लास्ट नाईट :-
३१ जनवरी की रात मेरी अन्तिम शिफ्ट रात थी...पिछले ३ महीने से में रात्रि शिफ्ट में था...कम अपना खबरू से खेलना....पुरा देश विदेश से खबर मगाई, की और कुल मिलाकर ख़बर से ही जीते हैं...जौनालिस्ट की जिंदगी एक तरह से लोगूँ के लिए हो जाती है..अपने लिए कुछ नही कर पता है वो..लेकिन लोग नही समझ पते हैं इस चीज़ को...खैर...खबरू के मामले में हम किसी से पीछे नही थे...और सबसे बरी बात अच्छे लोगूँ के साथ काम करने का मौका मिला। मेरा बिभाग जो की एक तरह से बहुत ही महत्व पूर्ण बिभाग है...... और इस दौरान मैंने अपने और से किसी भी तरह से कोई ढिलाई नही बरती और कोसिस की की अपना सौ प्रतिशत दू। कईए बड़ी खबरे दी, घटित हुई ,और लाइव हुए...रिपोर्टर्स ने भी काफी सहयोग किया...और चाहे वो आदेश हो, अरविन्द, अजय,प्रभात हो या फ़िर निशाना जी सभी ने काफ़ी अच कम किया। शिफ्ट इंचार्ज धर्मेन्द्र सर बहुत ही अच्छे इंसान लगे चाहे वो प्रोफ़ेस्सिओनल्लि हो या फ़िर ब्यक्ति गत तौर पर उनका ब्यौहार काफी अच्छा लगा। कभी भी इर्रितेत नही होते हैं। हमेसा अपना बेस्ट करने की कोसिस करते हैं...उनसे काफी कुछ सीखने को मिला इस दौरान काफी कुछ सीखने को मिला....hअमेसा अच्छी ख़बर की खोज में रहते हैं और उस ख़बर को खेलते भी अची तरह हैं और प्रस्तुत भी अची तरह करते हैं....और सहयोगी भी काफी मदद गार रहे....मुंबई हमला ऐसा था जो बड़ा ही महत्व पूर्ण था और मैंने कोसिस की अच्छी तरह से अपना काम करू। अभी प्राइम टाइम में ड्यूटी लगी है इसलिए हो सकता है हेक्टिक लगे कुकी रात में जो भी काम करू शान्ति से करने को मिलता था दिन में ऐसा नही होगा। लेकिन बदलाव भी जरूरी है...अपने चैनल को अपना बेस्ट देने की कोशिश की है...और आगे भी देता रहूँगा...और आने वाला टाइम और चुनौती पूर्ण होगा...में जनता होऊं ..इस बीच ब्यक्तिगत तौर पर दुःख भी काफी झेलना पड़ा.... सोचा नही था वो हुआ...झेला...बुरा भी लगा...परिवार से भी अनबन रही ....और फ़िर सोचा की ये भी जिंदगी का हिस्सा है...इंसान जो सोचता है ग़लत नही सोचता है...उसने भी ठीक सोचा होगा...लेकिन मैंने कोई गलती नही की है...सब कुछ ऊपर भगवन के हाथ में छोड़ रखा है..जब मैंने किसी का बुरा नही किया तो मेरा क्योँ होगा..यही सोच कर खुश रहता होऊं और अपना कम करता होऊं..फ़िर भी भगवान् पर पुरा भरोसा है और इंसान पर भी जो होगा अच्छा होगा...लेकिन अपने काम में कोई कमी नही आने दी...घर से पिक रात करीब १०:३० या ११ बजे हो कर सीचे ऑफिस आना और सुबह सीधे घर जन..और फ़िर सोना यही दिन चर्या रही....इस बीच मम्मी का ओपेरेसन हुआ, भगवन के आशीर्वाद से ठीक रहा...कुछ अच्छे लोग मिले...लेकिन ज्यादा बात करने का मौका नही मिला...और न ही मिलने का...फ़िर भी अपना अपना होता है...मैंने सब कुछ छोड़ कर अपना टाइम अधिकतर काम में लगाया...इस बीच किसी को बुरा लगा हो तो माफ़ी चाहता होऊं...दिल का बुरा नही होऊं में , फ़िर भी कोई सब्द या ब्यौहार ग़लत लगा हो तो दोस्तों फ़िर से माफ़ कर देना......
३१ जनवरी की रात मेरी अन्तिम शिफ्ट रात थी...पिछले ३ महीने से में रात्रि शिफ्ट में था...कम अपना खबरू से खेलना....पुरा देश विदेश से खबर मगाई, की और कुल मिलाकर ख़बर से ही जीते हैं...जौनालिस्ट की जिंदगी एक तरह से लोगूँ के लिए हो जाती है..अपने लिए कुछ नही कर पता है वो..लेकिन लोग नही समझ पते हैं इस चीज़ को...खैर...खबरू के मामले में हम किसी से पीछे नही थे...और सबसे बरी बात अच्छे लोगूँ के साथ काम करने का मौका मिला। मेरा बिभाग जो की एक तरह से बहुत ही महत्व पूर्ण बिभाग है...... और इस दौरान मैंने अपने और से किसी भी तरह से कोई ढिलाई नही बरती और कोसिस की की अपना सौ प्रतिशत दू। कईए बड़ी खबरे दी, घटित हुई ,और लाइव हुए...रिपोर्टर्स ने भी काफी सहयोग किया...और चाहे वो आदेश हो, अरविन्द, अजय,प्रभात हो या फ़िर निशाना जी सभी ने काफ़ी अच कम किया। शिफ्ट इंचार्ज धर्मेन्द्र सर बहुत ही अच्छे इंसान लगे चाहे वो प्रोफ़ेस्सिओनल्लि हो या फ़िर ब्यक्ति गत तौर पर उनका ब्यौहार काफी अच्छा लगा। कभी भी इर्रितेत नही होते हैं। हमेसा अपना बेस्ट करने की कोसिस करते हैं...उनसे काफी कुछ सीखने को मिला इस दौरान काफी कुछ सीखने को मिला....hअमेसा अच्छी ख़बर की खोज में रहते हैं और उस ख़बर को खेलते भी अची तरह हैं और प्रस्तुत भी अची तरह करते हैं....और सहयोगी भी काफी मदद गार रहे....मुंबई हमला ऐसा था जो बड़ा ही महत्व पूर्ण था और मैंने कोसिस की अच्छी तरह से अपना काम करू। अभी प्राइम टाइम में ड्यूटी लगी है इसलिए हो सकता है हेक्टिक लगे कुकी रात में जो भी काम करू शान्ति से करने को मिलता था दिन में ऐसा नही होगा। लेकिन बदलाव भी जरूरी है...अपने चैनल को अपना बेस्ट देने की कोशिश की है...और आगे भी देता रहूँगा...और आने वाला टाइम और चुनौती पूर्ण होगा...में जनता होऊं ..इस बीच ब्यक्तिगत तौर पर दुःख भी काफी झेलना पड़ा.... सोचा नही था वो हुआ...झेला...बुरा भी लगा...परिवार से भी अनबन रही ....और फ़िर सोचा की ये भी जिंदगी का हिस्सा है...इंसान जो सोचता है ग़लत नही सोचता है...उसने भी ठीक सोचा होगा...लेकिन मैंने कोई गलती नही की है...सब कुछ ऊपर भगवन के हाथ में छोड़ रखा है..जब मैंने किसी का बुरा नही किया तो मेरा क्योँ होगा..यही सोच कर खुश रहता होऊं और अपना कम करता होऊं..फ़िर भी भगवान् पर पुरा भरोसा है और इंसान पर भी जो होगा अच्छा होगा...लेकिन अपने काम में कोई कमी नही आने दी...घर से पिक रात करीब १०:३० या ११ बजे हो कर सीचे ऑफिस आना और सुबह सीधे घर जन..और फ़िर सोना यही दिन चर्या रही....इस बीच मम्मी का ओपेरेसन हुआ, भगवन के आशीर्वाद से ठीक रहा...कुछ अच्छे लोग मिले...लेकिन ज्यादा बात करने का मौका नही मिला...और न ही मिलने का...फ़िर भी अपना अपना होता है...मैंने सब कुछ छोड़ कर अपना टाइम अधिकतर काम में लगाया...इस बीच किसी को बुरा लगा हो तो माफ़ी चाहता होऊं...दिल का बुरा नही होऊं में , फ़िर भी कोई सब्द या ब्यौहार ग़लत लगा हो तो दोस्तों फ़िर से माफ़ कर देना......
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