सबसे पहले तो रेड लाईट बंद हो जाती है....पुलिस वाले अपने बिलों में भाग खड़े होते हैं...अब ट्राफिक को देखे कौन....बाकि नेता सरकार...सब बारिस के नाम का घूट पी कर लोट -मोट हो जाते हैं....बाकि जनता कीड़ो मकड़ों के साथ खेलती..अठखेली करती हुई...जैसे तैसे घर पहुचते हैं दिल्ली वासी...ऊपर से बिजली दीदी अपने घर चली जाती है...वो भी रूठ कर...ये हालत है दिल्ली की अभी...कहते हैं आदर्श शहर बनायेंगे....ख़बरों में देखा पढ़ा कई बार बार इस शहर का नंबर रहने वालों शहरों में आया कई बार बुरे शहरों में..तारीफ भी हुई... बुराई भी ...फिर भी दिल्ली नहीं सुधरी....मेट्रो भी आई...रोड भी चौड़े हुए...लेकिन बारिस में जगह जगह पानी भर जाता है....जगह जगह इंसान खुद को परेशान पाता है...बारिस के लिए सड़कें छोटी हो जाती हैं...
ड्रेनेज सिस्टम यहाँ की कब सुधरेगी कहा नहीं जा सकता है..जब देखो प्लास्टिक के बैग यहाँ जहाँ तहां पड़े मिलेंगे....जो इन ड्रेनेज सिस्टम को बिलकुल ख़तम कर देते हैं....खैर...काफी गर्मी के बाद कुछ तो रहत मिली....दिल्ली वासियौं को...अब अगले दिन अगर धूप निकल आई तो सब लोग पसीना में नहायेंगे....अल्टरनेटिव रास्ते ढूँढने होंगे.....कुल मिलाकर देखा जाए तो बारिस ने पांच लोगों की जिंदगी ले ली....और बाकी तो लोग यहं वहां पानी ही पानी देख कार लोग रो रहे हैं....मुझे अभी घर जाने की चिंता सताए जा रही है..अभी रात के बारह बजने जा रहे हैं और रास्ते में अगर पानी भरा होगा तो परेशानी हो सकती है......लेट्स होप फॉर दी बेस्ट !
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लेट्स होप
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