गुरुवार, 26 मार्च 2020

नहीं मिल रहे हैं खेती करने वाले मजदूर, खुद ही जुटे खेती करने में किसान,

'कोरोना' के खौफ की वजह से बरत रहे हैं एहतियात,
1-2  मीटर की दूरी पर रह कर कर रहे हैं खेतों में काम,
परिवार के ही लोग आपस में मिल कर कर रहे हैं काम
ऐसे में महिला किसान गीता परिहार से की ख़ास बातचीत. स्पेशल रिपोर्ट 
खेत में काम करती हुई महिला किसान गीता परिहार
हल्द्वानी : महात्मा गाँधी ने कहा था भारत गाँवों में बसता है और इस देश की आत्मा किसान है. किसान खुश है तो देश खुश है. वैसे भी भारत कृषि प्रधान देश है. ऐसे में कृषि नहीं होगी तो कुछ नहीं होगा. किसानों को वर्ष में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.कभी प्राकर्तिक आपदा ओले,सूखा, आंधी-तूफ़ान कभी मंडी में उचित कीमत नहीं मिलने का, कभी जंगली जानवरों का हमला तो कभी महामारी  का. इस समय देश और दुनिया बड़ी महामारी के चपेट में है. ऐसे में भारत में भी इसका असर दिखाई दे रहा है.
गन्ने के बीज के लिए खेत बुवाई करते हुए किसान 
उत्तराखण्ड के किसानों की बात करें तो ग्रामीण क्षेत्र में जिनके पास जमीनें हैं वह अपने परिवार सहित काम कर तो कर रहे हैं लेकिन उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना कर पड़ रहा है. सबसे बड़ी समस्या मजदूर न मिलने से. हल्द्वानी को कुमाऊं क्षेत्र का गेट भी  कहा जाता है. हल्द्वानी तराई भाभर का इलाका होने की वजह से काफी पैदावार करता है. ऐसे में हल्द्वानी के ग्रामीण क्षेत्रों में किसान खुद ही खेती करने में जुटे हैं. खेती का समय होता है. अगर खेती समय पर नहीं हुई तो कुछ नहीं हो सकता फिर. किसान और देश को नुक्सान होना निश्चित है. अनाज का उत्पादन नहीं होगा तो आगे आने वाले समय में मुश्किलात कर सामना करना पड़ता है. हल्द्वानी के ग्रामीण क्षेत्र में आप देख सकते हैं कैसे परिवार के लोग आपस में मिल जुल कर काम कर रहे हैं.
खेत में गन्ने के बीज डालती हुई गीता परिहार 
महिला किसान :
ऐसे ही किसान हैं गीता परिहार जो एक सफल गृहिणी है, ब्यावसाई हैं और केंद्रीय सरकार के अधिकारी की पत्नी भी हैं. आज जब देश को जरुरत पड़ी तो खुद खेती कर रही हैं. जब भी खेती करने की जरुरत होती है हमेशा मजदूर लगाते हैं. हल्द्वानी क्षेत्र में अधिकतर मजदूर बरेली, पीलीभीत, रामपुर, मुरादाबाद, विलासपुर, बिहार से आते हैं. लेकिन लॉक डाउन की वजह से मजदूर नहीं आ पा रहे हैं न ही हैं. क्योँकि अधिकतर मजदूर अपने घरों को चले गए हैं. जो हैं वे एकत्रित नहीं हो सकते हैं ऐसे में .
खेत में काम करती हुई महिला किसान गीता परिहार
गीता का कहना है इस बार मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं ऐसे में गन्ने लगाने का समय आ गया है. क्योँ न परिवार के लोग मिल जुल कर खेत में काम करें. पति की ड्यूटी बाहर होने कि वजह से ऐसे समय में वह भी घर नहीं आ सकते हैं. ऐसे में जितना भी योगदार परिवार के सदस्य दे सकते हैं दे रहे हैं. गन्ना  भी समय पर खेत में लग जायेगा. उन्होंने बताया कि कोरोना की वजह से इस बार खबास एहतियात बरत रहे हैं. एक दूसरे से कोई ग्रामीण मिलने भी आ रहा है तो 1 या 2  मीटर दूर से बात कर रहे हैं. साथ ही मुंह ढक कर बाहर जा रहे हैं जरुरी सामान लेने वो भी दिए सरकार द्वारा गए गए गए समय में. गीता का कहना था अगर किसान समय पर खेती नहीं कर पायेगा तो मुश्किल हो जायेगा. ऐसे में स्वस्थ्य सम्बन्धी एहतियात बरतते हुए हम परिवार सहित काम कर रहे हैं. 
परिवार के सदस्य काम करते हुए  साथ ही  SD (सोशल डिस्टेंस) का पालन करते हुए
एक महिला होने के नाते सफल किसान होना बड़ी बात है. गीता की कॉस्मेटिक की दुकान व् ब्यूटी पार्लर भी है खाली समय में दुकान व्भी पार्लर भी देखती हैं. घर में बुजुर्ग सास-ससुर व् बच्चे भी हैं. उनका भी ख्याल रखना  पड़ता है. बड़ी बेटी जयपुर में डॉक्टर हैं. छोटी बेटी व् बेटा कॉलेज में पढ़ रहे हैं. घर में गाय भी पाल रखी हैं. खुद दूध भी निकालती हैं और उनका साफ़ सफाई का ध्यान भी खुद देखती हैं. खुद कार व्  मोटर साइकल ड्राइव करती हैं. इस काम में उनके पति एनके परिहार जो गृह मंत्रालय में अधिकारी भी हैं जब भी छुट्टी ले कर घर आते हैं उनका साथ देते हैं.
  गन्ने के बीज एकत्रित करते हुए किसान गीता परिहार 
स्वावलम्बी होना जरुरी :
गीता परिहार का कहना है की आजकल के समय में महिलाओं को स्वावलम्बी होना बहुत जरुरी है, बेशक, वे पढ़े लिखी हों या न हो. ऐसे में गीता ने जो कर दिखाया है उसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है. यह एक महिला किसान, गृहणी,ब्यावसाई का शानदार उदहारण भी है. समाज के अन्य महिलाओं को ऐसे लोगों प्रोत्साहन देना चाहिए साथ ही उनका अनुसरण भी करना चाहिए. खासतौर पर जो गृहिणियां हैं.

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