लगभग तीन सालों के बाद अपनों के बीच जाऊंगा.....कार्यालय से अवकास लिया है....शुक्रिया अपने बरिष्ठ सहयोगी अफसरान का ! में भी बिना काम के कोई छुट्टी नहीं लेता...छुट्टी के लिए जूठ बोलना मुझे गवारा नहीं है....खैर...लम्बी यात्रा करनी है॥कई जगह जाना है....कई लोगों से मिलना है...लेकिन अपने नाना-नानी मामा मामी, भाई बहनों के बीच जाना एक सुखद अहसाश है॥वादियाँ जो मुझे अच्छी लगती है....उनके बीच रहना किस्मत का फैसला मानता हूँ....प्रकर्ति के नजदीक रहना और वह फीलिंग्स अपने आप में एक अलग होती है...जहाँ मेरा बचपन बीता है॥जहाँ में पेड़ों से फल तोड़े हैं, जहाँ मैंने फूल के पौह्दे लगाए हैं...जहाँ मेड में चढ़ कर झूले का आनंद लिया है......जहाँ लोगों को प्रणाम कर सीखा..और ढेर सारा आशीर्वाद मिला..उन्ही लोगों के बीच फिर से जाना मेरे लिए एक ख़ुशी है....काम करते करते इंसान थक जाता है और बोरियत होने लगती है.... दिल्ली शहर जो किसी का नहीं है....न होगा...बस यहाँ इंसान पेट के लिए आता है......या फिर इलाज़ के लिए.....जगह जगह जाम , भीड़, त्रफ्फिक जाम...और पता नहीं क्या क्या ....लोग तो बस एक दुसरे को बेचने पर तुले हुए होते हैं..सीधे मुह कोई बोलता नहीं है....सोचा थोडा बदलाव हो जायेगा और में अपनों के बीच काफी सालों के बाद पह्चुन्गा....मेरा अपना बड़ा सा घर ..अपने लोग...जहाँ सिर्फ प्यार ही प्यार है......!जल्द लौटूंगा....उसी भीड़ भरी जिंदगी में...आपके बीच...........!
आपका अपना
एम्एस
आपका अपना
एम्एस
1 टिप्पणी:
sach main apno ka pyar ek khuran ka kam karta hai.jo pyar aur fikar apne karte hain dusaron main vo baat kahan aur jaise jine ke liye khana khana jaruri hai vaise hi jindagi main aage badhne ke liye apno ka pyar aur ashirvad behad jaruri hai joke sanjivani se kam nahi .
एक टिप्पणी भेजें