सोमवार, 30 मार्च 2020

कोरोना की मार...कलयुग के हनुमान पर भी पड़ी !

लॉकडाउन के चलते बन्दर भी परेशान,
न मिल रहा  खाना...न मिल रहे इंसान...
देहरादून : कोरोना वायरस की मार से लॉकडाउन हुआ देश में इंसान ही नहीं बल्कि जंगली जानवरों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ा है. जंगल में रहने वाले बंदर आजकल दाने-दाने के लिए मोहताज हैं.पहले जंगल के बीच सड़कों से जब लोग गाड़ियों से या पैदल जाते थे तो बंदरों को कुछ न कुछ दे जाते थे खाने के लिए. लेकिन अब लॉक डाउन होने की वजह से लोगों का आनाजाना बंध हो गया. वहीँ बंदर भी अब रोड किनारे या जंगल में मुंह लटकाये बैठे रहते हैं.
एक तो लोगों ने बंदरों की आदत अब बदल दी है. पहले बंदर जंगलों में रहते थे वहीँ अपना खाना पीना देखते थे. लेकिन अब गाड़ियों में लोग आते जाते हैं और चिप्स, कुरकुरे,ब्रेड, केला, फल इत्यादि फेंक कर चले जाते हैं. इससे बन्दर इन्तजार में सुबह सड़कों किनारे बैठे रहते हैं. घूमते रहे हैं.  जैसे ही छोटी गाडी यानि कार आती है भंडार अलर्ट हो जाते हैं. उम्मीद भरी निगाहों से देखने लगते हैं. ऐसे में अब लॉकडाउन के चलते न गाड़िया आ रही हैं, न इंसान आ-जा रहे हैं. अब जो  थोड़ा  बहुत  खाने  पीने को  मिलता  भी  था  वह  भी  नहीं  मिल रहा है अब. कुछ लोग धार्मिक  मान्यता  के तहत  बंदरों को हर मंगलवार  या  शनिवार  को खिलाते  थे खाना,फल-फूल लेकिन लॉकडाउन के चलते वह भी बंद हो गया है आजकल. जंगलों में खाने को अब कुछ नहीं  रहा.कस्बे, खाली जगह,खेत अब कंक्रीट के शहर में तब्दील होते जा रहे हैं.
ऐसे में बन्दर जाएँ तो जाएँ कहाँ ? महामारी के चलते इंसान घरों में कैद हो गया है. जंगली जानवरों की और देखने वाला कोई नहीं है ऐसे संकट के समय. उत्तराखंड में अधिकतर क्षेत्र वन क्षेत्र है. ऐसे में देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, अल्मोड़ा, हल्द्वानी, नैनीताल, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चम्पावत, रानीखेत, चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, थराली, गरुड़, सोमेश्वर, कांडा-कपकोट, जोशीमठ,अगस्तमुनि, मुनस्यारी, थल-मवानी, उधम सिंह नगर, खटीमा, काशीपुर ये सब क्षेत्रों में बंदरों की संख्या काफी है.कहीं पर्वतीय क्षेत्रों में तो जंगलों में फिर भी कुछ खा लेते हैं लेकिन मैदानी क्षेत्रों में जंगल भी इंसान ने नहीं छोड़े. कुछ न कुछ जंगल में जड़ी बूटी, फल फूल जो भी होता है वह इंसान तोड़ लेता है. बंदरों के लिए कुछ नहीं बचता है. ऐसे में बंदरों को बड़ी विकट हालत का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में सरकारें  इंसान को  बचाने  में जुटी  हुई  है. वहीँ इन  बेजुबान जानवरों  को  कोई नहीं  देखने वाला .ये क्या  करे  ? किसे  कहें अपना दुःख-दर्द ? 
लोगों ने बिगाड़ दी आदत: नौटियाल- प्रमोद नौटियाल बरिष्ठ पत्रकार &एक पर्यावरण  प्रेमी और जंतु  प्रेमी  भी हैं. काफी वर्षों  से ऋषिकेश, देहरादून क्षेत्र में बंदरों पर रिसर्च कर रहे हैं और बंदरों  पर लगातार नजर बनाये रहते हैं. इनका कहना है कि लोगों ने बंदरों की आदत बिगाड़ दी है. लोग सीसा नीचे कर के गाडी से आते हैं और खाना-पानी फेंक कर चले जाते हैं,ऐसे में बंदरों के मुंह पिज़ा, बर्गर, चाउमीन, कुरकुरे जैसा  स्वाद लग गया है.अब बंदर जंगल के कंद मूल  खोदने में ढूंढने में वक्त जाया नहीं करना चाहता है. जहाँ कहीं पर है भी वहां पर इंसान पहुँच जाता है खोदने, तोड़ने. बंदर के हाथ से वह भी गया. बंदर को मुफ्त में बिन मेहनत किये सामान सड़क किनारे मिल जा रहा है. ऐसे में यह जंगली जानवरो के लिए बड़ा ख़तरा है. क्योँकि अधिकतर जो फेंक के जाते हैं उनमें केमिकल  होता है जो बंदर के सेहत के लिए हानिकारक भी  है. इससे बायोडायवर्सिटी को भी खतरा बना रहता है.
प्रमोद नौटियाल
कुछ रोचक जानकारी बंदरों के बारे में :बंदर जिन्हें हम मंकी भी कहते हैं, बहुत ही बुद्धिमान और शरारती जानवर होते हैं. यह जानवर हम इंसानों के सबसे क़रीबी रिश्तेदार हैं. मनुष्य भी समय के साथ बंदर से ही विकसित हुआ है, और इसलिए आज भी हमारा 98% DNA इन जानवरों से मेल खाता है. बंदर एक मेरूदण्डी, स्तनधारी प्राणी है, तथा इसे कपि और वानर भी कहा जाता हैं. इसके हाथ की हथेली एवं पैर के तलुए छोड़कर सम्पूर्ण शरीर घने रोमों से ढकी है. कर्ण पल्लव, स्तनग्रन्थी उपस्थित होते हैं. मेरूदण्ड का अगला भाग पूँछ के रूप में विकसित होता है. हाथ, पैर की अँगुलियाँ लम्बी नितम्ब पर मांसलगदी है.जब बंदरों को शीशा दिया जाता है तो ये सबसे पहले अपने गुप्तांगों का निरीक्षण करते है.

बंदरियाँ अपने पेट में बच्चे को 134 से 237 दिनों तक रखती है. इनकी उम्र 10 से 50 साल तक होती है अब तक सबसे ज्यादा जीने वाले एक मंकी की उम्र 53 साल थी.बंदर आम तौर पर पेड़ो, घास के मैदानों, पहाड़ों और जंगलों में रहते हैं. सबसे पहले इसका जवाब दिया गया: बंदर शाकाहारी होते या मांसाहारी? बंदर वैसे तो मुख्यतः अपने खाने में फल ,नट्स , पत्तियां , आदि ही खाते है। अत: कह सकते है की बन्दर सामान्यत शाकाहारी ही होते है , लेकिन शाकाहार के उपलब्ध न होने पर वह माँसाहार भी करते है. दुनिया का सबसे छोटा बंदर पिग्मी मार्मोसेट, एक अंगुली से भी है छोटा / दुनिया का सबसे छोटा बंदर पिग्मी मार्मोसेट, एक अंगुली से भी है छोटा.सबसे बड़ा बंदर कहाँ पाया जाता है तथा उसका नाम क्या है ? मैनड्रिल प्राइमेट पुराने विश्व बंदर की प्रजातियों में से एक है, जो गिनी और कांगो में पाया जाता है. मैनड्रिल दुनिया में बंदरों की सबसे बड़ी प्रजातियां हैं, जिन्हें ड्रिल नाम की दूसरी प्रजाति के साथ जंगली दुनिया का सबसे खूबसूरत जानवर भी कहा जाता है।

कर्नाटक में लोगों ने बनाया बन्दर का मंदिर : अभी  कुछ दिन  पहले कर्नाटक में बन्दर की मौत  हो गयी  थी  वहां  लोगों ने बन्दर के नाम से मंदिर बना  डाला. क्योँकि  बन्दर लोगों के साथ  इतना  घुल  मिल गया था. हिंदू रीति रिवाज से किया अंतिम संस्कार. गांव के मुखिया ने दिया था पैसा.  वैसे  भी बंदर को कलयुग  का भगवान्  कहते  हैं हनुमान  के रूप  में देखा  जाता  है. वैज्ञानिकों ने कई बार रिसर्च कर के बताया है,इंसान और बंदरों का डीएनए काफी मुलता जुलता है.कर्नाटक के दावणगेर जिले के चन्नागिरी तालूक के एसवीआर कॉलोनी की घटना है यह. वहां पर स्थानीय लोगों ने एक मंदिर बनवाया है बन्दर के नाम पर. मंदिर की स्थापना एक बंदर की याद में की गई है, जिसकी हाल ही में अचानक मौत हो गई थी. स्थानीय लोगों का कहना है कि उस बंदर से उनकी भावनाएं जुड़ी थीं.लोगों के मुताबिक तीन महीने पहले कॉलोनी में बंदरों का एक समूह आ गया था.ये बंदर कभी भी वहां किसी को परेशान नहीं किए. खास बात यह है कि यहां के बच्चों के साथ ये बंदर पालतू जानवरों की तरह खेला करते थे.

बच्चों को भी उनके साथ काफी मजा आता था. इससे ये बंदर कॉलोनी वालों के लिए बड़े करीबी हो गए थे. स्थानीय लोगों का मानना है कि बंदरों का समूह बड़ा ही नम्र और आज्ञाकारी था। वे साथ-साथ खेलते और खाते थे. सबके साथ घुल-मिल गए थे. कॉलोनी वालों को बंदर की मौत पर किसी अपने के चले जाने जैसा महसूस हुआ.मृत बंदर से अपने जुड़ाव के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करने के लिए स्थानीय लोगों ने हिंदू रीति-रिवाजों के साथ उसका अंतिम संस्कार किया. बाद में लोगों ने गांव के मुखिया से मिलकर उसकी याद में एक मंदिर बनाने के लिए फंड की मांग की. फंड मिलने पर वहां मंदिर बनना शुरू हो गया. मंदिर उसी जगह बनाया जा रहा है, जहां उसका अंतिम संस्कार हुआ था. ऐसे भी इसी देश में होता है.  

कोई टिप्पणी नहीं:

Дели: правительство Индии вводит запрет на 59 китайских приложений, включая работу Tiktok в Индии, в том числе UC Brozer

-Collab на Facebook может заменить Tik Tok, может скоро запустить Collab в Индии -Решение заставило китайские технологические компании сд...