मंगलवार, 31 मार्च 2020

कोरोना के खौफ से सैकड़ों नेपाली नागरिक फंसे भारत-नेपाल सीमा पर-

नेपाल नहीं आने दे रहा है अपने नागरिकों को,
पहले 31 मार्च तक था बॉर्डर सील अब 7 अप्रेल तक बढ़ाया
नेपाली नागरिक खुद अपनी  ही  सरकार  से हैं नाराज 
नेपाली मजदूरों की भीड़ 
धारचूला : नेपाल और भारत के बीच एंट्री पॉइंट उत्तराखण्ड में दो जगह है एक पिथौरागढ़ जिले के धारचूला बॉर्डर और दूसरा बनबसा बॉर्डर खटीमा के पास.  हर महीने हजारों नेपाली नागरिक भारत आते हैं काम करने. ऐसे में भारत में कोरोना के चलते लॉकडाउन हो रखा है. काम धंधे सब बंद पड़े हैं. अब नेपाली मजदूर करें तो क्या करे? काम है नहीं. घर वापस जाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. सैकड़ों नेपाली नागरिक धारचूला सीमा पर फंसे हुए हैं. पहले नेपाल सरकार ने 31 मार्च तक बॉर्डर सील रखने की सूचना दी थी. लेकिन अब इसको बढ़ा कर 7 अप्रैल कर दिया है. ऐसे में नेपाली नागरिक नेपाल सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. उनका कहना है की भारत विदेशों से अपने नागरिकों को जहाज भेज कर ला रहा है. वहीँ हमें हमारी सरकार पूछ भी नहीं रही है. ऐसे में न हमारे पास काम धंधा न खाने को. हालाँकि सीमा पर भारत की तरफ से इनको ठहराया गया है और उपचार और खाने की ब्यवस्था  की गयी है नेपाली नागरिकों की. स्थानीय प्रशासन नेपाल सरकार के अधिकारियों के साथ संपर्क बनाया हुआ है. 
झूला पुल, धारचूला 
ये नेपाली नागरिक उत्तराखण्ड में अलग अलग जिलों में काम करते हैं. वह किसी भी तरह अपने देश नेपाल जाना चाहते हैं लेकिन नेपाल की तरफ से बॉर्डर सील है. धारचूला में काली नदी पड़ती है. जिसके पुल को पार कर के आप नेपाल जा सकते हैं. और कोई रास्ता नहीं है. कल कुछ नेपाली युवक काली नदी में भी कूद गए थे जो  नेपाल जाने को ब्याकुल थे. तैर  कर उस पार तो पहुँच गए लेकिन नेपाली पुलिस  ने उनको  पकड़  लिया. उनमें से एक नेपाली युवक वापस आ गया, तीन पार पहुँच गए फिलहाल वे नेपाली पुलिस के हिरासत में है.
नेपाली युवक जो काली नदी में कूद गया था, नेपाली पुलिस की हिरासत में 
सभी नेपाली नागरिक अपनी साकार से नाराज हैं. वहीँ नेपाली सरकार ख़तरा मोल लेना नहीं चाहती है. कई लोगों ने आरोप लगाया नेपाल सरकार उनके साथ अच्छा ब्यौहार नहीं कर रही है.   उनका कहना है आखिर नेपाल सरकार हमें वापस क्यों नहीं आने दे रही. उन्होंने कहा कि जब भारत अपने नागरिकों को विदेशों से हवाई जहाज में बैठाकर ला सकता है तो नेपाल सरकार हमें बस एक गेट पार करने की इजाजत क्यों नहीं दे सकती. धारचूला में झूला ब्रिज पड़ताहै उसको पार करना पड़ता है तब आप नेपाल जा सकेंगे. बीच में काली नदी बहती है.  नदी के इस  पार भारत और उस  पार नेपाल पड़ता है.भारत की तरफ से  स्थानीय प्रशासन का कहना है कि उत्तराखंड के अलग अलग जिलों से करीब 600 नेपाली मजदूर धारचूला के झूला ब्रिज में जमा हो गए हैं. उन्होंने कहा कि मजदूरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. भारत की तरफ से इनका मेडिकल टेस्ट कराया है और भारत का स्थानीय प्रशासन नेपाल के स्थानीय प्रशासन के साथ संपर्क में है. नेपाल का कहना है कि 7 अप्रैल के बाद जब बॉर्डर खुल जायेगा तब नागरिकों को नेपाल आने देंगे.वहीँ नेपाली नागरिकों को अलग-अलग ग्रुप में  रखा गया है. बलवाकोट, जौलजीबी और धारचूला के स्कूलों में इनके रहने का इंतजाम किया है. जहां इनके उपचार, बिजली पानी की भी पूरी व्यवस्था है. उत्तराखण्ड में नेपाली नागरिक मजदूरी करने आते रहते हैं. पहाड़ों में काम करने के लिए नेपाली मजदूर कि काफी डिमांड है. क्योँकि नेपाली मजदूर बहादुर और ईमानदार होते हैं. इसलिए स्थानीय लोग नेपाली मजदूरों को काम देने में खुश रहते हैं. वहीँ नेपाली मजदूर भी उत्तराखण्ड में रहना पसंद करता है क्योँकि पर्वतीय प्रदेश होने की वजह से उन्हें भौगोलिक बदलाव महसूस नहीं होता है. करंसी का फायदा होता है. जितना नेपाली मजदूर यहाँ से कमा कर ले जाता है उससे ज्यादा करंसी वहां पर कन्वर्ट करने पर उनको प्राप्त होती है. इसलिए उत्तराखण्ड नेपाली मजदूर का सबसे पसंदीदा जगह बना हुआ है. 

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