानस के साथ मित्रता-

देवभूमि उत्तराखण्ड की पुलिस जिसे मित्र पुलिस भी कहा जाता है. ऐसे में उत्तराखण्ड पुलिस की जिम्मेदारी और अहम हो जाती है पुलिस के साथ मित्रता शब्द जुड़ने से. आपदा ग्रस्त राज्य होने के कारण पुलिस पर हमेशा दवाब बना रहता है.क्योँकि कोई भी घटना होती है सबसे पहले आम जनता पुलिस को ही सूचित करती है. पुलिस सबसे पहले पहुँचती हैं और मामले से  सम्बंधित बिभाग और अधिकारी को सूचित करती है. अधिकतर आप खबरें देखते होंगे जिसमें पुलिस  का  अमानवीय  चेहरा  अधिक  दिखाई  देता  है. लेकिन  देवभूमि उत्तराखण्ड की पुलिस इससे  विपरीत  है. काम से भी नाम से भी. वर्तमान में कोरोना जैसी महामारी को देखते हुए पुलिस की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है. लॉक डाउन के हालत में पुलिस कर्मी, अधिकारी अपने घर,परिवार को छोड़ कर आम जन को अपना परिवार मान कर चलती है और उसी अनुसार काम भी करती है. जो भी उत्तराखण्ड आता है वह यहाँ  की पुलिस की तारीफ  जरूर  करता  है. चाहे वो पर्वतीय क्षेत्र में हो या मैदानी क्षेत्र में. पुलिस का स्वाभाव, स्वरुप एक जैसा दिखाई देता है. वैसे भी पुलिसिंग थैंक्सलेस जॉब है, इसलिए अपने काम पर फोकस रखना पड़ता है. क्योँकि, तारीफ तो कहीं से मिलेगी नहीं. लोग तो कह देंगे ये आपकी ड्यूटी है. उसी 'ड्यूटी' को बखूबी निभा रही है उत्तराखंड की पुलिस. 

ये कुछ तस्वीरें हैं जो अलग-अलग जनपदों की हैं.जिसमें पुलिस ने केवल वर्तमान में कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के चलते आम जान, गरीब, बेसहारा लोगों की मदद कर रही है बल्कि ऐसे काम करके अपना नाम भी कमा रही है. यही कर्म और सेवा भाव उत्तराखण्ड की पुलिस को अलग श्रेणी में रखता है.

उत्तराखंड  के   DG L/O अशोक कुमार  का जवानों को निर्देश-
लॉकडाउन में लोगों के प्रति हैल्पिंग और मानवीय दृष्टिकोण अपनाएं। हमें पुलिस ज्यादती की शिकायतें नहीं आने देनी हैं। हमें संयम और सतर्कता को नहीं खोना है। हमारी छवि सकारात्मक होनी चाहिए क्योंकि ये सब हम जनता के लिए ही कर रहे हैं।
DG L/O अशोक कुमार
हरिद्वार की पुलिस का कहना है. शहर भले ही लॉकडाउन पर है, पर हम अपना काम कर रहे हैं। लॉकडाउन के बीच हरिद्वार में पुलिस के जवान मजबूर, निर्बल, असहाय लोगों की सेवा में लगे हुए हैं। पुलिसकर्मियों ने जरूरतमंद लोगों को खाने पीने व आवश्यक सामग्री मुहैया करायी गयी. ऐसे में भूखे को खाना मिल जाए उससे बढ़कर और क्या होगा.



जनपद पौड़ी गढ़वाल की पुलिस को देखिये. इन्होने निभाया मानवता का धर्म असहाय व गरीब लोगों को वितरित की गयी खाद्य सामग्री बंद  के दौरान. ऐसे में कौन इनको आशीष नहीं देगा. एसएसपी पौड़ी दलीप सिंह कुंवर के आदेसुनासर पुलिस कर्मियों को अलग अलग-जगह पर गरीब, असहाय  लोगों को खाद्य  सामिग्री  वितरित  की गयी और आगे भी की जाएगी करके जानकारी दी गयी.



ये हैं उधम सिंह नगर के पुलिस कर्मी , "बच्चों को चेहरे की खुशी और आंखों की चमक से लॉकडाउन ड्यूटी की सारी थकान ही दूर हो गयी।" जानिए ऐसा क्या हुआ ऊधमसिंहनगर के किच्छा में SI रमेश चन्द्र बेलवाल के साथ। चेकिंग के दौरान एक पिता अपने बच्चों को लेकर अपने घर जा रहा था क्योँकि वहां काम बंद हो गया था, उसने बताया रमेश चंद्र बेलवाल को कि उसने और उसकी दो बेटियोँ ने खाना नहीं खाया है 24 घंटे से, साइकिल में हल्द्वानी से किच्छा  जा रहा था अपने घर लगभग  50  किलोमीटर की दूरी पड़ती है. ऐसे में सभी पुलिस कर्मियों ने आपस में योगदान कर आर्थिक सहायता पीड़ित ब्यक्ति को दी गयी. कोरोना वायरस से बचने के लिए बताया गया. उनको सेनिटाइज किया गया. बच्चियों को टॉफी दी गयी. निसंदेह, इसको कहते हैं मित्र पुलिस.


नैनीताल के ज्योलीकोट में तैनात पुलिस : लॉकडाउन के दौरान नैनीताल के ज्योलीकोट में तैनात पुलिस के जवानों द्वारा सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों के ग्राम सीमलखेत एवं बेलवाखान जो मुख्य मार्ग से लगभग 2 किमी दूर थे, पैदल जाकर गरीब एवं असहाय परिवारों को उनके घर पर आवश्यक खाद्य सामग्री वितरित की गयी। पहाड़ में पैदल चलना कितना मुश्किल होता है और वो भी २ किलोमीटर. मैदान का किलोमीटर और पहाड़ का किलोमीटर कैसा होता है आप अंदाजा लगा सकते हैं. शारीरिक कष्ट के बावजूद जवान इतनी दूर गए और मदद की तारीफ के लायक है. 
वीडियो है /स्क्रीन शॉट 

सरोवर नगरी नैनीताल की पुलिस, इन्होने जरूरतमंद और असहायों की मदद के लिए अपने हाथ आगे बढाए. मित्र पुलिस का फर्ज निभाया. लॉकडाउन के दौरान ..ये लोग कहाँ से भोजन पाते? आखिर पेट की भूख मिटानी सब को है. पुलिस के जवानों द्वारा गरीब व असहाय लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की गयी।जिसे सभी ने सराहा. ऐसे में पुलिस के अलग तस्वीर सामने आयी उन आँखों के आगे जो बेबस थे.



पिथौरागढ़ पुलिस-यहाँ पर पुलिस द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग को बढ़ावा देने के साथ-साथ असहाय और जरूरतमंदों के लिए खाने की व्यवस्था की  गयी. आप देख सकते हैं तस्वीरों में. कैसे ये लोग मदद कर रहे हैं. जिसमें जानकारी दे कर जागरूक भी कराया जा रहा है और बेबस लोगों को मदद भी की जा रही है. कैसे पुलिस कुमाउँनी बोली में पंक्तियाँ लिख कर दिखा रही है. "हम आपके खातिर काम कर रहे हैं और आप हमारे खातिर घर में रहिये'. खुद एसपी प्रियदर्शिनी कमान संभाली हुई हैं, आम लोगों को जानकारी दे रही हैं आपको कैसे रहना है इस बीमार की रोकथाम के लिए क्या-क्या करना है. साथ ही लोगों को एक दूरी पर बैठा कर सोशल डिस्टेंसिंग की जानकारी भी दे रही है. कैसे आपको एक दूसरे से कितनी दूरी पर बात करनी है इत्यादि  .







उधम सिंह नगर पुलिस : कोई नहीं रहेगा भूखा, हम हैं ना...ये पंक्ति काफी कुछ महसूस करवाती है. लॉकडाउन के दौरान रुद्रपुर के मोदी ग्राउंड, रोडवेज क्षेत्र में झुग्गी-झोपड़ियों में निवासरत निर्धन एवं असहाय व्यक्तियों को ससपी उधम सिंह नगर के आदेसुनासर /द्वारा घरेलू एवं आवश्यक खाद्यान्न सामग्री दी गई। पुलिस के इस काम से ये लोग एक नयी उम्मीद लगाएंगे उन्हें लगेगा की कोई तो है उन्हें पूछने वाला. कानून ब्यवस्था बनाये रखने के साथ साथ उधम सिंह नगर जैसे भीड़-भाड़ और औद्योगिक  जनपद में ऐसा काम करना चुनौती पूर्ण तो है ही. लेकिन पुलिस कर्मियों के काम की तारीफ. 



देहरादून पुलिस : लॉकडाउन के दौरान राजधानी देहरादून पुलिस की यही सोच रहती है कि जनता को किसी भी तरह की असुविधा न हो इसके लिए उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा पुलिस लाइन में कोविड-19 कंट्रोल रूम बनाया गया है, जो 24 घंटे कार्यरत रहेगा। ये हैं हेल्पलाइन नंबर  0135-2722100 और व्हाट्सएप नंबर 9997954800 रहेगा. राजधानी में देश विदेश से लोग आते जाते रहते हैं. सभी राज्यों के लोग राजधानी में रहते हैं. ऐसे में कब क्या हो जाये कुछ कहा नहीं जाता. देहरादून पुलिस इस मामले में सजग रहती है. एसएसपी अरुण मोहन जोशी  के नेतृत्व में पुलिस नए-नए शानदार कामों को नए तरीके से अंजाम दे रही है जिसकी सब जगह तारीफ हो रही है.
अरुण मोहन जोशी, एसएसपी देहरादून 
बागेश्वर  पुलिस  : कुमाऊं की काशी कहा जाने वाला बागेश्वर. यहाँ पर पुलिस बेसहारा लोगों को मिलकर उनसे उनके बारे में जानकारी हासिल कर उनको मदद कर रही है.  लॉकडाउन  के दौरान कानून व्यवस्था बनाये रखने के साथ साथ बेसहारा व असहाय लोगों की हर तरह जो बन पड़ता है सहायता कर रही बागेश्वर पुलिस।


देहरादून पुलिस के सब इंस्पेक्टर लोकेन्द्र बहुगुणा : ये हैं देहरादून पुलिस के सब इंस्पेक्टर लोकेन्द्र बहुगुणा, लक्ष्मण चौक में तैनाती है इनकी. ये कई दिनों से अपने घर परिवार से नहीं मिल पाए . जैसा आप जानते हैं  ड्यूटी पुलिस कर्मियों कि पहले परिवार बाद में. जब घर आये तो खाना भी बाहर ही खा पाए. क्योँकि पता नहीं कितने ब्यक्तियों से मिलते हैं, मिले हैं, परिवार की सुरक्षा जरुरी ऐसे में बाहर से खाना खा कर लौट गए. पुलिस  के जवान आपकी सेवा व सुरक्षा में खुद की परवाह न करते हुए तन्मयता से लगे हुये हैं। पुलिस के जवान कर्तव्य और रिश्तों के बीच कश्मकश में हमेशा कर्तव्य को अहमियत देते हैं।कर्तव्य पालन और सेवा धर्म दोनों एक साथ-

अल्मोड़ा की पुलिस : सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में पुलिस के के जवान द्वारा लाॅकडाउन ड्यूटी के साथ-साथ गरीब और असहाय लोगों के लिए पुलिस मैस से खाने की व्यवस्था की गयी।इससे बड़ी  बात और क्या हो सकती  है. खुद पुलिस के अधिकारी और जवान खाना ले जा रहे हैं गरीब लोगों के लिए.



देहरादून की देवदूत पुलिस : बुजुर्ग महिला के लिए देवदूत बनी पुलिस,  घर पर लाकर दी दवा..नेहरू कालोनी में एक बुजुर्ग महिला ने कॉल एवं मैसेज कर अपनी BP की दवा अनिवार्य रूप से चाहने हेतु निवेदन किया। जिस पर SI दिलवर सिंह नेगी उनके घर गए, पर्चे लिए और उनके घर पर लाकर दवा दी। इससे बढ़कर और क्या हो सकता है पुलिस कर्मी आपके घर आया और दवा आपको ला कर दी. उस महिला का आशीर्वाद मिलना तय है. 
वीडियो /स्क्रीन शॉट 

हरिद्वार में IRB के जवानों की मदद : घबराओ मत उत्तराखण्ड पुलिस है न, ये कहना है जवानों का. लॉकडाउन के दौरान असहायों एवं बेसहारा लोगों को हरिद्वार IRB के जवानों द्वारा सामूहिक किचन लगाकर खाना खिलाया गया. धर्म भी हुआ कर्म भी और पुलिस की ड्यूटी भी वो भी धर्म नगरी हरिद्वार में. 




टनकपुर  पुलिस : घबराओ मत अम्मा, हम हैं ना"..ये कहना है बिहारी लाल का. उत्तराखंड पुलिस के जवान बिहार लाल लॉकडाउन के बीच टनकपुर में बेसहारा बुजुर्ग महिला की मदद को आगे आए . बेसहारा बुजुर्ग महिला के लिए खाने की व्यवस्था की और विश्वास दिलाया कि अम्मा को हर दिन खाना पुलिस के मैस से खिलाया जाएगा। अम्मा के लिए बिहारी लाल भगवान के रूप में आये ऐसा लग रहा होगा. भूखे को खाना जो मिल गया. और क्या चाहिए. तारीफ बिहारी लाल की. 
चम्पावत पुलिस का पोस्टर :  क्या क्या लोगों को चाहिए, कैसे संपर्क करना है यह सब चम्पावत पुलिस ने पोस्टर के जरिये लोगों के सामने रखा है. देखिये कैसे सब कुछ जानकारी दी गयी है इस पोस्टर में. जनपद चम्पावत पुलिस उपलब्ध करायेगी अति-आवश्यकीय समान. 

हरिद्वार पुलिस का SD : कोरोना वायरस से बचने का सबसे आसान उपाय सोशल डिस्टेंस है। हरिद्वार में पुलिस  के जवानों ने आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी करने आये लोगों को एक मीटर फासले पर व्यवस्थित तरीके से किया खड़ा। सोशल डिस्टेंस अपनाएं, कोरोना वायरस को भगाएं।




रानीपोखरी( देहरादून) पुलिस जब बेसहारे लोगों के दरवाजे पर पहुंची : आमतौर पर यदि पुलिस आपके दरवाजे पर दस्तक देती है तो घबराना लाजमी है लेकिन जब सरल लहजे में पुलिस कहे कि आप प्लीज घर से बाहर मत निकलना जो भी जरूरत का सामान होगा आपको घर पर ही मिलेगा  तो  आश्चर्य होना स्वाभाविक है ऐसा ही कुछ नजारा रानीपोखरी क्षेत्र  में भी देखने को मिला जहां पुलिस दैनिक मजदूरी करने वाले करीब 50 परिवारों को राशन बांट रही है थाना रानीपोखरी क्षेत्र में नदियों में खनन करने वाले करीब 50 मजदूर परिवार रहते हैं यह नदी में झुग्गी डालकर यहां पर खनन का कार्य करते थे लेकिन आजकल खनन का कार्य बंद है लिहाजा आय भी बंद हो गई और इनके आगे रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया ऐसे में कुछ परिवार तो अपने प्रदेशों को लौट गए लेकिन जिनकी स्थिति लौटने की नहीं थी वह अभी भी यही है लेकिन घर में खाने को कुछ नहीं बचा था ऐसे में रानीपोखरी थाने के इंचार्ज राकेश शाह ने इन लोगों की सुध ली और सभी की एक लिस्ट तैयार कर इनके घर पर राशन पहुंचाया  साथ ही हिदायत भी दी कि वह घर से बाहर ना निकले और ज्यादा लोग इकट्ठा ना बैठे पुलिस की इस पहल से मजदूर परिवार बेहद खुश हैं उनका कहना है कि पुलिस ने समय रहते उनकी मदद की इसलिए मैं पुलिस का धन्यवाद भी कर रहे हैं क्योंकि उनके पास खाने-पीने के लिए कुछ नहीं बचा था इसलिए चिंता सता रही थी कि बच्चों को क्या खिलाएंगे.



उत्तराखंड पुलिस की जनता से ट्वीट के जरिये अपील-
एक बड़ी चुनौती हमारे सामने है। इस कठिन घड़ी में  उत्तराखण्ड पुलिस आपकी सुरक्षा के लिए मुस्तैद है। इस चुनौती से निपटने के लिए हमें आपके सहयोग की जरूरत है। कृपया घर से बाहर न निकलें। घर में रहे सुरक्षित रहें और पुलिस का सहयोग करें।



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