अभी लीबिया में जो हो रहा है वह सब कुछ हम देख रहे हैं..लीबिया के खिलाफ नाटो ने कब्ज़ा जमा लिया है....लेकिन सबसे बड़ी बात यूरोप या पश्चिमी देशों को दो चिंता सता रही है एक यह की वहां के तेल गैस, और अन्य खनिजों के भंडार पर कैसे कब्ज़ा किया जाये..दूसरी,बड़े बड़े बाजारों में कैसे अपनी वस्तुओं की सप्प्लाई या मांग की जाए....देशी भासा में कहें तो कैसे अपना माल थोपा जाए..अभी लीबिया में जो हमले हो रहे हैं वह सब पश्चिम देशों की लार टपकने का नतीजा है.....और वहां पर हमले का कारन भी वही है...पहले ऐसा देखने को कम मिला है ...
लीबिया विश्व का तीसरा बड़ा देश है जहाँ पर तेल, गैस खनिज का भंडार है...और लीबिया वैसे भी अफ्रीका में घुसने का द्वार है...यहाँ कब्ज़ा हो जायेगा तो अफ्रीका का भी ऐसे ही पयोग कर सकते हैं.....आंकड़े बताते हैं रोज वहां पर १७ लाख बैरल कच्चे तेल को निकला जाता है, और उसमे से लगभग १२ लाख बैरल यूरोप को भेजता है....इसमें भी अमेरिका का हिस्सा ज्यादा है..... अमेरिका की ऐसी नीति जो किसी रास्ट्र को पनपने नहीं देती है......और जो कुछ करता भी है उसके पीछे साम दाम दंड भेद अब अपना कर पीछे लग जाते हैं...अगर सच कहा जाये तो सबसे खराब अभी अमेरिकी नस्ल है विश्व में..भारत , पाकिस्तान या फिर अफगानिस्तान या फिर ईराक सब जगह अमेरिका अपनी दादा गिरी दिखता है, बस स्वरुप अलग अलग है...पकिस्तान को तो वह पूरी तरह से अपने तरीके से नचा रहा है...और एक बफर स्टेट बना कर भारत और चीन के खिलाफ पर्योग कर रहा है...
यह नस्ल भेदी देश अमेरिका अपने स्वार्थ के लिए दुनिया के विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं को तबाह करने पर तुला हुआ है...अगर कोई देश तो उन पर अलग अलग तरीके से दवाब बना कर परेशान किया जाता है.....यहाँ तक रास्ट्र अध्यक्ष भी बदल दिया जाता है...अभी कुछ दिन पहले विकिलीक्स के खुलाशे में यहाँ तक बात पता चली की भारत का विदेश मंत्री और वित्त मंत्री कौन होगा यह वाशिंगटन में चर्चा होती थी..गौर करने वाली बात यह है की लीबिया में जो हमला किया जा रहा है वह फ़्रांस कर रहा है लेकिन इसके पीछे अमेरिका रात दिन मेहनत कर रहा है....फिर इसके लिए उसे कुछ भी क्योँ न करना पड़े...कोई आवाज उठाने वाला नहीं है...कोई सुनने वाला नहीं है........ईराक , कुवैत, ईरान, दुबई सब जगह अमेरिका ने कब्ज़ा जमा रखा है....अब दक्षिण एसिया के देश उसके निशाने में हैं..ऐसे में ओसामा बिन लादेन या कर्नल गद्दाफी जैसे लोग रोज़ रोज़ पैदा होंगे.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें