एक बार फिर से ग्रामीणों का गुस्सा निजी कंपनी के अधिकारियौं पर उतरा.....यही नहीं बल्कि उन्हें सजा भी दे डाली....लोकतंत्र में ऐसा होना क्या जायज है? फिर पुलिस और कानून का क्या मतलब रह जाता है? जो भी हुआ ठीक नहीं हुआ....अभी हालत तनावपूर्ण है....इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया है... रायगढ़ जिले के खरसिया विकास खंड के ग्राम दर्रामुडा में लगने वाले एक निजी पावर प्लांट एस के एस पावर ली। के विरोध में उतरे ग्रामीणों ने कल प्लांट के तीन अधिकारीयों को सुबह लगभग १० बजे से बंधक बना लिया था उन्होंने तीनो अधिकारीयों को पीटा तथा अर्धनग्न कर मुंह पर गोबर पोतकर घंटो कड़कती धूप में खड़ा कर दिया उनसे कंपनी मुर्दाबाद के नारे लगवाए और मुर्गा बनने पर मजबूर किया अधिकारयो ने कान पकड़ कर उठक बैठक भी की ।
मौके पर पंहुची पुलिस ने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया पर ग्रामीण नहीं माने इस बीच ग्रामीणों ने प्लांट की कार में जमकर तोड़फोड़ की वे कलेक्टर को गाँव में आने की बात पर अड़े रहे अंततः अतरिक्त कलेक्टर श्री शर्मा के मौके पर पहुचने के बाद किसी तरह शाम ५.३० पर अधिकारियो को मुक्त कराया गया ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचे ऐ डी एम् , ऐ एस पी और एस डी ऍम को बंधक बनाने का प्रयास किया तब जाकर तमाशबीन पुलिस ने लाठी चार्ज किया और अश्रुगेस के गोले दागे उधर ग्रामीणों ने भी पत्थर बाजी की जिसमे एस डी ओ पी खरसिया का हाथ टूट गया और लगभग ६ सिपाही घायल हो गए ग्रामीणों ने कम्पनी की कार को आग के हवाले कर दिया और पुलिस के वाहनों में भी तोड़ फोड़ का प्रयास किया देर शाम गाँव पहुचे कलेक्टर ने दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की बात कही देखते ही देखते गाँव की घेराबंदी कर दी गयी।
आज सुबह से ही गिरफ्तारियो का सिलसिला चालू है अभी तक लगभग ३० ग्रामीणों को हिरासत में लिया गया है इधर गिरफ़्तारी को लेकर ग्रामीण गुस्से में है पुर गाँव फौजी छावनी में तब्दील हो गया है . प्रदुषण की मार झेल रही जनता और आपने खेती किसानी की जमींन छिनने पर नाराज ग्रामीणों का कानून अपने हाथ में लेने का यह पहला मामला है जनआक्रोश की इस बानगी को देख कर लगता है की आगामी १७-०५-२०१० को होने वाली जन सुनवाई में ग्रामीणों का विरोध खुलकर सामने आयेगा . फिर से एक बार ग्रामीणों के गुस्से के शिकार अधिकारियों को होना पड़ा है, कहीं न कहीं तो कमी जरुर रही है.....और पॉवर प्लांट निजी है इसलिए भी ग्रामीणों ने ऐसा किया है. लेकिन किसी अधिकारी के मुह पर कालिख पोतना और ऐसी सजा दे कर कानून हाथ में लेना ठीक नहीं है. ....
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