निर्मल पाण्डेय आज दुनिया से अलविदा कह चुके हैं....उन्हें मुंबई में हार्ट अटैक आया और इश्वर ने एक इंसान को अपने पास बुला लिया...उन्हें हम निर्मल दा भी कहते थे...एक अच्छा इंसान और कलाकार नहीं रहा...उनका जाना ना सिर्फ मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के लिए बल्कि देश ने होनहार एक्टर खो दिया है....अकस्मात् उनका जाना अपने आप में दुःख की खबर है...नैनीताल में उनके घर पर कोई नहीं था....सब लोग मुंबई निकल चुके थे, उनके रिश्तेदार अब नैनीताल में घर पर इकठे होने शुरू हो गए हैं...निर्मल दा ने 'विक्रम मल्लाह' के किरदार को अच्छी तरह निभाया......बैंडिट क्वीन में....दायरा के लिए उन्हूने बेस्ट एक्टर वैलेंती अवार्ड जीता फ़्रांस में ..और गोड मदर में भी उन्हूने अच्छी भूमिका निभाई.....एन एस डी से पास आउट होने के बाद वे लन्दन गए, वहां पर ग्रुप के साथ काम किया....हार्ट अटैक से उनका मुंबई में देहांत हो गया ...और कुमाओं के लोगों के लिए यह बहुत बड़े दुःख की बात है......शानदार कलाकार और इंसान को खोने का दुःख रहेगा...और उनकी अलग अदा को भी हमेशा याद रखा जायेगा......
हमारी ओर से अंतिम सलाम निर्मल दा को ....!
उनके खास साथी मशहूर अभिनेता मनोज वाजपेई जी का ब्लॉग पढ़ा, उन्हूने अपने विचार और संवेदना प्रकट की है यहाँ उनका ब्लॉग में लिखा डाल रहा हूँ !
बहुत याद आओगे निर्मल तुम
Posted: 19 Feb 2010 08:46 PM PST
मेरे दोस्त स्वर्गीय श्री निर्मल पांडे को मेरी तरफ से श्रद्धांजलि। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे और उसके परिवार को इस परिस्थिति से उबरने की शक्ति दे। जब मुझे अचानक एक एसमएस आया, अपने प्रिय मित्र अनिल चौधरी का कि निर्मल का देहांत हो गया तो कुछ देर के लिए मैं सुन्न बैठा हुआ था। और फिर आंखों से आंसू निकल पड़े। मन बेचैन हो उठा। फिर लगातार अनिल चौधरी के साथ संपर्क बनाए रखा। आगे की जानकारी के लिए। मैं अपनी सारी मीटिंग्स खत्म करता जा रहा था, लेकिन मन में कुछ और ही चलता जा रहा था। सारी यादें और वो सारे पल जो निर्मल के साथ बिताए थे, मन में उमड़ने लगे।
मुझे अभी भी याद है उसका एक नाटक-राउंड हेड पीक हेड। इस नाटक में उसने अनूठा अभिनय किया था। मुझे अभी भी याद है कि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के बाहर नीम के पेड़ तले एक दूसरे की टांग खींचते रहना। मुझे अभी भी याद है कि जब मैं विक्रम मल्लाह के रोल के लिए चुना गया था, तब मुझे सिर्फ यही डर था कि कहीं निर्मल पांडे शेखर कपूर से न मिल ले। क्योंकि अगर वो मिला तो निश्चित तौर पर मुझसे यह रोल छिन जाएगा। वो दिखने में इतना सुंदर था। हुआ वही। जब शेखर से निर्मल मिला तो मुझे उस रोल से हटाकर मान सिंह का रोल दे दिया गया और निर्मल को विक्रम का रोल दे दिया गाय। शेखर ने उसके बारे में कहा कि वो ईसामसीह जैसा दिखता है।
वो था भी इतने सुंदर व्यक्तित्व का मालिक। उस पर दिल हीरे जैसा। बड़े शहर की कोई भी काली छाया उसके दिल को छू नहीं पाई थी। नैनीताल के पहाड़ से आया था। और उस कमाल के व्यक्ति की कमजोरी यही थी कि वो यहां पहाड़ को खोजता रहा। शायद ये हाल हम सभी का है,जो छोटी जगहों से आए हैं। लेकिन, निर्मल कुछ ज्यादा सोचता था इन सबके बारे में। ये शहर की मारधाड़, काटाकाटी उसे पसंद नहीं आती थी।
कुछ दिनों से संपर्क टूटा हुआ था। वो अपने जीवन में रमा था। हम सभी अपने जीवन में अलग अलग व्यस्त थे। जब मैंने उसका पार्थिव शरीर कूपर हॉस्पीटल में देखा तो मैं फफक फफक कर रो पड़ा। कोशिश ये करते हुए कि कोई मुझे देखे नहीं। मैं बस किसी तरीके से वहां से निकल जाना चाहता था। क्योंकि उस दृश्य़ ने विचलित कर दिया था। और सबसे दुख की बात यह है कि इस खबर को मैं कहीं भी नहीं देखता हूं। एक ऐसे व्यक्ति का देहांत हुआ है, जो ‘बैंडिट क्वीन’ के बाद एक हवा के झोंके की तरह आया था। जिसे इस इंडस्ट्री ने सिर आंखों पर बैठाने की कोशिश की थी। लेकिन आज वो ही इंडस्ट्री उसके देहांत की खबर से बेखबर है। बड़ा अजीब है ये सब।
वो चिड़ियों से बातें करता था बैंडिट क्वीन की शूटिंग के दौरान। वो चिड़िया की आवाज के साथ गुनगुनाता था और मुझसे कहता था- मनोज सभी सुर इनकी आवाज में है। इसके बाद वो सारेगामा के सुर निकालकर दिखाता था। और घंटो बैठा रहता था चिड़ियों से बातें करते हुए और सामने तालाब के पानी को देखते हुए। ऐसा लगता था मानो नैनीताल का ताल उसे नजर आ रहा है।
मेरे दोस्त निर्मल तुम बहुत याद आ रहे हो। तुम्हारे साथ बिताए कई पल याद आ रहे हैं। ये उम्र नहीं थी जाने की। लेकिन तुम जहां भी रहो तुम्हें शांति मिले, खुशी मिले। मेरी यही दुआ है ईश्वर से।
तुम्हारा और आपका
मनोज बाजपेयी
हमारी ओर से अंतिम सलाम निर्मल दा को ....!
उनके खास साथी मशहूर अभिनेता मनोज वाजपेई जी का ब्लॉग पढ़ा, उन्हूने अपने विचार और संवेदना प्रकट की है यहाँ उनका ब्लॉग में लिखा डाल रहा हूँ !
बहुत याद आओगे निर्मल तुम
Posted: 19 Feb 2010 08:46 PM PST
मेरे दोस्त स्वर्गीय श्री निर्मल पांडे को मेरी तरफ से श्रद्धांजलि। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे और उसके परिवार को इस परिस्थिति से उबरने की शक्ति दे। जब मुझे अचानक एक एसमएस आया, अपने प्रिय मित्र अनिल चौधरी का कि निर्मल का देहांत हो गया तो कुछ देर के लिए मैं सुन्न बैठा हुआ था। और फिर आंखों से आंसू निकल पड़े। मन बेचैन हो उठा। फिर लगातार अनिल चौधरी के साथ संपर्क बनाए रखा। आगे की जानकारी के लिए। मैं अपनी सारी मीटिंग्स खत्म करता जा रहा था, लेकिन मन में कुछ और ही चलता जा रहा था। सारी यादें और वो सारे पल जो निर्मल के साथ बिताए थे, मन में उमड़ने लगे।
मुझे अभी भी याद है उसका एक नाटक-राउंड हेड पीक हेड। इस नाटक में उसने अनूठा अभिनय किया था। मुझे अभी भी याद है कि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के बाहर नीम के पेड़ तले एक दूसरे की टांग खींचते रहना। मुझे अभी भी याद है कि जब मैं विक्रम मल्लाह के रोल के लिए चुना गया था, तब मुझे सिर्फ यही डर था कि कहीं निर्मल पांडे शेखर कपूर से न मिल ले। क्योंकि अगर वो मिला तो निश्चित तौर पर मुझसे यह रोल छिन जाएगा। वो दिखने में इतना सुंदर था। हुआ वही। जब शेखर से निर्मल मिला तो मुझे उस रोल से हटाकर मान सिंह का रोल दे दिया गया और निर्मल को विक्रम का रोल दे दिया गाय। शेखर ने उसके बारे में कहा कि वो ईसामसीह जैसा दिखता है।
वो था भी इतने सुंदर व्यक्तित्व का मालिक। उस पर दिल हीरे जैसा। बड़े शहर की कोई भी काली छाया उसके दिल को छू नहीं पाई थी। नैनीताल के पहाड़ से आया था। और उस कमाल के व्यक्ति की कमजोरी यही थी कि वो यहां पहाड़ को खोजता रहा। शायद ये हाल हम सभी का है,जो छोटी जगहों से आए हैं। लेकिन, निर्मल कुछ ज्यादा सोचता था इन सबके बारे में। ये शहर की मारधाड़, काटाकाटी उसे पसंद नहीं आती थी।
कुछ दिनों से संपर्क टूटा हुआ था। वो अपने जीवन में रमा था। हम सभी अपने जीवन में अलग अलग व्यस्त थे। जब मैंने उसका पार्थिव शरीर कूपर हॉस्पीटल में देखा तो मैं फफक फफक कर रो पड़ा। कोशिश ये करते हुए कि कोई मुझे देखे नहीं। मैं बस किसी तरीके से वहां से निकल जाना चाहता था। क्योंकि उस दृश्य़ ने विचलित कर दिया था। और सबसे दुख की बात यह है कि इस खबर को मैं कहीं भी नहीं देखता हूं। एक ऐसे व्यक्ति का देहांत हुआ है, जो ‘बैंडिट क्वीन’ के बाद एक हवा के झोंके की तरह आया था। जिसे इस इंडस्ट्री ने सिर आंखों पर बैठाने की कोशिश की थी। लेकिन आज वो ही इंडस्ट्री उसके देहांत की खबर से बेखबर है। बड़ा अजीब है ये सब।
वो चिड़ियों से बातें करता था बैंडिट क्वीन की शूटिंग के दौरान। वो चिड़िया की आवाज के साथ गुनगुनाता था और मुझसे कहता था- मनोज सभी सुर इनकी आवाज में है। इसके बाद वो सारेगामा के सुर निकालकर दिखाता था। और घंटो बैठा रहता था चिड़ियों से बातें करते हुए और सामने तालाब के पानी को देखते हुए। ऐसा लगता था मानो नैनीताल का ताल उसे नजर आ रहा है।
मेरे दोस्त निर्मल तुम बहुत याद आ रहे हो। तुम्हारे साथ बिताए कई पल याद आ रहे हैं। ये उम्र नहीं थी जाने की। लेकिन तुम जहां भी रहो तुम्हें शांति मिले, खुशी मिले। मेरी यही दुआ है ईश्वर से।
तुम्हारा और आपका
मनोज बाजपेयी
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