बराक ओबामा विश्व शक्ति के पहले राष्ट्रपति बन ही गए। २० जनवरी २००९ को जब हमने इस अमेरिकी रास्त्रपति की शपथ शमारोह देखा। काफ़ी अच्छा लगा । लोग कितनी रूचि ले रहे थे अपने राष्ट्रपति के बारे में। उनकी आखु में साफ़ दिख रहा था की वे क्या चाहते हैं। किसी भी लोकतंत्र के लिए इससे खुसी की बात और क्या हो सकती है जब दो नेता आपस में चुनाव लड़ रहे हो और फ़िर उनमे से एक जीत ते ही उसी को वो अपनी सरकार में शामिल कर लेते हैं वो भी खास ओहदा दे कर। और ऐसा ही बराक ओबामा ने किया हिलेरी को अपनी सरकार में शामिल कर। यह बहुत नेक और दूरदर्शी इंसान की सोच हो सकती है। और अगर वह राजनेता है या बनता है तो निश्चित ही उस देश के लिए खुसी का मौका होगा। हमारे देश के नेताऊ को इस बात से सीख लेनी चैये। और इसमे शर्म वाली कोई बात नही होनी चाइये। विश्व में तरह तरह की समस्याए हैं एक तरफ़ आतंकवाद वही दूसरी तरफ़ आर्थिक मंदी दोनू ही नासूर की तरह हैं। लेकिन ये आने वाला समय कैसा निकालता है देखने वाली बात है। वही दूसरी तरफ़ अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है और लोग इसे एक नए युग की शुरुआत के रूप में देख रहे हैं। लोगों को उम्मीद है कि ओबामा के कार्यकाल के दौरान नस्ली रिश्तों में सुधार आएगा।
जहा तक नस्लवाद की बात करे तो 22 फीसदी श्वेत समस्या मानते हैं, जबकि 44 फीसदी अश्वेत इसे गंभीर मसला मानते हैं। इसी तरह नस्लीय समानता के मामले में भी श्वेत और अश्वेतों के विचार जुदा हैं। जहां पचास फीसदी अश्वेत मानते हैं कि अफ्रीकी-अमेरिकियों ने नस्लीय समानता का लक्ष्य हासिल कर लिया है या जल्दी ही कर लेंगे, जबकि 72 फीसदी श्वेतों ने कहा कि दोनों समुदायों में कोई नस्ल के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता।
वही हिंदुस्तानियों की हसरत क्या है देखने और सोचने वाली बात है । दुनिया भर में फैले भारतीयों सहित पूरी दुनिया ओबामा से उम्मीद लगाए बैठी है। सवाल है कि आखिर लोग ओबामा से क्या चाहते हैं। यह जानने के लिए बीबीसी वर्ल्ड ने एक सर्वे करवाया, जिससे पता चला कि वैश्विक आर्थिक संकट को दूर करना ओबामा की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। पेश है ओबामा से भारतीयों की उम्मीदें:
-63 फीसदी भारतीय मानते हैं कि अमेरिका का शेष विश्व के साथ रिश्ता सुधरेगा
-35 फीसदी भारतीय चाहते हैं कि जलवायु परिवर्तन को सर्वोच्च प्राथमिकता दें ओबामा
-28 फीसदी भारतीय चाहते हैं कि इजरायल-फलस्तीन संकट हल करने को दी जाए वरीयता
-27 फीसदी भारतीय चाहते हैं कि इराक से वापस आ जाए अमेरिकी फौजें
-26 फीसदी चाहते हैं कि अफगानिस्तान सरकार को मिलती रहे अमेरिकी मदद
पहले क्या करें
बीबीसी का एक सर्वे हुआ था इसमे लोगूँ की क्या सोच थी...
1-वैश्विक आर्थिक संकट का समाधान: 72 फीसदी
2-इराक से अमेरिकी फौजों की वापसी: 50 फीसदी
3-जलवायु परिवर्तन से लड़ने की जरूरत: 46 फीसदी
4-दूसरे देशों से अमेरिकी रिश्तों में सुधार:46 फीसदी
5-इजरायल-फलस्तीन संकट का हल: 43 फीसदी
जहा तक अमेरिका में अश्वेतों के संघर्ष की कहानी का है वो इस प्रकार है.
1619: अमेरिका में अफ्रीकी गुलामों का पहुंचना शुरू
1800: अमेरिका में गुलामों की संख्या 66 लाख
1861: अमेरिका में गृह युद्ध प्रारंभ
1865: गृह युद्ध खत्म, संविधान ने गुलामी प्रथा खत्म की, लेकिन नस्लभेद जारी रहा
1950-60: नस्लभेद के खिलाफ अश्वेत और प्रबुद्ध श्वेत सड़कों पर उतरे। 110 शहरों में नस्ली दंगे
1955: अश्वेत महिला रोजा पार्क्स ने श्वेत के लिए बस में सीट खाली करने से इनकार किया
1963: मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने वाशिंगटन में अपना मशहूर भाषण दिया, जिसमें उन्होंने कहा था, 'आई हैव ए ड्रीम' [मेरे पास एक सपना है]
1964: सिविल राइट्स एक्ट पर हस्ताक्षर। सभी को बराबर अधिकार। श्वेत और अश्वेतों में विवाह पर रोक हटी
1968: मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्या
1989: कोलिन पावेल अमेरिकी सेना के पहले अश्वेत प्रमुख बने। बाद में उन्होंने विदेश मंत्री का भी जिम्मा संभाला
2008: बराक ओबामा राष्ट्रपति चुनाव जीतने वाले पहले अश्वेत बने
जहा तक नस्लवाद की बात करे तो 22 फीसदी श्वेत समस्या मानते हैं, जबकि 44 फीसदी अश्वेत इसे गंभीर मसला मानते हैं। इसी तरह नस्लीय समानता के मामले में भी श्वेत और अश्वेतों के विचार जुदा हैं। जहां पचास फीसदी अश्वेत मानते हैं कि अफ्रीकी-अमेरिकियों ने नस्लीय समानता का लक्ष्य हासिल कर लिया है या जल्दी ही कर लेंगे, जबकि 72 फीसदी श्वेतों ने कहा कि दोनों समुदायों में कोई नस्ल के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता।
वही हिंदुस्तानियों की हसरत क्या है देखने और सोचने वाली बात है । दुनिया भर में फैले भारतीयों सहित पूरी दुनिया ओबामा से उम्मीद लगाए बैठी है। सवाल है कि आखिर लोग ओबामा से क्या चाहते हैं। यह जानने के लिए बीबीसी वर्ल्ड ने एक सर्वे करवाया, जिससे पता चला कि वैश्विक आर्थिक संकट को दूर करना ओबामा की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। पेश है ओबामा से भारतीयों की उम्मीदें:
-63 फीसदी भारतीय मानते हैं कि अमेरिका का शेष विश्व के साथ रिश्ता सुधरेगा
-35 फीसदी भारतीय चाहते हैं कि जलवायु परिवर्तन को सर्वोच्च प्राथमिकता दें ओबामा
-28 फीसदी भारतीय चाहते हैं कि इजरायल-फलस्तीन संकट हल करने को दी जाए वरीयता
-27 फीसदी भारतीय चाहते हैं कि इराक से वापस आ जाए अमेरिकी फौजें
-26 फीसदी चाहते हैं कि अफगानिस्तान सरकार को मिलती रहे अमेरिकी मदद
पहले क्या करें
बीबीसी का एक सर्वे हुआ था इसमे लोगूँ की क्या सोच थी...
1-वैश्विक आर्थिक संकट का समाधान: 72 फीसदी
2-इराक से अमेरिकी फौजों की वापसी: 50 फीसदी
3-जलवायु परिवर्तन से लड़ने की जरूरत: 46 फीसदी
4-दूसरे देशों से अमेरिकी रिश्तों में सुधार:46 फीसदी
5-इजरायल-फलस्तीन संकट का हल: 43 फीसदी
जहा तक अमेरिका में अश्वेतों के संघर्ष की कहानी का है वो इस प्रकार है.
1619: अमेरिका में अफ्रीकी गुलामों का पहुंचना शुरू
1800: अमेरिका में गुलामों की संख्या 66 लाख
1861: अमेरिका में गृह युद्ध प्रारंभ
1865: गृह युद्ध खत्म, संविधान ने गुलामी प्रथा खत्म की, लेकिन नस्लभेद जारी रहा
1950-60: नस्लभेद के खिलाफ अश्वेत और प्रबुद्ध श्वेत सड़कों पर उतरे। 110 शहरों में नस्ली दंगे
1955: अश्वेत महिला रोजा पार्क्स ने श्वेत के लिए बस में सीट खाली करने से इनकार किया
1963: मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने वाशिंगटन में अपना मशहूर भाषण दिया, जिसमें उन्होंने कहा था, 'आई हैव ए ड्रीम' [मेरे पास एक सपना है]
1964: सिविल राइट्स एक्ट पर हस्ताक्षर। सभी को बराबर अधिकार। श्वेत और अश्वेतों में विवाह पर रोक हटी
1968: मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्या
1989: कोलिन पावेल अमेरिकी सेना के पहले अश्वेत प्रमुख बने। बाद में उन्होंने विदेश मंत्री का भी जिम्मा संभाला
2008: बराक ओबामा राष्ट्रपति चुनाव जीतने वाले पहले अश्वेत बने
कल का दिन नया होगा ओबामा के लिए और एक नई सोच और ने ऑफिस के साथ नए युग में नई कार्य शैली के साथ दिखायी देंगे। हमारी शुभकामनाये उनके साथ हैं ......और तहे दिल से स्वागत भी करते हैं..लेकिन याद रखना उनके ये शब्द ..."महानता कभी आसानी से नही मिलती"....बराक ओबामा !
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