किसी ने सच कहा है जिंदगी का पता नहीं? कब कहाँ शाम हो जाये? और किस घडी में? किस हालात में?लेकिन जिसे पता है जिंदगी का, उसे इंसान नहीं महात्मा [महान+आत्मा] कहा जाता है...और जो इस सच को गले लगा गया वो उसका अपना फैसला होता है !दुःख इस बात का और बढ़ जाता है, जब कोई अपना अजीज इस सच हो गले लगा लेता है ......और उस परिवार के लिए यह बहुत बड़ी त्रासदी होती है !
दिन शुक्रवार, समय सुबह 10 बजे के आस-पास, हर दिन की तरह घर पर सो रहा था, रात को देर से घर पहुचने के कारण सुबह उठने में देरी हो ही जाती है... मीडिया/प्रेस वालों की जिंदगी ख़बरों तक ही सीमित रह जाती है थोडा बहुत जो समय मिलता है उसमे आराम भी जरुरी है ..ये मेरी कमजोरी है कि मुझे आठ घंटे की नींद पूरी चाहिए. ...तक़रीबन दस बजे सुबह मेरे चचेरे भाई का फोन आया...भाई कहाँ हो? मैंने कहा हाँ बोल घर पर! ऑफिस जाऊँगा थोड़ी देर में, उठा नहीं था में,सोये हुए उसके फ़ोन का जवाब दे रहा था....भरे गले से आधी नींद में आँखें खुली भी नहीं थी मेरी, ....वो बोला भाई [] ने सुसाइड कर लिया है ! मेरी समझ में कुछ नहीं आया पहले, एक मिनट के लिए कुछ समझ नहीं आया क्या बोलूं न दिमाग करना काम किया...उसने फिर पूछा भाई क्या करूँ? फिर थोड़ी आँखें खुली और समझा आया तो देर हो चुकी थी.....वो बोल चूका था और में समझ चुका था......मैंने कहा की पुलिस को कॉल कर, बांकी बात में कर लूँगा, कोइस समस्या नहीं होगी...अमूमन पुलिस वाले परेशान करते हैं..शव को पीएम के लिए भेजना, फिर तरह तरह से सवाल जवाब....लेकिन कुछ संदिग्ध नहीं था इसलिए जल्द ही उन्हूने किलियर का दिया...पुलिस वाले भी अच्छे इंसान थे...सभ्य और सुशील !कुछ मीडिया का दवाब मान कर जल्द ही उन्हूने शव को परिवार के हवाले कर दिया.... शव घर के अन्दर चैन की नींद में सो रहा था ! वो कोई और नहीं बल्कि मेरी चचेरी बहन का था....सब उसे प्यार करते थे, सुन्दर थी, बहादुर थी,बुद्धिमता में किसी से कम नहीं थी और जिंदगी में कुछ कर सकने कि जद्धोजहद में जिंदगी से जूझ रही थी.....घर में बचपन से चंचल स्वभाव की थी....सबकी प्यारी लाडली बच्ची थी....भाई विदेश में है और कुछ दिन पहले ही उसके लिए उसने कुछ रुपये भिजवाये थे, ताकि उसकी आगे कि पढ़ाई और अच्छी तरह और पूरी हो और उसकी बहन अच्छी तरह से पढ़ सके. बड़ी बहन के लिए भी पैसे भिजवाये थे . पिता जी कोमल ह्रदय के और साफ़ इंसान हैं, सामाजिक रूप से लोगों कि भलाई करने वाले और हमेसा सच बोलने वाले .मेहनत में यकीन रखने वाले और अच्छे पद पर बिराजमान हैं ,लेकिन इस हादसे ने उन्हें काफी दुःख पंहुचा है, सायद उसकी कल्पना कर पाना संभव नहीं है...... मां एक अच्छे परिवार से तालुक रखने वाली गृहणी हैं, और हमेसा प्यार से बोलने वाली और सोफ्ट स्वभाव वाली महिला रही हैं जो अपने परिवार को हर संभव, हर चीज़ देने की कोशिश में रहती हैं, और दिया भी है आज तक उन्हूने.,,, छोटा भाई जितनी प्यारी वो थी उतना ही प्यारा है. बड़ी बहन भी एक बड़ी दीदी कि तरह हमेसा ना डाटने वाली और न झगडा करने वाली और चोटों कि मांग पूरी करने वाली है, और बहुत प्यारी बच्ची है.....उसकी अन्खून में आज आँसों थे.....अपनी प्यारी बहन जो खो चुकी है....पिता परेशान थे क्या गलत हुआ उनसे जो उनकी बच्ची ने ऐसा किया....मां बिलख बिलख रो पड़ रही थी....और अपने आप को नहीं संभाला जा रहा था उससे......कलेजे का टुकड़ा जो चला गया....में भी तुरंत पहुंचा....पंहुचा तो देखा ये सब मंजर !कुछ शब्द नहीं थे मेरे पास ! छोटी सी थी,जब वह हमारे घर आई थी और कुछ दिन रही थी.....उसकी चुलबुलाहट,और उलझी-सीधी बातें आज तक याद है......प्यारी बहन की तरह कोई बात होती तो पूछ लेती थी मुझे ..कहती ! भाई ये क्या है? कैसे होता है?.....तरह तरह...लेकिन कभी-कभी जिरह, तर्क-वितर्क भी कर बैठती थी......आज वो हामारी बीच नहीं है......उसका अंतिम बार देखा मासूम चेहरा जिस पर न कोई सिकन थी न ही कोई दर्द.....
दिन शुक्रवार, समय सुबह 10 बजे के आस-पास, हर दिन की तरह घर पर सो रहा था, रात को देर से घर पहुचने के कारण सुबह उठने में देरी हो ही जाती है... मीडिया/प्रेस वालों की जिंदगी ख़बरों तक ही सीमित रह जाती है थोडा बहुत जो समय मिलता है उसमे आराम भी जरुरी है ..ये मेरी कमजोरी है कि मुझे आठ घंटे की नींद पूरी चाहिए. ...तक़रीबन दस बजे सुबह मेरे चचेरे भाई का फोन आया...भाई कहाँ हो? मैंने कहा हाँ बोल घर पर! ऑफिस जाऊँगा थोड़ी देर में, उठा नहीं था में,सोये हुए उसके फ़ोन का जवाब दे रहा था....भरे गले से आधी नींद में आँखें खुली भी नहीं थी मेरी, ....वो बोला भाई [] ने सुसाइड कर लिया है ! मेरी समझ में कुछ नहीं आया पहले, एक मिनट के लिए कुछ समझ नहीं आया क्या बोलूं न दिमाग करना काम किया...उसने फिर पूछा भाई क्या करूँ? फिर थोड़ी आँखें खुली और समझा आया तो देर हो चुकी थी.....वो बोल चूका था और में समझ चुका था......मैंने कहा की पुलिस को कॉल कर, बांकी बात में कर लूँगा, कोइस समस्या नहीं होगी...अमूमन पुलिस वाले परेशान करते हैं..शव को पीएम के लिए भेजना, फिर तरह तरह से सवाल जवाब....लेकिन कुछ संदिग्ध नहीं था इसलिए जल्द ही उन्हूने किलियर का दिया...पुलिस वाले भी अच्छे इंसान थे...सभ्य और सुशील !कुछ मीडिया का दवाब मान कर जल्द ही उन्हूने शव को परिवार के हवाले कर दिया.... शव घर के अन्दर चैन की नींद में सो रहा था ! वो कोई और नहीं बल्कि मेरी चचेरी बहन का था....सब उसे प्यार करते थे, सुन्दर थी, बहादुर थी,बुद्धिमता में किसी से कम नहीं थी और जिंदगी में कुछ कर सकने कि जद्धोजहद में जिंदगी से जूझ रही थी.....घर में बचपन से चंचल स्वभाव की थी....सबकी प्यारी लाडली बच्ची थी....भाई विदेश में है और कुछ दिन पहले ही उसके लिए उसने कुछ रुपये भिजवाये थे, ताकि उसकी आगे कि पढ़ाई और अच्छी तरह और पूरी हो और उसकी बहन अच्छी तरह से पढ़ सके. बड़ी बहन के लिए भी पैसे भिजवाये थे . पिता जी कोमल ह्रदय के और साफ़ इंसान हैं, सामाजिक रूप से लोगों कि भलाई करने वाले और हमेसा सच बोलने वाले .मेहनत में यकीन रखने वाले और अच्छे पद पर बिराजमान हैं ,लेकिन इस हादसे ने उन्हें काफी दुःख पंहुचा है, सायद उसकी कल्पना कर पाना संभव नहीं है...... मां एक अच्छे परिवार से तालुक रखने वाली गृहणी हैं, और हमेसा प्यार से बोलने वाली और सोफ्ट स्वभाव वाली महिला रही हैं जो अपने परिवार को हर संभव, हर चीज़ देने की कोशिश में रहती हैं, और दिया भी है आज तक उन्हूने.,,, छोटा भाई जितनी प्यारी वो थी उतना ही प्यारा है. बड़ी बहन भी एक बड़ी दीदी कि तरह हमेसा ना डाटने वाली और न झगडा करने वाली और चोटों कि मांग पूरी करने वाली है, और बहुत प्यारी बच्ची है.....उसकी अन्खून में आज आँसों थे.....अपनी प्यारी बहन जो खो चुकी है....पिता परेशान थे क्या गलत हुआ उनसे जो उनकी बच्ची ने ऐसा किया....मां बिलख बिलख रो पड़ रही थी....और अपने आप को नहीं संभाला जा रहा था उससे......कलेजे का टुकड़ा जो चला गया....में भी तुरंत पहुंचा....पंहुचा तो देखा ये सब मंजर !कुछ शब्द नहीं थे मेरे पास ! छोटी सी थी,जब वह हमारे घर आई थी और कुछ दिन रही थी.....उसकी चुलबुलाहट,और उलझी-सीधी बातें आज तक याद है......प्यारी बहन की तरह कोई बात होती तो पूछ लेती थी मुझे ..कहती ! भाई ये क्या है? कैसे होता है?.....तरह तरह...लेकिन कभी-कभी जिरह, तर्क-वितर्क भी कर बैठती थी......आज वो हामारी बीच नहीं है......उसका अंतिम बार देखा मासूम चेहरा जिस पर न कोई सिकन थी न ही कोई दर्द.....
मगर एक प्रश्न हमेसा दिल में खौलता रहा की ऐसा क्योँ किया उसने ?...सब कुछ होते भी ऐसा कर डाला....क्योँ ? इतना अच्छा घर, लोग,हालात सब कुछ तो ठीक था.....किसी के पास कोई जवाब नहीं ?कुछ न होते हुए भी सब कुछ कर दिया एक मिनट में......मेरी और से प्यारी श्रधान्जली और दुआ है कि उसकी आत्मा को असीम शान्ति मिले......उस बच्चे को में हमेसा मिस करूँगा............
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