गुरुवार, 12 मार्च 2020

विदेशी दुल्हा, कुमाउँनी दुल्हन। हलद्वानी में लिए दोनों ने 7 फेरे।

आसमान में हुआ प्यार, इकरार और हल्द्वानी में लिए सात फेरे,
एक दूजे के हुए विदेशी दुल्हा और देशी दुल्हन, कुमाउँनी रीति रिवाज से हुई दोनों की शादी, जर्मनी से पहुंचा दुल्हे का परिवार हल्द्वानी-


हल्द्वानी : कहावत है वसुधैव कुटंबकम, अर्थात विश्व एक कुटुंब है । वसुधैव कुटुम्बकम् सनातन धर्म का मूल संस्कार तथा विचारधारा है जो महा उपनिषद सहित कई ग्रन्थों में लिपिबद्ध है। इसका अर्थ है- धरती ही परिवार है (वसुधा एव कुटुम्बकम्)। और भारत विश्व में रहने वाले किसी भी वासिंदे का स्वागत मेहमानों की तरह करता आया है उसी कड़ी में रिश्ते भी जुड़ जाते हैं और दो परिवार रिश्तेदारी में तब्दील हो जाते हैं । ऐसा ही देखने  को मिला हल्द्वानी में ! हल्द्वानी की रहने वाली शिवानी आर्य बानी जर्मनी के रहने वाले पायलट दुल्हे की दुल्हन । शिवानी कतर एयरवेज की एयर होस्टेस हैं ।
हल्द्वानी के चौहानपाटा निवासी गिरीश चंद्र की बेटी शिवानी आर्या कतर एयरवेज में एयर होस्टेस है। पांच साल पहले उसकी नौकरी कतर एयरवेज में लगी । नौकरी के दौरान कतर एयरवेज में ही पायलट जर्मनी के डसल डार्फ निवासी पैट्रिक जुम संडे से मित्रता हुई और प्रेम प्रसंग में तब्दील हो गयी । दोनों ने शादी करने का फैसला किया और पूरे पहाड़ी रीती रिवाज से हल्द्वानी में रचाई शादी।
वर-वधू ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए।  शिवानी के आग्रह पर पैट्रिक के माता-पिता ने हिंदू रीति रिवाज के साथ शादी करने को मंजूरी दे दी। पैट्रिक के माता-पिता भी शादी में शामिल होने अपने ईष्ट मित्रों के साथ हल्द्वानी पहुंचे। विवाह समारोह पूरी तरह हिंदू परंपरा के साथ हुआ। मौके पर पैट्रिक की माता मोनिका जुम संडे और पिता बनार्ड जुम संडे ने कहा कि कुमाऊं की शादी की परंपरा रोमांच से भरपूर है। उन्हें काफी खुशी हो रही है की वे इस महान परम्परा का हिस्सा   बने हैं । 
शिवानी के पिता गिरीश चंद्र भारतीय सेना से रिटायर्ड सूबेदार हैं। शिवानी की माता दीपा देवी, चाचा नवीन चंद्र, गंगा प्रसाद, दीपक टम्टा और रिश्तेदार भानुप्रकाश ने बताया कि इस दौरान महिला संगीत का कार्यक्रम भी हुआ। हल्द्वानी में महिला संगीत का खास तौर पर आयोजन होता है जिसमे महिलायें शिरकत करती हैं । विवाह स्थल के पास ही एक होटल से बरात शुरू हुई। दूल्हा बग्घी पर सवार होकर पहुंचा। इसके बाद धूलि अर्घ्य, रिंग सेरेमनी, वरमाला आदि के कार्यक्रम हुए। बारात के दौरान जर्मनी से आए मेहमान बैंड-बाजे की धुन पर जमकर नाचे और कुमाउंनी रीति-रिवाज के अनुसार शादी के 7 फेरे लिये।शादी को देखने के लिए  आस पास के सैकड़ो लोग पहुंचे  थे । हिन्दू धर्म में विवाह को सोलह संस्कारो में से एक माना गया है. विवाह = वि + वाह, अत: इसका शाब्दिक अर्थ है - विशेष रूप से जिम्मेदारी को वहन करना।

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