गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

कोविड-19 से कराहता मानव और क्या हो भारत के आगे की रणनीति!


नई दिल्ली : कोरोना वायरस सभी जानते हैं कितना खतरनाक है. 2 महीने के अंदर विश्व के 200 से ज्यादा देशों को अपने आगोश में ले चुका है. सरकारें हैरान हैं जनता परेशान है. इससे लड़ने का उपाय फिलहाल शून्य की तरफ इशारा दिख रहा है. इंसान के आगे इंसानियत बचाने के लिए अजीब सी स्थित उत्पन्न हो गयी है. इंसान कुछ कर नहीं पा रहा है. जहाँ देखो अपनों को खोये जा रहा है. सबसे बड़ी बिडंबना देखिये अपनों के अंतिम संस्कार में नहीं शामिल हो पा रहा है. क्योँकि वायरस फैलने का खतरा है. संक्रमण की चपेट में न आ जाएँ आप. फिलहाल वायरस का तोड़ निकाल पाना काफी लम्बे समय की मांग है. विश्व में सरकारें, ख़ुफ़िया एजेंसियां, वैज्ञानिक का अलग-अलग मत है. वे एक सहमति नहीं बना पा रहे हैं की यह वायरस कहाँ से आया, फैला कैसे इतनी तीब्रता से ?
देखा जाए तो चार संभावनाएं हैं जिन पर सबकी नजरें लगी हुई हैं. इतिहास की बात करें जितनी तेजी से यह फैला उतनी तेजी से दो वर्ल्ड वार को लगा कर भी नहीं फैला था. विश्व में अपने आप को बाहुबली और साधनों से लदे हुई सरकारें भी अपने लोगों को बचा नहीं पाए. अमेरिका जैसा देश जिसका एक आदमी मर जाता था तो वह हमला तक कर देता था आज 10 हजार से ज्यादा अमेरिकन की मौतें हो चुकी हैं लेकिन जवाब कुछ नहीं है उसके पास भी. दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियाँ ठप्प पड़ गयी हैं. फैक्टरी, ऑफिस, होटल, पर्यटन सब बंद पड़े हैं. अगर देखा जाए तो यह जितना लोगों को शारीरिक तौर पर नुक्सान पहुंचा रहा है उससे ज्यादा आने वाले दिनों में सरकारों की अर्थब्यवस्था पर चोट करने वाला है.इसका मतलब सबसे पहले देखा जाये तो वुहान शहर जहाँ पर शोध हो रहा था वहां पर चीनी प्रयोगशाला से किसी वैज्ञानिक की गलती या लापरवाही के कारण यह खुले में छूट गया और इसने आम लोगों को संक्रमित कर दिया. दूसरा यह वायरस चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सपने को सच करने की रणनीति हो सकती है.
पार्टी के ऐतिहासिक सपने को साकार करने के लिए नपी–तुली युद्ध नीति के तहत दुनिया पर छोड़ा गया है‚ जो पूरी दुनिया को चीन की एक जाती है हान वह मिडल किंगडम यानि जोगझियान वांगुओ का गुलाम बनाना चाहती है. तीसरा जो मांस बाजार है वुहान का या जो भी जानवरों की बात का मामला है उसमें शुरुवाती मरीजों से पूछा गया तो उनका इन बाजार और जानवरों से कोई लेना देना नहीं था. और फिर तथाकथित लैब के एमरजेंसी विभाग प्रमुख डॉक्टर का खुलाशा और फिर उसका गायब हो जाना कुछ और कहानी सामने ला रहा है. मीडिया जिसमें या जिसने खबर छापी वह पत्रकार भी गायब हो गया. इन सबसे एक बात तय थी वह यह कि वायरस मांस बाजार से नहीं आया था बल्कि कहीं और से आया. क्योँकि चीन में जगह-जगह ऐसे मांस बाजार हैं. तो उन बाजारों में क्यों नहीं फैला यह वायरस. चीनी लोग सैकड़ों सालों से ऐसे जानवरों को खाते आये हैं. और अगर जानवरों से आया था तो जानवरों को क्योँ नहीं नुक्सान हुआ इत्यादि...पहले लग रहा था की चीनी सरकार कुछ सामने रखेगी, लेकिन अब चीन जैसा शातिर देश जो साइलेंट रहता है और झूठ पर झूठ बोलना उसकी आदत है. चीन की सरकार ने पूरी जानकारी सार्वजनिक भी नहीं की. लेकिन जिस तरह से वुहान शहर और हुबेई प्रांत के प्रशासकों ने पूरे मामले पर चुप्पी साधी और विदेशी वैज्ञानिकों व पत्रकारों के वहां जाने पर पाबंदी लगाई उसने दुनिया की चिंता और उत्सुकता को बढ़ा दिया.इसके बाद जिस तरीके से घटनाएं हुई उससे दुनिया को समझ आ गया की चीन पर यकीन करना ठीक नहीं है. इसमें सबसे बड़ी एजेंसी WHO भी शक के घेरे में आ गयी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जिस तरह से चीन सरकार के झूठ को छिपाने और दुनिया को गुमराह करने का काम किया उसके लिए संगठन के अध्यक्ष तेद्रोस अधेनॉम की भूमिका पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं. 
हालांकि वुहान की वायरस प्रयोगााला में डब्ल्यूएचओ की सक्रिय भागीदारी है‚ लेकिन तेद्रोस ने इस कांड़ की गंभीर अंतरराष्ट्रीय जांच कराने के बजाय दुनिया की सरकारों को लगातार यह बयान देकर गलत रास्ते पर डाले रखा कि वुहान वायरस एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य तक नहीं जाता. नतीजा हुआ कि जनवरी में चीनी नववर्ष के लिए ईरान‚ इटली‚ स्पेन‚ अमेरिका और दर्जनों देशों में बसे लाखों चीनी नागरिकों को चीन में छुट्टियां बिताने और वापस आकर इन देशों में इस वायरस को फैलाने का मौका मिल गया. इससे संक्रमण दुनिया भर में फ़ैल गया. 
फिलहाल विश्व अर्थव्यवस्था बुरी तरह अस्त व्यस्त है. चीन ने इसका भी फायदा उठाने की कोशिश की वायरस से बचाव करने वाले सुरक्षा उपकरणों और दवाओं का निर्यात शुरू करके इस वायरस को मुनाफे में बदलना शुरू कर दिया है. चीनी प्रयोगशाला से इस वायरस के छूट भागने के बाद चीन सरकार के इस व्यवहार ने इस शक को मजबूत किया है कि यह सब चीन सरकार का पहले से सोच समझकर चलाया हुआ खेल है. अमेरिका में कीटाणु युद्ध के बारे में 1989 का कानून तैयार करने वाले विशेषज्ञ ड़ॉ. फ्रांसिस बॉयल ने आरोप लगाया है कि चीन से आया यह वायरस उसके कीटाणु युद्ध की तैयारियों का हिस्सा है और इसे योजना बनाकर छोड़ा गया है. 
इसके अलावा कई लोगों, संगठन, संस्थाओं ने चीन के खिलाफ दावा भी ठोक दिया है. जैसे अमेरिका के स्वयंसेवी संगठन ‘फ्रीडम वॉच’‚ टेक्सास की एक कंपनी बज–फोटोज और एक वकील लैरी क्लेमैन ने संयुक्त रूप से चीन सरकार‚ चीनी सेना‚ वुहान वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट और उसके निदेशक तथा चीनी सैनिक अधिकारी मेजर जनरल चेन वी के खिलाफ 20 खरब डॉलर (लगभग 1600 खरब रुपये ) का दावा ठोक दिया है. दावे में वायरस को युद्ध के हथियार की तरह उपयोग किया जाना‚ आतंकवाद और अमेरिकी नागरिकों की हत्या को प्रोत्साहन देने के आरोप भी शामिल हैं. ऐसे में देखना होगा आगे यह वायरस कितना घातक साबित होगा और क्या रिजल्ट रहता है और दुनिया में.

भारत के परिदृश्य से और क्या करना चाहिए भारत को आगे?
जहाँ तक भारत की बात करें तो 1962 में भारत के साथ ऐसा हुआ था. उस समय भारत अपने आदर्शवादी गगनघुट्टी पिए हुए था और चीन ने हमला कर दिया हमारे ऊपर. चीनी-हिंदी भाई-भाई सब गायब. दोस्ती धड़ाम से ख़त्म हो गई दोनों मुल्कों की. आगे सब आपको पता ही है, क्या हुआ, उसके बाद. चीन से हार हुई. हमारी काफी जमीन भी कब्ज़ा कर के बैठा हुआ है चीन. चीन बहुत आक्रामक देश है और सबसे दुर्भाग्य है हमारा पडोसी मुल्क है. सीमाए लगी हुई हैं उसके साथ हमारी. अब आए इस नये खतरे के बाद भारत को अब सार्वजनिक नागरिक सुरक्षा‚ मेडिकल स्टाफ, दवाओं और चिकित्सा उपकरणों तथा व्यापार‚ उद्योग जैसे क्षेत्रों में अधिक से अधिक आत्मनिर्भरता प्राप्त करने पर ध्यान देना होगा.
भारत को आगे क्या करना चाहिए तुरंत इस पर अम्ल करना चाहिए, नहीं तो आपातकाल में हम कुछ नहीं कर पाएंगे आने वाले दिनों में-
1.ऐसे में आने वाला समय भारत के लिए चुनौती भरा होगा. इसके लिए भारत को पहले से तैयार रहना चाहिए. भारत को अपना हेल्थ स्टाफ अधिक से नियुक्त कर मैन-पावर मजबूत करना चाहिए. जिसमे डॉक्टर, नर्स,टेक्नीशियन इत्यादि हैं. जिनको उम्र न देखकर बल्कि इनको अनुभव और जरुरत के हिसाब से भर्ती कर देना चाहिए. क्योँकि ये प्रोफेशनल आसानी से नहीं मिलते हैं. इनको प्रोफेशनल बनने में सालों लगते हैं. कोई मेडिकल प्रोफेशनल खाली न बैठे घर पर जो करना चाहता है काम उससे काम करवाना चाहिए. सरकार को उसको कानून नियमों में ढील दे कर नियुक्त करना चाहिए और ये सब केंद्र सरकार की रिकॉर्ड लिस्ट में हों. हमारे यहाँ सरकारी नीतियां बहुत लचीली और साफ़ नही हैं. सरकारें स्टाफ नियुक्त नहीं करना चाहते हैं उसका खामियाजा ऐसे समय में भुगतना पड़ सकता है.

2. दूसरा हमारे सीमाएं/ एयरपोर्ट, बंदरगाह जो हैं उन पर क्वारंटाइन बॉक्स बनाने चाहिए. जो भी इंडिया में प्रवेश करता है उसको इन बॉक्स से जांच से गुजरना पड़े. जैसे खास तौर पर नेपाल से लगती सीमा खुली सीमा है, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से ये सीमा लगी हुई हैं. ऐसे में कोई संक्रमित ब्यक्ति भारत में प्रवेश आसानी से कर सकता है. वैसे भी भारत के पडोसी देश पाकिस्तान और चीन भारत की तरक्की देख कर खुश नहीं हैं. यहाँ जो भी आये उसको बिन मेडिकल जांच के अंदर न आने दिया जाए. ऐसे में उसका रिकॉर्ड भी रहेगा कहाँ जा रहा है, क्योँ जा रहा है ? किस लिए जा रहा है, कितने दिन के लिए जा रहा है इत्यादि.

3. तीसरा हर स्कूल में फर्स्ट ऐड का कोर्स जरुरी कर देना चाहिए ताकि हेल्थ एमेजेंसी के समय में ये लोग आगे जा कार काम कर सके. सबका डाटा रखा जाये.

4.जो भी मेडिकल प्रोफेशनल है डॉक्टर या नर्स उसको उसके आधार कार्ड या जो भी अहमद सरकारी दस्तावेज हैं सबमें जानकारी दी जाए. अगर एमरजेंसी में किसी को जरुरत हो तो वह इनसे संपर्क कर सके और समय पर से उपचार मिल सके. अभी यही पता नहीं होता आपके पड़ोस में कोई मेडिकल प्रोफेशनल है और आप शहर में ढूंढ रहे होते हैं.

5 .पांचवा मेडिकल रिसर्च में अधिक से अधिक फोकस करना होगा. दवा, टीके या मेडिकल उपकरण अधिक से अधिक बनाने में जोर देना चाहिए. वैज्ञानिकों को लगाना होगा अधिक से अधिक रिसर्च पर. लैब्स अधिक से अधिक बनाएं जाए.

6.आयुर्वेद, होमियोपैथी को ऐलोपैथी की तरह अधिक से अधिक हॉस्पिटल बनाकर बढ़ावा देंगे होगा. हमारा इम्युनिटी सिस्टम काफी मजबूत माना जाता है यही वजह है की साउथ एशिया में मौतें काम हो रही हैं अभी. नहीं तो पश्चिमी देशों में देखिये सुविधा होने के बावजूद वहां मौतों का आँकड़ा ज्यादा है. आयुर्वेद और होमियोपैथी इलाज पर अधिक से अधिक रिसर्च हो.

आने वाले समय पर कोरोना काल से निपटने के बाद भारत को इस दिशा में जल्द से जल्द काम करना होगा तभी हम हेल्थ एमरजेंसी के समय अपने आप को खड़ा कर पाएंगे. और अपने नागरिकों की रक्षा कर पाएंगे. नहीं तो अब वायरस का समय है आने वाला समय कौन देश कहाँ से कौन सा वायरस छोड़ दे, घुसा दे कुछ नहीं पता चलेगा. जब तक ये चीजें मजबूत नहीं करेंगे हम हमारे लिए ख़तरा सर के ऊपर हमेशा मंडराता रहेगा. ऐसे में क्या करोगे दौलत रखकर ? क्या करोगे नेता बनकर ? सब चंद चांटों में ख़त्म.

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