रविवार, 17 जनवरी 2010

एक रात सफ़दर जंग हॉस्पिटल में....



कहते हैं इंसान का कुछ पता नहीं होता कि कब क्या हो जाये ....और यही हाल हुआ मेरे साथ लेकिन इस हाल -ए -दरम्यान में बहुत कुछ सीखा भी....बात है जनवरी तारीक १० की ........ऑफिस गया,....दो दिन से सवास्थ्य ठीक नहीं चल रहा था..कारन ठण्ड का ज्यादा होना दिल्ली में ....जिस वजह से ज़ुकाम और खांसी कि शिकायत कुछ ज्यादा हो रही थी....इस बीच मैंने सोचा कि चलो कुछ दवाई ले लूं ....और ली भी , उस अजीब टेबलेट ने मेरी हालत और खराब कर दी....फिर भी ऑफिस गया....ऑफिस में डेस्क पर सिर्फ तीन लोग थे ....बरिष्ठ घर पर थे उन्होंने घर पर बुलाया भी था शाम को खाने पर...लेकिन वहां भी नहीं जा सका....मेरी हालत रात ७ बजे बाद ख़राब होने लगी...लेकिन सोचा कि लास्ट बुलेटिन १२ बजे जाना है उसके बाद फ्री हो जायेंगे और फिर निकल लूँगा....लेकिन ११ बजे मुझे रहा नहीं गया...ब्रेथिंग प्रॉब्लम होने लगी क्यूंकि टेबलेट ने छाती जाम कर के रख दी थी...ट्रांसपोर्ट में फ़ोन किया राहुल को कि जल्दी घर ड्रॉप करवा दो ....उन्हूने जल्दी करके मुझे १२ बजे गाड़ी दे दी....मेरे साथ राजेश, वरुण,विवेक और एक लड़का नया था वो भी साथ आये....ऑफिस से चले थे तो सभी साथी लोगू ने कहा कि सर आपको जल्दी और सीधे घर ड्रॉप करेंगे....मैंने कहा चलो देखते हैं ...
थोड़ी दूर निकले थे तो ड्राईवर ने कहा कि सर तेल कम है इसलिए पम्प पर चलना पड़ेगा.ऐसे में बड़ा अजीब लगा कि आज ही इसका तेल- पानी भी कम होना था...खैर वो भी जरुरी था...लिया वो भी....ड्राईवर साहब तोतले बोलने वाले थे ....आधी बात समझ आये आधी बात सर से हां-ना हो रही थी....खैर साउथ एक्स आते- आते मेरी हालत और बिगड़ गयी...सफदरजंग अस्पताल के सामने पंहुचा तो ड्राईवर को बोला कि गाड़ी इमरजेंसी में ले चलो.....सभी घबराए....कि क्या हुआ? ...हालत लगता है ज्यादा ख़राब तो नहीं? ....खैर गए अमर्जेंसी में....डॉक्टर का झुण्ड अलग -अलग बैठा था... जैसा रेस्टोरेंट में होता है....२ लोग [डॉक्टर] उस टेबल में ३ उस टेबल में....कोई मरीज को देख रहा था कोई लैपटॉप में चैटिंग या मेल चेक करने में लगा हुआ था....खैर....एक टेबल पर गया बाद में पता चला कि वो हड्डीयौं का है...टूट फूट वाले मरीज़ जाते हैं उसके पास....वो बोला सामने जाओ...सामने गया तो पता चला कि वो कही और ब्यस्त था....और शक्ल से नोर्थ ईस्ट का रहने वाला लग रहा था...डॉक्टर को हेल्लो कहा और प्रॉब्लम बताई...उसने पुछा कि कहाँ गए थे ?क्या कर रहे थे....? जैसे कोई बड़ा गुनाह कर दिया हो मैंने.......उसका भी सायद प्रश्न ठीक था...क्यूंकि रात के १२:३० बज रहे थे...फिर वही डॉक्टर बोला कि बगल वाली बिल्डिंग में चले जाओ...वहां फ्लू वाला डॉक्टर होगा...उसको दिखाओ....निकला बाहर....बगल वाली बिल्डिंग देखि....दरवाजा खट-खटाया तो गार्ड बहार आया और बोला क्या बात है....फिर पूछा मरीज़ कहा है....?
राजेश ने बताया कि यह है..मेरी ओर इशारा कर के.....फिर टेबल पर बैठा...डॉक्टर बोला कि अपना कोट खोलो...और स्वेटर भी ....उसने मुह में पहनने के लिए मास्क दिया....इस बीच उसने गले में प्रेस कार्ड देख लिया....पूछा प्रेस से हो ? मैंने कहाँ हाँ ! जोर्निलिस्ट हूँ रास्ट्रीय न्यूज़ चैनल में ! और ऑफिस से घर जा रहा था...बस हालत खराब हो गई आपके दर्शन के लिए आना पड़ा....अभी....उसने साड़ी बात पूछ पाच के बोला ठीक है एमर्जंसी में जाना होगा..बाहर से आओ..में अन्दर से आता हूँ ...फिर बाहर गया...फिर से वही शुरू वाला डोक्टर के पास ...इस बीच इस डोक्टर ने कुछ उस डोक्टर को बताया.....और कहा कि इनको नेबुलैज करना है....वो भी पहली बार पता चला कि यह भी होता है...फिल्मू में देखा था....फिर मुझे बैठा दिया एक बेंच में और कोने में...और मुह में एक ओक्सिजन वाला मास्क चिपका दिया....और बगल में एक सिलिंडर जिसमे से हवा और पानी कि एक छोटी सी बोतल.... जिसमे से पानी कि कुछ बूँदें टपक रही थी....मास्क मेरे नाक पर रख कर चिपका दिया ...थोड़ी देर बाद थोड़ी राहत मिली....कुछ कुछ....तक़रीबन २० मिनट तक चिपका के रखा फिर निकाल दिया और अन्दर सिस्टर के पास ले गए....सिस्टर बोली अब तक कहाँ था....डांटते हुए....गुस्सा बहुत आया..एक तो आदमी बीमार ऊपर से ये दांत रही है....मैन्नार्स नाम की कोई चीज़ भी है इसे? फिर सोचा की में तो हॉस्पिटल में हूँ....इंडिया के हॉस्पिटल में यही मैन्नार्स होता है....खैर नहीं तो ऊंची आवाज तो में भगवन की भी न सुनूँ....खैर मतलब अपना था...तकलीफ अपनी थी....इसलिए चुप रहा ....उसने इंजेक्सन निकाल कर मेरे हथेली में उलटी तरफ एक सुई घुसा दी ....भगवान् जाने कौन सी दवा थी.....खैर सरकारी अस्पताल था यकीन कर भी सकता था और नहीं भी...मन दुबिधा में था...मगर दुःख में डोक्टर भगवान् होता है...इसलिए मेरे साथ भी वही हुआ....लेकिन यहाँ लगता कि प्रेस कार्ड काम कर गया...जिस कारन थोड़े अलर्ट हो गए वे डॉक्टर....वरना हम और लोगों की हालत देख रहे थे.....फिर बताया कि फिर से एक बार और नेबुलैज़ करना होगा...चलो करेंगे भाई....उतनी देर में एक लड़की को और वही मास्क चिपका दिया...जो मुझे लगाया था....उसी के साथ मुझे भी बैठा दिया......और फिर से वही २० मिनट....राजेश जी सेवा पानी में लगे हुए थे....वो पूछ के आये डॉक्टर को कि क्या करना है आगे?....फ्लू वाले डॉक्टर ने बताया कि आपको इसके बाद ३२ नंबर कमरे में जाना है.....जो मुझे राजेश द्वारा बताया गया....राजेश को दवाई /मेडिकल कि जानकारी अछी थी....मेरी किस्मत से....भला हो उसका....मुझे घर भी छोड़ गया बाद में....खैर इस बीच मैंने कहा कि बाकी साथी को घर छोड़ दो......ड्राईवर को बोलना कि हॉस्पिटल में आ जाए..रिलीव हो गए तो ठीक है नहीं तो ऑफिस चला जायेगा....खैर २० मिनट हुए और विवेक और वरुण ने घर जाने से मना कर दिया और एक साथी घर चला गया...वे बाहर ठण्ड में ठिठुर रहे थे ...राजेश मेरे साथ ही था अन्दर...क्युओंकी एक को ही साथ रहने कि इजाजद थी......

में और राजेश दोनों गए लिफ्ट की ओर ......३२ नंबर कमरा कहा हैं....पता लगा कि तीसरी मंजिल में हैं....हमारे आगे एक सिस्टर जा रही थी...लिफ्ट का बटन दबाया उन्हूने जैसे ही लिफ्ट का दरवाजा खुला सामने से मुर्दा निकला बाहर .....एक ब्यक्ति लेटे मुर्दे को बाहर धकेल रहा था....रात के १:०० , १:३० बजे और सुन शान हॉस्पिटल में मुर्दे से आमना -सामना....हे भगवान् ! कैसे कैसे विचार दिल में ....मुर्दा निकला तो स्ट्रेचर में उसके पैर के पास एक रजिस्टर रखा हुआ था.....टेडी नज़र उसकी और देखा और इतनी देर में लिफ्ट का दरवाजा खुला और सामने गार्ड बैठा नज़र आया...सिस्टर अपने रूम में चली गई ...सायद सोने जा रही थी....सरकारी हॉस्पिटल हुआ न....सर्दी का टाइम मरीज भी कम हुए.....पहले देखते रहे कहा जाना है किस कमरे में जाना है....फिर गार्ड से पुछा भाई ३२ में जाना है....वो उठा और ले गया वार्ड के अन्दर से जहा डोक्टर बैठा हुआ था दो नर्स भी बैठी थी...देखा तो बोला मरीज बाहर और राजेश ने बात की ...उसने बाहर आ कर पीठ में चेक अप किया...पूछा कहा गया था किधर से आया....फलां ....फलां....?फिर अंगुली में कुछ रिंग जैसी डाली उसमे कुछ नम्बर दिख रहे थे....मुझे कहा कि आप पीठ मेरी और कर के खड़े रहिये..पत्रकार हुए हर चीज़ देखने पढने कि आदत हुई......फिर कहा कि नीच चले जाइये और एक्स -रे कर के लाइए..मैंने सोचा इसने पल्ला झाड लिया....और इस रात को सरकारी हॉस्पिटल में कौन एक्स रे करेगा मेरा....खैर नीचे गए राजेश आगे- आगे में पीछे पीछे.......तब तक ब्रेथिंग में थोडा आराम मिल गया था....थैंक्स नेबुलैज़ का .....नीचे गए तो सु-सु लग गई...अब टोइलेट/बाथरूम कहा मिलेगा...थोडा उधर को गए तो कुत्ते बैठे थे....फिर डर भी लगा कि कही काट न ले....राजेश बोला कर ले यार कही भी दिवार के पीछे...कौन देख रहा है.....मैंने भी सोचा कर लेना चाहिए और रही कुत्ते वाली बात तो यहाँ मेरे जैसे पता नहीं कितने आते होंगे....सु-सु करने...सुना है सु सु करते समय कुत्ता भी नहीं काटता ...सोचा पहले सु-सु कर लूं फिर देखा जायेगा......और वैसे भी कुत्ते भी जानते ही होंगे.....आदत हो गई होगी इनको भी कि सु सु करने आया है......शुक्र कि वे भौंके नहीं..... न ही पीछे भागे.....फिर चल पड़े वो एक्स रे वाला कमरा ढूँढने.....एक कमरे का दरवाजा खुला था...उसके अन्दर देखा तो एक आदमी सोया था..उसने हमारा कागज देखा तो बोला रुको....वो उठा और बगल वाले हॉल में ले गया और पुराने बटन दबाये....फिर एक जैसे रेलवे प्लात्फोर्म में वजन नापने वाली रंग बिरंगी मशीन लगी होती है वैसी थी...मगर वो रन बिरंगी नहीं थी....मैंने सोचा आये हैं एक्स रे के लिए और वजन क्योँ नाप रहा है ये...उसने मुझे उसके ऊपर खड़ा होने को कहा और में घबराते हुए खड़ा हो गया....और फिर मशीन को कहा कि टाईट पकड़ा लो..जैसे किसी को गले लगाना हो..गले लगाया..इतनी देर में उसने कहा कि चलो आधे घंटे बाद आना....और ले जाना.....एक्स रे ...जिंदगी में पहली बार करवाया था एक्स रे ....अब तक लोगो के हाथ में ले जाते हुए या फिर फिल्म में देखा था मैंने...सोचा बड़ा आसान है और बड़ी जल्दी हुआ एक्स रे ....बाहर आये राजेश बोला चल चाय पी लेते हैं........गए बाहर तो विवेक और वरुण दोनू बैठे हुए थे.....बेसर्ब्री से .....वरुण बोला सर चाय लता हूँ आपके लिए ..... वरुण मेरे लिए चाय लाया और राजेश को भी दी...वरुण ने नहीं पी....और विवेक गायब...सायद सु - सु करने चला गया था......थोड़ी देर बाद टाइम हुआ और राजेश बोला चल एक्स रे ले आते हैं ..... ...तब तक ड्राईवर भी आ गया....गाड़ी ले कर......गए अन्दर एक्स रे लिया....और वो आदमी सोया हुआ था......पूछा भैया ले जाएँ क्या? वो बोला ले जाओ....वो फिर सो गया...सरकारी हॉस्पिटल हुआ न ......ठाट ही कुछ और हैं.......खैर ऊपर गए ३२ नंबर में..डॉक्टर ने देखा ....फिर कुछ लिखा और बोला कि दवाई ले लेना तीन दिन कम से कम रेस्ट और आराम न हो तो चार दिन और ले लेना....फिर हमें रवाना करने वाला था...डॉक्टर पूछ बैठा कि क्या करते हो?......उसे पता चला कि बेचारा पत्रकार है तो इशारा किया सिस्टर को कुछ ......सिस्टर उठी और उसने एक मोटा सा इंजेक्सन मेरी हथेली में घुसा दिया ....और हम चले आये...गाड़ी में बैठे...घर तक राजेश छोड़ने आया....फिर चला गया....घर वालू को पता नहीं था कि में हॉस्पिटल से आ रहा हूँ ....

रात १० बजे के आस पास मैंने मामी को फ़ोन कर कहा था कि मेरे लिए गरम पानी रख देना....ऑफिस में अपने बरिष्ठ राम सर को मैंने एस एम् एस से सूचित कर दिया था......सबसे पहले उनको ही मैंने बताया था.....घर आया...सो थोड़ी नींद आई ....और एक हफ्ते घर से बाहर नहीं निकला.........रोज़ वही टेबलेट, सिरप, गोली गटकना !..कोशिश है ऐसा न हो दुबारा......ऑफिस से सभी बरिष्ठ और साथी लोगों ने फ़ोन पर हाल पूछा और आराम करने को कहा ........अमित सर, राम सर, रुपेश सर, सह्नावाज़ सर, निगम सर, अजीत, हासिम,तरुण, अभिषेक...राम....सभी ने अभिषेक राजेश...........धन्यवाद सभी का.....एक हफ्ते के आराम और इलाज़ के बाद फिर से संडे को ऑफिस ज्वाइन किया.....कुल मिला कर सरकारी हॉस्पिटल ने बचा लिया.........

2 टिप्‍पणियां:

vikas ने कहा…

"ड्राईवर साहब तोतले बोलने वाले थे आधी बात समझ आये आधी बात सर से हां ना हो रही थी..."

थोड़ी तुतलाहट आपकी पोस्ट में भी महसूस हुई

"एक तो आदमी बीमार ऊपर से ये दांत रही है"
(फॉंट में गड़बड़ी के कारण थोडी परेशानी हुई, पोस्ट पढ़ने में)

वैसे ये तो अच्छा किया कि इस पोस्ट से बता दिया अपना हाल चाल ।
उम्मीद है अब आप ठीक होंगे
vikaszutshisn.blogspot.com
www.likhoapnavichar.blogspot.com

Manoj Rautela ने कहा…

प्रिय विकास....माफ़ी चाहूँगा....हिंदी टाइपिंग में हाथ थोडा तंग है...और ये बहुत जल्द में लिखा गया ....मेरे ब्लॉग ज्यादा तार जल्दी में लिखे हुए होते हैं....में जानता हूँ स्पेलिंग और अन्य समस्या हैं लेकिन कभी समय मिलेगा तो ठीक करने की कोशिश करूँगा...और वैसे झेलने के लिए शुक्रिया...में तो सिर्फ अपने विचार ब्यक्त कर देता हूँ बाकी चीज़ों के लिए समय नहीं मिल पता है प्रिय......और अब ठीक हूँ...धन्यवाद पूछने के लिए....बाकि सब कुशल मंगल....आज ऑफिस ज्वाइन कर लिया....वैसे काफी परेशानी हुई पिछले हफ्ते....गलतियौं के लिए माफ़ी चाहता हूँ बस समय और हिंदी टाइपिंग वाली समस्या है.....आशा है समझने की कोशिश करोगे....मगर जल्द ही इस समस्या से निजात पाने की कोशिश करूँगा....एक फिर से शुक्रिया...विकास......
मनोजीत सिंह
इंडिया न्यूज़

Дели: правительство Индии вводит запрет на 59 китайских приложений, включая работу Tiktok в Индии, в том числе UC Brozer

-Collab на Facebook может заменить Tik Tok, может скоро запустить Collab в Индии -Решение заставило китайские технологические компании сд...