विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर जितने प्रसिद्ध कुछ समय पहले अंतररास्ट्रीय स्तर पर थे....आज उतनी ही बात उनके बारे में विवाद के तौर पर उभर कर सामने आई है.....कभी उल्टे -सीधे बयान दे कर मनमोहन सिंह की सरकार के नाक में दम करने वाले थरूर आज फिर से मुशीबत में हैं. लेकिन समय और विषय बदल गया है. सरकार उनके बयान बाज़ी को सहन कर गई. लेकिन लगता है अब बर्दास्त करने के मूड में नहीं है.थरूर का 'जिन्दा जिन्न' ने प्रधान मंत्री का पीछा ओबामा से मुलाक़ात करते समय भी नहीं छोड़ा. आंखिर पीएम को बयान जरी करना पड़ा अमेरिका से कि वापस देश में आकर जो भी उचित होगा.इस बात पर कार्यवाही की जाएगी.... और उसी का नतीजा है आज पीएम और सोनिया गाँधी की बैठक तो है ही साथ में कैबिनेट की कोर कमिटी की बैठक भी हो सकती है. ..और हो सकता है यह मुद्दा भी वहां पर जिन्न की तरह पीछा न छोड़े? ऐसे में कहीं थरूर इस्तीफा न पटक मारे?
लेकिन ललित मोदी का चहचहाना थरूर और सुनंदा पुष्कर के सपनों को डंक मार गया ! बिपक्ष खास कर बीजेपी ४४ डिग्री तापमान में जली- भुनी पड़ी है,और पसीने-पसीने हो कर सरकार पर हमले पर हमले किये जा रही है....साथ में अन्य दल भी कभी-कभी पत्थर सरकार पर मार देते हैं. ....वो भी सिर्फ अपनी ड्यूटी पूरा करने के लिए ! खैर सब कुछ हुआ अब देखना यह है कि ललित मोदी, सुनंदा पुष्कर और शशि थरूर का आगे क्या होगा? क्या थरूर को कुर्सी छोडनी पड़ेगी? क्या ललित मोदी कि टेंसन कम हो पायेगी?क्या सुनंदा पुष्कर मीडिया से पीछे छुड़ा पाएगी ?सवाल कई हैं लेकिन जवाब जरुरी है, जब आग लग ही गई है तो पता लगना चाहिए कि किसने, कहाँ और क्योँ लगाईं?
संयुक्त राष्ट्र महासचिव का चुनाव से लेकर भारत में चुनाव और विदेश राज्यमंत्री का पद लेने तक उनके लिए सब कुछ बढ़िया रहा, उनके कई विवादस्पद बयान सरकार झेल गयी। बेशक वे पढ़े लिखे हैं आकर्षक हैं....लेकिन सुनंदा पुष्कर नाम की महिला का नाम जुड़ना और वो भी आईपीएल जैसे क्रिकेट को आधार बनाकर जुड़ना...भूचाल तो सरकार और मीडिया में आना स्वाभाविक है. कहावत है जर, जोरू और ज़मीन..झगडे कीजड़ रहे हैं, यहाँ पर क्रिकेट और जोड़ लो....लेकिन मेरा मानना है पब्लिक फिगर बनने के बाद थोडा पर्दा रहे तो अच्छी बात है. ऐसे में कुर्सी भी नहीं छिनेगी, पैसा भी कम लिया जायेगा और यारी दोस्ती भी सलामत रहेगी.
मगर नाम जिस तरीके से जुड़ा उस पर जरुर सवालिया निशाँ खड़े होते हैं. ...आप शादी एक दो नहीं कई करें कोई नहीं पूछेगा...किसी कोई हक़ भी नहीं है किसी की निजी जिंदगी में झाँकने का .....और होना भी नहीं चाहिए. लेकिन यहाँ पर कई तरह के 'लिंक' उग आये हैं....जैसे जम्मू & कश्मीर में रेसेप्स्निस्ट की नौकरी फिर दुबई में रही वहीं बिज़नेस किया,स्पा की मालकिन, दुबई लिंक...फिर मंत्री के साथ लिंक....और फिर सवालिए निशाँ उठे आईपीएल में एंट्री..वो भी फ्री इक्विटी /हिस्सा के मार्फ़त. ...और अगर सलाहकार भी थी तो किस बात की?और देश का दुर्भाग्य ही है वे लोग खेल के मालिक हो गए जो कभी क्रिकेट खेलते तक नहीं ...खुल्लम खुल्ला पैसा कमाओ....भाड़ में जाये खेल, देश और दुनिया... जिसने कभी क्रिकेट के मामले में कोई योगदान नहीं दिया हो....उसको सलाहकार बना दिया......खैर अंत में नौबत यहाँ तक आ गई की प्रधान मंत्री को सोनिया गाँधी से मिलना पद रहा है और सायद आज फैसला आ भी जाए? लेकिन दूसरी तरह ये भी है अगर सरकार अभी उन्हें त्यागपत्र के लिए कहती है तो विपक्ष सोचेगा कि ये उसकी जीत है. सरकार झुक गई....ऐसे में कुछ समय और मिल भी सकता है ...लेकिन खबर एक दम से आई कि सुनंदा पुष्कर ने अपनी हिस्सेदारी से हाथ कींच लिए हैं या उनके अनुसार छोड़ दी है......लेकिन ये तो आने वाला वक्त बतायेगा. ...ठीक मीटिंग से पहले ऐसा करना दिमाग का खेल लग रहा है. ..
ललित मोदी,सुनंदा पुष्कर और शशि थरूर अब कुछ दिन और चलेगा मीडिया में .....मगर एक बात तय है अगर आईपीएल खेल में किसी का पैंसा लगा है या गलत लोगों का और कहाँ से लगा है? कौन हैं वो? कौन इस खेल को खिला रहे हैं? कौन लोग इसके पीछे हैं......यह जनता को जानने का हक़ भी है........बाकी मिस्टर थरूर बेस्ट ऑफ़ लक !
1 टिप्पणी:
अनीस आलम राजस्थान
खैर जेसा पहेले से ही लग रहा था की इस बार शशि थरूर को जाना ही पड़ेगा वेसा ही हुआ // आखिर बकरे की माँ कबतक खेर मनाएगी
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