पाकिस्तान में अभी कई समानांतर हुकुमतू का जोर चल रहा है शायद वह अपनी पैदाइश के बाद पहली बार इतने बड़े संकट में है की उसे ख़ुद नही पता की उसे क्या करना है, क्या कहना है।
पाकिस्तान में राजनीतिक नेत्रत्व हमेसा से हाशिये पर रहा है। मुल्क में इस समय कई समानांतर हुक्मरानू के होने से हालत बड़े विकट दिखाए पड़ रहे हैं। हमारे देश को इस सबका खामिआजा भुगतना पड़ रहा और भारत हमेशा से ही इसकी मार झेलता आ रहा है। फिलहाल वहा पर पहली रस्थ्रपति ज़रदारी और प्रधान मंत्री गिलानी की है, दूसरी सेना प्रमुख जनरल कियानी की है, जो वास्तव में आज पकिस्तान में सबसे ताक़तवर शक्शियत है, तीसरी ताकत वे कट्टरपंथी या मज़हबी हैं, जिंहूने पाकिस्तान को तबाह कर के रख दिया है। इन सब से ऊपर आई एस आई है जो लोकतंत्र की टाँगे तोड़ने पर लगी हुई और इन सबकी लगाम अमेरिका के हाथ में है। आर्मी चीफ कियानी कुछ समय पहले आई एस आई के मुखिया हुआ करते थे लेकिन नॉर्थ वेस्ट फ्रोंतिएर में जो हालत हैं उनकी वजह से सेना और आई एस आई में बीच थोडी तकरार जरूर है। खाशकर सेना ने जब वह पर कत्तार्पन्थियू के ख़िलाफ़ जाने का मन अम्रीका सेना के साथ किया तो तबके आई एस ई और मजहबी संघठन सेना से थोडी दूरी बनाए रखे हुए हैं। hआलात बेकाबू होते जा रहे हैं। राष्ट्रपति ज़रदारी को यही नही पता की मुल्क किस सब्द का नाम है।
उनका पिछला रिकॉर्ड खंगाला जाए तो सब कुछ पता चल जाएगा। वे कितने ईमानदार, मेहनती सच्चे हैं सब जानते हैं। इसमे शंका है जैसे तैसे सौदा कर उन्हूने अपने ऊपर भरष्टाचार के अनगिनत मामलू को हटवाया ही साथ ही ये तो मुशार्फफ़ में भी बाप निकले। बेनजीर की दर्दनाक मौत नही होती तो शायद ही इनको ऐसे राष्ट्रपति की कुर्सी के दीदार होते। उनकी नियत पर हम हेशा सक कर सकते हैं इसमे दो राय नही है। फ़िर भी असी इंसान का पता नही जो सुबह का खाना खाकर कुछ और बोलेगा और दोपहर शाम का कुछ और बोल सकता है। अपना एक स्टैंड नही है। भारत की आफियत उनको हज़म नही होती है। अगर युद्ध हुआ तो दोनु मुल्कू को काफ़ी नुकशान होगा। पाकिस्तान की हालत को क्या होगी अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। अभी वहा पर लोगूँ को समय पर तनख्वाह नही मिल पाती है युद्ध के बाद क्या हश्र होगा अल्लाह जाने......
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