शनिवार, 7 मार्च 2020

ये कैसा गुलाल !

होली के त्यौहार का ऐसे न फायदा उठाइये---इनसे रहिये सावधान !!
ये कैसा गुलाल ???????? 

ये देख रहे हैं न आप...यह पैकेट अबीर का है...होली के मौके पर लोग मुंह सर, शरीर पर चुपड़ते हैं... होली के मौके पर बाजार में पेश किया गया है सम्बंधित कंपनी ने. आज अचानक मैं दुकान में सामान ले रहा था पहाड़ों के बीच, नजर पड़ी इस पर तो देखा.. लोग ले खरीद कर दुकान से ले  जा रहे थे इसे अचानक देखा इसमें तो कुछ डिटेल ही नहीं हैं. कंपनी का नाम कोई gupta colour company sambhal,(UP) india करके लिखा हुआ संभल, यानि मुरादाबाद के नजदीक संभल पड़ता है. लेकिन खुले आम धज्जिया उड़ाता हुआ यह उत्पाद का मालिक देखिये....नाम है 'TAHALKA super pure* silky* scented* gulaal '...यह अंग्रेजी में लिखा है और हिंदी में दूसरी तरह पैकेट के लिखा है "तहलका सुपर असली रेशम सा खुशबूदार गुलाल"

इसमें न एक्सपायरी डेट लिखी है ?
न इसमें बार प्रोडक्ट कोड बना है..?
न इसमें क्वालिटी से सम्बंधित बातें लिखी हैं..?
न इसमें प्राइस लिखा है ? कितने का भी बेच दो ? 
इंग्रेडिएंट्स ? क्या मिलाया गया है इसमें ?
न कोई सोशल साइट का लिंक है ?
कब पैक हुआ उसकी तारीख ?
न फैक्टरी का पता है खाली गुप्ता गुलाल संभल लिखा है ?

इतना बड़ा संभल कहाँ , किस गली, घर, फैक्टरी में है पता नहीं ..न फ़ोन नंबर है, सिर्फ एक फीड बैक के लिए ई मेल आईडी लिखी हुई है...हद तो तब हो गयी जब उस पर मेल भेजा तो बाउंस हो गयी मेल, यानी या तो मेल भर गयी है जो नहीं होना चाहिए था, या फिर फर्जी ई मेल बनाई गयी है...इस इसमें क्या मिलाया गया है कुछ नहीं लिखा है क्या इंग्रेडिएंट्स हैं इत्यादि---

त्यौहार हैं ऐसा तो मत करो...बस लूट मचा दो ...कोई पूछने वाला नहीं है..सम्बंधित बिभाग ने क्योँ नहीं चेक किया...दुकानों से सैम्पल उठा कर देखना चाहिए बिभाग को अगर सैम्पल लिए थे तो यह कैसे पहुँच गया उत्तराखंड ? चेक करना चाहिए, लेकिन इसके लिए पहले से सेटिंग हो जाती है...चढ़ावा चढ़ जाता है...लेकिन क्या मिला के बेचा जा रहा है ? कब तक रखना है गुलाल को ? कुछ जानकारी नहीं है इसमें...अंधेरगर्दी है !! जबकि उपभोक्ता को इसकी जानकारी देना जरुरी है यह उसका हक़ है और नियम भी है. उपभोक्ता अधिनियम 1872  के तहत कार्रवाई होनी चाहिए.  (CONSUMER ACT 1872)    लेकिन नियम कानून कीधज्जिया कंपनियां उड़ाने में देर नहीं लगाती हैं. मेक इन इंडिया का लोगो छाप दिया अच्छा है लेकिन उस अनुसार नियम भी हैं. करोना का खौफ वैसे ही फ़ैल रहा है...ऊपर से पहाड़ों में ऐसा अजनबी उत्पाद जिसकी जानकारी तक नहीं हैं. जो पन्नी यूज की गयी हैं उसकी मात्रा कितनी हैं यह पन्नी यहाँ पहाड़ों में गिरेगी खाली होने के बाद पर्यावरण को कितना नुक्सान पहुचायेगी ? अंदाजा है ? लेकिन सॉफ्ट एरिया है भेज दो माल...बेच दो..पैसे से मतलब है, लोगों की सेहत का कुछ अंदाजा नहीं है...किसी के चेहरे की स्किन ख़राब हो, फुंसियां हो जाए, एलर्जी हो जाए होने दो...माल बेचना है बस...त्यौहार है सब खप जाता है वाली कहावत है...वही , उसी का फायदा उठा रहे हैं ऐसे लोग...इसमें प्राइस भी नहीं लिखी है कितने का है...जो मर्जी जितना बेच लो....लेकिन सबसे बड़ी बात उपभोक्ता यानी हम नहीं बोलेंगे, पूछेंगे तो दुकानदार को पैसे कमाने से मतलब है , चाहे वो जहर बेच रहा हो...बेचेगा. 

उपभोक्ताओं के कल्याण हेतु बनाए गए कुछ महत्वपूर्ण कानून--
भारत सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों को सुरक्षित रखने तथा उनके अधिकारों की रक्षा के लिए अनेक नियम और कानून बनाए हैं। उपभोक्ताओं की जानकारी के लिए यहां कुछ महत्वपूर्ण कानूनों की संक्षिप्त जानकारी दी जा रही है। यह निम्नलिखित प्रकार हैं :

भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872--
धोखाधड़ी, जबरदस्ती, अवांछनीय प्रभाव अथवा भूलवश किए गए अनुबंधों को निष्प्रभावी मानते हुए उपभोक्ताओं को संरक्षण प्रदान करता है। यदि कोई ग्राहक उत्पाद की गुणवत्ता अथवा मूल्य के बारे में विक्रेता द्वारा ठगा जाता है तो वह ग्राहक इस सौदे के अनुबंध को समाप्त कर सकता है।

वस्तु बिक्री अधिनियम, 1930--
यह अधिनियम वस्तुओं की बिक्री को नियमित करने के लिए निर्मित किया गया था, जिससे कि ग्राहक और विक्रेता दोनों के हितों की रक्षा हो सके। अधिनियम की धारा 14 से 17 में की गयी व्यवस्था के अनुसार खरीददार को सौदे से बचने व यदि सौदे की शर्तों का पालन नहीं होता है तो क्षतिपूर्ति का दावा करने का अधिकार है।

खाद्य अप-मिश्रण उन्मूलन अधिनियम, 1955--
इसमें खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने तथा खाद्य पदार्थों की शुद्धता सुनिश्चित करने का प्रावधान किया गया है। अधिनियम के अनुसार, कोई उपभोक्ता या उपभोक्ता संघ क्रय की गयी खाद्य सामग्री का विश्लेषण लोक खाद्य विश्लेषक से करवा सकता है। विश्लेषक अपनी रिपोर्ट स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों को भेजेगा और उसमें मिलावट पाए जाने पर मिलावटी सामान बेचने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

ट्रेड तथा मर्केन्डाइज अधिनियम, 1958--
इसमें उपभोक्ता संरक्षण के लिए तथा ट्रेडमार्क संरक्षण की व्यवस्था की गयी है। नकली ट्रेडमार्क का प्रयोग रोकने के लिए इसमें व्यापक व्यवस्था की गयी हैं। माप तौल मानक अधिनियम, 1976 व्यापार में प्रयुक्त माप तौल संबंधी मानकों का निर्धारण करता है। इस अधिनियम का उद्देश्य उपभोक्ता के हितों की रक्षा करना है। डिब्बाबन्द सामग्री के विषय में इस अधिनियम में विद्गोष प्रावधान किए गये हैं, क्योंकि जो सामग्री 37 उपभोक्ता के अधिकार - एक विवेचन डिब्बाबन्द अवस्था में है उसके गुण, संखया, माप, तौल आदि के बारे में ग्राहक नहीं जान पाता है।

काला बाजारी अवरोधक एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1980---
इसका उद्देश्य काला बाजारियों, जमाखोरों एवं मुनाफाखोरों की धांधलियों को रोकना है। इसके अंतर्गत सरकार को यह अधिकार प्राप्त है, कि आवश्यक वस्तुओं के सप्लाई में बाधा पहुँचाने वाले व्यक्ति को वह गिरफ्तार कर सकती है तथा जेल भेज सकती है। जिसकी अवधि छह माह तक हो सकती है।

एकाधिकार एवं अवरोधक व्यापार व्यवहार (Monopolies and Resteuctive Trade Practices Act) अधिनियम,1969--
एकाधिकार एवं अवरोधक व्यापार व्यवहार एवं प्रतियोगिता अधिनियम, 2002 द्वारा निजी एकाधिकार पर नियंत्रण रखा जाता है, क्योंकि यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के प्रतिकूल हो सकता है। इसका प्रमुख उद्देश्य बाजार में स्वतंत्रता एवं उचित प्रतियोगिता को सुनिश्चित करना है।

कानून इसमें व्यवस्था है कि :---
प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली पद्धतियों को रोके....बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे और उसे सुदृढ़ करे....उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करे....भारतवर्ष में अनेक बाजार भागीदारों को व्यापारिक स्वतंत्रता प्रदान करने संबंधी अन्य पहलुओं को व्यवस्थित करे।यह अधिनियम प्रतिस्पर्धारोधी समझौतों को रोकने, व्यापारिक शक्ति के दुरुपयोग को रोकने एवं व्यापारिक समूहीकरण को संचालित करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।

Дели: правительство Индии вводит запрет на 59 китайских приложений, включая работу Tiktok в Индии, в том числе UC Brozer

-Collab на Facebook может заменить Tik Tok, может скоро запустить Collab в Индии -Решение заставило китайские технологические компании сд...