सोमवार, 10 जनवरी 2011

पंडित जी के आंसू और कटरीना कैफ



सुबह में ऑफिस के लिए निकला तो मेट्रो ट्रेन में बैठा....सीट काफी लम्बीथी..तकरीबन पांच या सात लोगबैठने की...मेरे बगल में एक पंडितजी बैठे हुए थे, उनको देख कर लगाकहीं या तो जजमान के यहाँ जा रहेहैं या फिर किसी कर्म काण्ड केचक्कर में कहीं लेने देने का हिसाबकरने जा रहे हैं....लंबा लाल टीकामाथे पर सब कुछ बयान कर रहा था, कंधे में अंगोछा गेरुवे रंग का, औरकुर्ता पैजामा पहने हुए...कंधे में एकगाँधी छाप झोला जिसमे सायदउनकी धोती और अन्य कर्म-काण्डका सामान होगा.....खैर मेट्रो लगभगखली थी इसलिए हमें सीट भीखुशनसीबी से मिल गई...मेरेऑफिस की लम्बाई दूर होने केकारण में अपने साथ दिन काअखबार ले जाता हूँ, खबर भी अपडेट भी कर लिया और समय भीनिकल जाता है....क्यूंकि मेट्रो मेंअगर आप अकेले हैं तो लोग अपनेकानों में मोबाइल फोन का ढूठी दाललेते सुबह में ऑफिस के लिए निकला तो मेट्रो ट्रेन में बैठा....सीट काफी लम्बी थी..तकरीबन पांच या सात लोग बैठने की...मेरे बगल में एक पंडित जी बैठे हुए थे, उनको देख कर लगा कहीं या तो जजमान के यहाँ जा रहे हैं या फिर किसी कर्म काण्ड के चक्कर में कहीं लेने देने का हिसाब करने जा रहे हैं....लंबा लाल टीका माथे पर सब कुछ बयान कर रहा था, कंधे में अंगोछा गेरुवे रंग का, और कुर्ता पैजामा पहने हुए...कंधे में एक गाँधी छाप झोला जिसमे सायद उनकी धोती और अन्य कर्म-काण्ड का सामान होगा.....खैर मेट्रो लगभग खली थी इसलिए हमें सीट भी खुशनसीबी से मिल गई...मेरे ऑफिस की लम्बाई दूर होने के कारण में अपने साथ दिन का अखबार ले जाता हूँ, खबर भी अप डेट भी कर लिया और समय भी निकल जाता है....क्यूंकि मेट्रो में अगर आप अकेले हैं तो लोग अपने कानों में मोबाइल फोन का ढूठी दाल लेते हैं दोनू कानों में...और अपने में मस्त रहते हैं या फिर एक दूसरे को निहारते , घूरते रहते हैं...और अगर साथ कोई है तो बोल- बतला के समय निकल जाता है...लेकिन पहले दोनू ही हालतों पर मुझे थोडा असहज महसूस होता है इसलिए पत्रकार होने के नाते अपना अखबार को ही हमराह बना लिया मैंने...किसी को घूरना, ताड़ना भी न पड़े और अपना ख़बरों में भी ब्यस्त रहे...

मेट्रोरेल चल पडी....अगला स्टेशन आने से पहले पहले से क़ैद करी हुई महिला और पुरुष की आवाज आई....अगला स्टेशन फलाना है और दरवाजे से दूर रहें....मैंने भी अखबार धीरे से अपने जैकेट से निकला और पढने लग गया....हेड लाइंस...! पंडित जी ने भी निगाह फिराई मेरी तरफ....और फिर अखबार की तरफ.....अब पहले पेज के ऊपर कोने पर कैटरीना कैफ की फोटो छपी थी...मैंने उतना गौर नहीं किया..क्यूंकि ध्यान खबर में था..वो भी हेड लाइंस में...नीचे एक बड़ी सी फोटो खूब सारे प्याज के छपी हुई थी...पंडित जी को पूरे पेज में सिर्फ कैटरीना कैफ और प्याज की फोटो दिखी ....बाकी कुछ नहीं....! पंडित जी के मुह से तपाक से निकल पडा....इस देश का कुछ नहीं हो सकता ...हरी ॐ .........!

मैंने गर्दन थोड़ी मोदी और पंडित जी की तरफ प्रश्नों के बण्डल की भावनावों के साथ देखा....और मेरे मुह से निकला....जी? उनकी बात करने के लहजे से और पहनावे से लगा की वो भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसी भाग के वासिंदे रहे हैं...मुझसे भी रहा नहीं गया ..और पूछ बैठा ? पंडित जी आपको ऐसा क्योँ लगता है की देश का कुछ हो सकता.....क्या कमी लगती है आपको इस देश में ? सब कुछ तो मिल रहा है....पंडित जी बोले ये देखो प्याज कितना महंगा कर दिया...कहाँ से खायेगा आम आदमी...दिमाग की घंटी बजी.....पंडित और प्याज का मेल ...पंडित जी तो प्याज खाते ही नहीं ..फिर सोचा आजकल आधुनिक पंडित हैं... हो सकता है खाते भी हों.....मैंने पूछा क्या हुआ...?पंडित जी ने कहा एक बार प्याज ने भाजपा की सरकार को नहीं आने दिया...और अब लगता है कांग्रेस की बारी है....अरे ये तो राजनीती की बात करने लग गए....मैंने पूछा आपने प्याज खरीदा..बोले खरीदा था....अब छोड़ दिया कुछ दिन के लिए.....महंगा है इसलिए...और धीरे से बोले जजमान से मांग भी नहीं सकता की प्याज दे दो...एक तो पंडित जी हुए हम ...पेट पर लात मर जायेगी..कोई बुलाएगा भी नहीं...कुल मिलाकर पंडित जी प्याज खाते थे लेकिन महंगा हो गया तो असली वाले पंडित जी बन बैठे..और पंदितायन को बोल बैठे नहीं खायेंगे.....हमारे पुर्बजों ने कभी नहीं खाया हम कुछ दिन नहीं खायेंगे तो क्या हो जायेगा.....ओह्ह्ह अब समाज आयी साड़ी राम कहानी....मगर ऐसा विकल्प भी इस भारत वर्ष में मिल सकता है....फिर मैंने पूछा...और क्या कमी है देश में....बोले बहुत कमी हैं....अब मुझे ये नहीं पता था की पंडित जी और किसी बात से उक्चाये बैठे हैं....दरसल हमारे सामने वाले दरवाजे पर एक लडकी स्कर्ट और लम्बी हील वाले जूते और लाल पीले लिपस्टिक पोते खडी थी ...सायद किसी पार्टी में जाना था उसे...पंडित जी की नज़र उस पर थी या फिर उसकी नज़र पंडित जी पर....मगर पंडित जी भी आइस पैस खेल रहे थे सायद...और खफा लगे सब्दों के अनुसार ....दिल का हाल तो ऊपर वाला जाने....मेरी नज़र गई तो मन ही मन मुश्कुराया में .... और सारी बात समझ आ गई...पंडित जी को बात पलटते हुए कहा पंडित जी अब देश पहले जैसा नहीं रहा...बदल गया है...अब किसी को रोक थोड़ी न सकते हैं हम....फिरे बोले ये देखो ऊपर क्या छपा है....मैंने पूछा क्या ? उन्हूने अंगुली करते हुए कहा ये..? कटरीना की फोटो थी वहां पर ....अब उसके हाल चाल क्या बताऊँ में...वो तो हेरोइन है......कुछ भी और कहीं भी माहौल बदल सकती है....

मैंने कहा बेटा तू ही अच्छा है जो सीधे खबर में ब्यस्त है....वरना पंडित जी की तरह धरम संकट में फसा रहता....पंडित जी तो जीती जागती कन्या जो सामने दरवाजे के साथ लटकी खडी थी और दूसरी अखबार में छापी कन्या के कारण घोर संकट में थे.....बाकी प्याज ने उनके आंसों बहार निकाल दिए थे.......मन ही मन सोचा गलती नासिक मंडी की नहीं जहाँ से प्याज आता है बल्कि गलती 'समय' की है ...इसलिए कहते हैं समय बलवान होता है....तब तक मेरा भी स्टॉप भी आ चूका था...ब्राह्मण देवता को प्रणाम कहा और खिशक लिया चुप चाप मेट्रो रेल से बाहर....हरी ॐ ...!....

कोई टिप्पणी नहीं:

Дели: правительство Индии вводит запрет на 59 китайских приложений, включая работу Tiktok в Индии, в том числе UC Brozer

-Collab на Facebook может заменить Tik Tok, может скоро запустить Collab в Индии -Решение заставило китайские технологические компании сд...