गुरुवार, 19 मार्च 2020

कोरोना के खौफ से त्रिवेणी घाट पर गंगा आरती के संगीतमय आयोजन पर फिलहाल लगी रोक-

-नीलकंठ महादेव मंदिर में भी श्रद्धालुओं के  दर्शन पर 31 मार्च लगी रोक-

ऋषिकेश :कोरोना वायरस का असर धार्मिक कर्म कांडों पर भी पड़ रहा है, इसी के मद्देनजर विश्व प्रसिद्ध त्रिवेणी घाट पर कोरोना वायरस से बचने के लिए एहतियातन प्रतिदिन होने वाली सामूहिक गंगा आरती के आयोजन पर रोक लगा दी गयी है. देश दुनिया में कोरोना के प्रकोप को देखते हुए ऋषिकेश में गंगा नदी के तट पर त्रिवेणी घाट पर शासन के आदेश के बाद गंगा आरती के सामूहिक संगीतमय आयोजन पर रोक लगा दी गई है. DM पौड़ी धीरज सिंह ने इस संबंध में आदेश किये हैं. त्रिवेणी  घाट पर संगीतमय आरती का आयोजन प्रतिदिन शाम  को होता है. ऐसे में वहां पर विश्व भर से श्रद्धालु आते हैं. जिसमे भारतीय और विदेशी दोनों होते हैं. मन मोह लेने वाली आरती को देखने के लिए वहां काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, 50 से ज्यादा लोगों के एकत्रित न होने देने को लेकर शासन ने आदेश किये हुए हैं. ताकि कोई ब्यक्ति करवा वायरस के संक्रमण का शिकार न हो.  आरती में शामिल होने के लिए थर्मामीटर की जांच से गुजरना होगा. शरीर का तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर होने पर आरती स्थल पर प्रवेश नहीं किया जा सकता है. इसलिए एहतियातों  ऐसा  कदम  उठाया  गया  है.

अब ऐसे होगी आरती -
अब घाट पर 5 पंडित वहां पर गंगा पूजा करेंगे. ताकि गंगा जी की  विधिविधान से जारी रहे लेकिन फिलहाल श्रद्धालु एकत्रित नहीं हो पाएंगे. ऋषिकेश जो भ्रमण के लिए आता है वह त्रिवेणी घाट पर  गंगा आरती देखने जरूर आता है और इसमें शामिल होने के बाद अपने आप हर कोई काफी भाग्यशाली समझता है.  आरती के आयोजन को लेकर जो फैसला लिया गया है उसकी जानकारी गंगा सभा के सदस्य धीरेन्द्र जोशी ने दी जानकारी दी है. त्रिवेणी घाट पर 16 पंडित 16 तख्तों पर खड़े हो कर गंगा जी की आरती करते है. शानदार  प्रस्तुति  में शुरू में भजन फिर मंत्रोच्चार, गंगा आरती फिर मंत्रोच्चार के बाद भजन गए कर के आरती का आयोजन  समाप्त  होता है. इस  दौरान  श्रद्धालु  झूम उठते हैं.
परमार्थ निकेतन में भी आरती स्थगित –
ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन पर होने वाली आरती को भी 31 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है.इसके अलावा ऋषिकेश में हे परमार्थ निकेतन  में भी संध्या कालीन आरती गण किनारे  होती है वहां भी फिलहाल रोक लगा दी गयी है. परमार्थ में भी देश-विदेश से काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. इस दौरान योग शिविरों पर भी रोक रहेगी.

हरिद्वार में हर-की-पौड़ी गंगा घाट पर 31 मार्च तक एंट्री बंद-
हर की पैड़ी  पर भी गंगा आरती स्थगित फिलहाल कर दी गयी है. कोरोना वायरस का असर हर की पैड़ी पर होने वाली गंगा पर भी पड़ता दिख रहा है.बुधवार देर शाम को गंगा आरती को देखने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को देखने के बाद जिलाधिकारी सी रविशंकर ने गंगा आरती देखने पर रोक लगा दी है. यह रोक तब तक लागू रहेगी जब तक कोरोना का प्रभाव रहेगा. हर की पैड़ी पर होने वाली गंगा आरती को देखने के लिए हजारों लोग हर की पैड़ी के घाटों पर उमड़ते है. हालांकि बीते दिन मंगलवार को श्री गंगा सभा की ओर से श्रद्धालुओं को सेनेटाइज करने का काम भी किया गया था. साथ ही हर की पैड़ी में सैनेटाइड छिड़काव भी किया गया था. लेकिन प्रशासन इस समय कोरोना को लेकर किसी तरह का जोखिम लेने को तैयार नहीं है.

सचिवालय भी  बंद किया गया-
दूसरी तरफ उत्तराखण्ड सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है. सचिवालय को जहां एक हफ्ते के लिए बंद कर दिया है, वहीं राज्य के अन्य सरकारी, अर्द्ध सरकारी विभागों व निगमों के कर्मचारियों को 25 मार्च तक घरों से ही काम करने के आदेश कर दिए हैं.
प्रदेश में 97 फीसदी सैंपल नेगेटिव आये -
उत्तराखण्ड में अभी तक अ हुई कोरोना मरीजों के सैंपलों की जांच में 97 फीसदी की रिपोर्ट निगेटिव आई है. प्रदेश में अब तक सिर्फ एक ही मरीज में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है .वह भी विदेश से संक्रमित होकर लौटा था. मंगलवार को भी छह संदिग्ध मरीजों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है. मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी की वायरोलॉजी लैब में कोरोना के सैंपल जांचे जा रहे हैं. लैब में 29 संदिग्ध मरीजों के सैंपल जांचे गए हैं. इनमें छह सैंपल कुमाऊं और बाकी सभी देहरादून से लिए गए संदिग्ध मरीजों के थे. जांच में अब तक केवल विदेश से लौटे प्रशिक्षु आईएफएस अधिकारी में कोरोना की पुष्टि हुई है जो देहरादून में उपचाराधीन है.
इस  बिमारी  को  रोकने  के लिए सबसे पहले जानकारी होना जरुरी है हमें, उसके बाद जागरूक होने की.  सभी लोगों को सरकार के साथ इस बिमारी से लड़नी की जरुरत है. क्योँकि अकेले सरकार या आम जन इस बिमारी से नहीं लड़ सकता. यह हम सबकी जिम्मेदारी है, सरकार के साथ सहयोग कर इस लड़ाई से लड़ा जा सकता है.

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