बुधवार, 19 मई 2010

अफजल गुरु पर सरकारी राजनीती क्योँ

भारतीय लोकतंत्र का मंदिर संसद हमले का आरोपी अफजल गुरु फांसी को फांसी की सजा काफी पहले सुना दी गई थी...कोर्ट ने अपना काम कर दिया ..लेकिन अब तक हुकूमतें आपस में छुप्पन- छुपाई का खेल खेलने में लगी हुई है...फांसी अभी तक नहीं हो पाई है....अगर पुरे देश से पूछें तो लगभग सभी लोग यही कहेंगे की उसे जल्द से जल्द फांसी हो जानी चाहिए....मगर ये इस देश का दुर्भाग्य है जिस तरह से उसकी फाइल इधर-उधर की यात्रा कर रही है और केंद्र और राज्य सरकार की बीच झूलने में लगी हुई है ....उससे तो एक बात साफ़ है अफजल को फांसी देने में इन सरकारी नेताओं के मन में कही न कही सॉफ्ट कॉर्नर जरुर है..वरना ऐसी क्या मजबूरी कि इतना समय लग जाए . खैर कल जब दिल्ली की मुख्यमंत्री से मीडिया ने पूछा तो वो साफ़ जवाब नहीं दे पायी...और मामला असमंजस में ही दिखा...शाम होते होते खबर आई कि फाइल उपराज्यपाल के पास भेज दी गई है....

उपराज्यपाल ने फाइल एक घंटे के अन्दर वापस दिल्ली सरकार के पास फाइल भेज दी और पूछा स्पस्ट क्या कहना है...जैसे खबर आ रही थी.....इससे मुख्यमंत्री महोदय नाराज लग रही थी...ऐसा क्योँ? अगर चाहती होती तो क्योँ न जल्द दात्खत कर अपनी सरकार की प्रतिक्रया दे कर मामले को निपटा दें. लेकिन वही राजनीती.....सी एम् साहिबा को तो कोमन वेल्थ का भूत परेशां कर रहा है ऊपर से अफजल का जिन्न उनके सामने खड़ा हो गया है...मना करती हैं तो बुरा और हाँ करती हैं तो मुश्किल...अब ये मुश्किल क्या है ये तो वही जाने..लेकिन कुछ तो कुछ तो है...वरना इतने बड़े मुद्दे पर वो ढिलाई नहीं दिखाती.....

जिस तरह की प्रक्रिया हमारे देश में चल रही है वो ठीक नहीं है...क्यूंकि दोषी को जब सजा हो गई है...वो जल्द से जल्द और गिने चुने दिनों के अन्दर उसको सजा दे देनी चाहिए...इससे देश का मजाक बनता है...और आतंकी दुस्साहस करने में फीसे पूरी कोशिश कर सकते हैं....इससे उनका ऐसे काम करने में और विश्वास बढेगा....उनको बल मिलेगा....इससे लोगों में न सिर्फ गलत मेसेज जाएगा बल्कि सरकार कि कार्यकुशलता पर प्रश्न चिन्ह लग सकता है....और बिपक्ष इसका भरपूर लाभ उठाएगा...उसे एक नया मुद्दा हाथ लग जायेगा, और यह तो देश कि सुरक्ष्या का भी मामला है, और देश कि जनता इसे गंभीरता से ले सकती है....आगे आने वाले चुनावों में सत्ता पक्ष को नतीजा भुगतना पद सकता है....उस समय विकास नहीं बल्कि ठोस मुद्दे हावी रहते हैं....जनता इन नेताओं को लुटियन ज़ोन कि पहाड़ी से बहार खदेड़ देगी.

जो भी है इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार को जल्द और फांसी पर अपनी मुहर लगा देनी चाहिए. वरना दिल्ली सरकार के लिए इस मुद्दे पर आने वाले दिन परेशानी भरे हो सकते हैं. जल्द ही यह बहस भी छिड़ सकती है कि इतना लम्बा प्रोसेस क्योँ ? जब कोर्ट ने सजा दे दी तो सीधे राष्ट्रपति के पास भेजी जानी चाहिए...वो भी सिमित दिनों के अन्दर....इस तरह से सरकारी नेताओं के पास नहीं भेजी जानी चाहिए....और यह भी जरुरी हो गया है कि इतने लम्बे प्रोसेस को कम करने के लिए सरकार को जल्द ही विधेयक ला कार कानून में संसोधन लाने पर विचार करना चाहिए...क्यूंकि इसकी आवस्यकता और बढ़ गई है...देश आतंकवाद से जूझ रहा है...कबी नक्सल तो कभी माओवादी...कभी लश्कर तो कभी और उग्रावादी गुट.....अगर आतंकवाद से लड़ना है और देश में शान्ति कायम रखनी है तो सख्त कानून तो बनाना ही पड़ेगा.

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