आंखिर मिल ही गई भोपाल गैस त्रासिदी के दोषियों को सजा वो भी 25 साल बाद....मगर पीड़ित 25 साल तक रोते रहे, झेलते रहे,पीड़ा सहते रहे, बहुत सारे स्वर्ग सिधार गए लेकिन न्याय नहीं मिला....जो मिला वो नाकाफी मिला.....
सदी की सबसे बडी औद्योगिक त्रासदी 'भोपाल गैस कांड' के मामले में सीजेएम कोर्ट ने आखिरकार 25 साल बाद सभी आठ दोषियों को दो साल की कैद की सजा सुनाई है। सभी दोषियों पर एक-एक लाख रूपए और यूनियन कार्बाइड इंडिया पर पांच लाख रूपए का जुर्माना ठोका गया है। सजा का ऎलान होने के बाद ही सभी दोषियों को 25-25 हजार रूपए के मुचलके पर जमानत भी दे दी गई। इससे पहले आज चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट मोहन पी तिवारी की अदालत ने आठों आरोपियों को धारा 304 ए के तहत लापरवाही का दोषी करार दिया था।अदालत ने यूसीआईएल भोपाल के तत्कालीन चेयरमेन केशव महिन्द्रा, मैनेजिंग डायरेक्टर विजय गोखले, वाइस प्रेसिडेंट किशोर कामदार, वर्क्स मैनेजर जे मुकुंद, प्रोडक्शन मैनेजर एसपी चौधरी, प्लांट सुप्रीटेंडेंट केबी शेट्टी, प्रोडक्शन असिस्टेंट एसआई कुरैशी, आरबी रॉय चौधरी को दोषी करार दिया। यूनियन कार्बाइड के मालिक और मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन को भगोडा घोषित किया गया है। इसलिए उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया। वहीं आरबी रॉय चौधरी की मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही मौत हो चुकी है।2-3 दिसम्बर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से रिसी जहरीली मिथाइल आइसो साइनाइट (एमआईसी) गैस ने हजारों लोगों की जाने ले ली थीं। दुनिया के औद्योगिक इतिहास की यह अब तक की सबसे बडी घटना मानी जाती है।
गैस पीडितों में आक्रोश
भोपाल जिला कोर्ट के बाहर सुबह से ही काफी तनाव था। मीडिया व पीडित परिवारों को कोर्ट के अंदर जाने की इजाजत नहीं दी गई थी। सुबह से पीडित परिवारों का कोर्ट के बाहर जमना शुरू हो गया था। आठों आरोपियों को दो साल कैद की सजा सुनाए जाने के बाद गैस पीडितों में भारी रोष है। वे सभी दोषियों को फांसी देने की मांग कर रहे हैं। सरकार और सीबीआई दोनों को आडे हाथों लेते हुए गैस पीडितों ने जमकर नारे लगाए।
उन्होंने कहा कि हमारी लडाई आगे भी जारी रहेगी। कोर्ट के इस फैसले को लेकर अपीलकर्ता खुश नहीं हैं। एक तो 25 साल का इंतजार, ऊपर से हल्की धाराओं में आरोपों के साबित होने पर उन्होंने गहरी नाराजगी जताई है। गैस पीडित कोर्ट रूम में प्रवेश पाने की अनुमति के लिए जिद पर अडे रहे और उन्होंने खूब हंगामा मचाया। गैस पीडित सजा के खिलाफ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में जाएंगे।
ये हैं भोपाल के गुनहगार -
यूका के मालिक वारेन एंडरसन, यूसीआईएल भोपाल के चेयरमेन केशव महिन्द्रा, मैनेजिंग डायरेक्टर विजय गोखले, वाइस प्रेसिडेंट किशोर कामदार, वर्क्स मैनेजर जे मुकुंद, असिस्टेंड वर्क्स मैनेजर डॉ. आरबी रॉय चौधरी, प्रोडक्शन मैनेजर एसपी चौधरी, प्लांट सुप्रीटेंडेंट केबी शेट्टी, प्रोडक्शन असिस्टेंट एसआई कुरैशी सहित यूका कार्पोरेशन लि. यूएसए, यूसीसी ईस्टर्न इंडिया हांगकांग और यूका इंडिया लि. कोलकाता पर मुकदमा चल रहा है।
इनमें से मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन, यूका कार्पोरेशन लि. यूएसए और यूसीसी ईस्टर्न इंडिया हांगकांग फरार घोषित हैं। आरबी रॉय चौधरी की मौत हो चुकी है।
एक नजर :
1 दिसंबर 1987 में सीबाआई ने यूका के मालिक वॉरेन एण्डरसन के खिलाफ चार्ज शीट बनाई थी।
9 फरवरी 1989 में सीजेएम भोपाल द्वारा एण्डरसन की गिरफ्तारी के लिए गैर जामनती वारंट जारी किया था।
14 फरवरी 1989 में सीबीआई को यूनियन कर्बाइड की जांच की स्वीकृति यूएस प्रबंधन की ओर से मिली थी।
14 और 15 फरवरी 1989 में सुप्रीम कोर्ट से मुआवजा राशि देने का आदेश यूएस स्थित कंपनी को दिया गया था।
29 जून 2002 में एण्डरसन को सजा दिलाने में हुई देरी के लिए दिल्ली में भूख हडताल की गई।
28 अगस्त 2002 में सीजेएम भोपाल न्यायालय की ओर से एण्डरसन को यूएस से भारत आने के आदेश जारी।
6 फरवरी 2006 में केशव महेन्द्रा सहित दूसरे अभियुक्तों के बयान भोपाल कोर्ट में दाखिल हुए थे।
1 जून 2009 में सीजेएम भोपाल द्वारा एक बार फिर गैर जमानती वारंट जारी किया गया। इसमें सीबीआई से एण्डरसन को भोपाल अदालत में पेश करने की बात कही गई थी।
13 मई को सुनवाई पूरी हुई। इसमें अदालत ने 7 जून को फैसले की तारीख तय की।
[courtesy-rajasthan patrika]
सदी की सबसे बडी औद्योगिक त्रासदी 'भोपाल गैस कांड' के मामले में सीजेएम कोर्ट ने आखिरकार 25 साल बाद सभी आठ दोषियों को दो साल की कैद की सजा सुनाई है। सभी दोषियों पर एक-एक लाख रूपए और यूनियन कार्बाइड इंडिया पर पांच लाख रूपए का जुर्माना ठोका गया है। सजा का ऎलान होने के बाद ही सभी दोषियों को 25-25 हजार रूपए के मुचलके पर जमानत भी दे दी गई। इससे पहले आज चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट मोहन पी तिवारी की अदालत ने आठों आरोपियों को धारा 304 ए के तहत लापरवाही का दोषी करार दिया था।अदालत ने यूसीआईएल भोपाल के तत्कालीन चेयरमेन केशव महिन्द्रा, मैनेजिंग डायरेक्टर विजय गोखले, वाइस प्रेसिडेंट किशोर कामदार, वर्क्स मैनेजर जे मुकुंद, प्रोडक्शन मैनेजर एसपी चौधरी, प्लांट सुप्रीटेंडेंट केबी शेट्टी, प्रोडक्शन असिस्टेंट एसआई कुरैशी, आरबी रॉय चौधरी को दोषी करार दिया। यूनियन कार्बाइड के मालिक और मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन को भगोडा घोषित किया गया है। इसलिए उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया। वहीं आरबी रॉय चौधरी की मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही मौत हो चुकी है।2-3 दिसम्बर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से रिसी जहरीली मिथाइल आइसो साइनाइट (एमआईसी) गैस ने हजारों लोगों की जाने ले ली थीं। दुनिया के औद्योगिक इतिहास की यह अब तक की सबसे बडी घटना मानी जाती है।
गैस पीडितों में आक्रोश
भोपाल जिला कोर्ट के बाहर सुबह से ही काफी तनाव था। मीडिया व पीडित परिवारों को कोर्ट के अंदर जाने की इजाजत नहीं दी गई थी। सुबह से पीडित परिवारों का कोर्ट के बाहर जमना शुरू हो गया था। आठों आरोपियों को दो साल कैद की सजा सुनाए जाने के बाद गैस पीडितों में भारी रोष है। वे सभी दोषियों को फांसी देने की मांग कर रहे हैं। सरकार और सीबीआई दोनों को आडे हाथों लेते हुए गैस पीडितों ने जमकर नारे लगाए।
उन्होंने कहा कि हमारी लडाई आगे भी जारी रहेगी। कोर्ट के इस फैसले को लेकर अपीलकर्ता खुश नहीं हैं। एक तो 25 साल का इंतजार, ऊपर से हल्की धाराओं में आरोपों के साबित होने पर उन्होंने गहरी नाराजगी जताई है। गैस पीडित कोर्ट रूम में प्रवेश पाने की अनुमति के लिए जिद पर अडे रहे और उन्होंने खूब हंगामा मचाया। गैस पीडित सजा के खिलाफ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में जाएंगे।
ये हैं भोपाल के गुनहगार -
यूका के मालिक वारेन एंडरसन, यूसीआईएल भोपाल के चेयरमेन केशव महिन्द्रा, मैनेजिंग डायरेक्टर विजय गोखले, वाइस प्रेसिडेंट किशोर कामदार, वर्क्स मैनेजर जे मुकुंद, असिस्टेंड वर्क्स मैनेजर डॉ. आरबी रॉय चौधरी, प्रोडक्शन मैनेजर एसपी चौधरी, प्लांट सुप्रीटेंडेंट केबी शेट्टी, प्रोडक्शन असिस्टेंट एसआई कुरैशी सहित यूका कार्पोरेशन लि. यूएसए, यूसीसी ईस्टर्न इंडिया हांगकांग और यूका इंडिया लि. कोलकाता पर मुकदमा चल रहा है।
इनमें से मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन, यूका कार्पोरेशन लि. यूएसए और यूसीसी ईस्टर्न इंडिया हांगकांग फरार घोषित हैं। आरबी रॉय चौधरी की मौत हो चुकी है।
एक नजर :
1 दिसंबर 1987 में सीबाआई ने यूका के मालिक वॉरेन एण्डरसन के खिलाफ चार्ज शीट बनाई थी।
9 फरवरी 1989 में सीजेएम भोपाल द्वारा एण्डरसन की गिरफ्तारी के लिए गैर जामनती वारंट जारी किया था।
14 फरवरी 1989 में सीबीआई को यूनियन कर्बाइड की जांच की स्वीकृति यूएस प्रबंधन की ओर से मिली थी।
14 और 15 फरवरी 1989 में सुप्रीम कोर्ट से मुआवजा राशि देने का आदेश यूएस स्थित कंपनी को दिया गया था।
29 जून 2002 में एण्डरसन को सजा दिलाने में हुई देरी के लिए दिल्ली में भूख हडताल की गई।
28 अगस्त 2002 में सीजेएम भोपाल न्यायालय की ओर से एण्डरसन को यूएस से भारत आने के आदेश जारी।
6 फरवरी 2006 में केशव महेन्द्रा सहित दूसरे अभियुक्तों के बयान भोपाल कोर्ट में दाखिल हुए थे।
1 जून 2009 में सीजेएम भोपाल द्वारा एक बार फिर गैर जमानती वारंट जारी किया गया। इसमें सीबीआई से एण्डरसन को भोपाल अदालत में पेश करने की बात कही गई थी।
13 मई को सुनवाई पूरी हुई। इसमें अदालत ने 7 जून को फैसले की तारीख तय की।
1 टिप्पणी:
अनीस आलम राजस्थान / कोर्ट ने तो अपना काम बखूबी किया है असली गुनाहगार तो वो लोग है जिन्होंने इतनी हलकी धाराओ के तेहत मामला बनाकर पेश किया उनके खिलाफ भी जाँच होना चाहिए
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