शनिवार, 4 अप्रैल 2020

हर की नगरी में लॉकडाउन के चलते प्रभावित हुए कर्म-काण्ड !

अस्थि विसर्जन, पाठ, मुंडन, गंगा स्नान,पूजा करवाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या न के बराबर
महामारी के डर के चलते कई परिवारों की रोजी रोटी हुई प्रभावित
संक्रमण न फैले, भीड़ न हो.. इसलिए पुलिस प्रशासन शख्त


हर की पौड़ी, हरिद्वार (फाइल फोटो) 
  • हरिद्वार व ऋषिकेश पुलिस-प्रशासन गरीब लोग, साधु-संतों के लिए लिए भोजन की व्यवस्था कर रही है. हरिद्वार गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ष्ठ का कहना है"आजकल श्रद्धालु आ नहीं रहे हैं ऐसे में कोरोना के खौफ से सब डरे हुए हैं. पंडित समाज के लिए मुश्किल हो गई है
त्रिवेणी घाट, ऋषिकेश
 हरिद्वार/ऋषिकेश:  धर्म नगरी हरिद्वार करोड़ों हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए ख़ास स्थान रखता है. इंसान जब जन्म लेता है तब भी और जब इंसान की मृत्यु होती है तब भी हर व्यक्ति की हर इच्छा रहती है वह हरिद्वार जरूर आये. इंसान जीवन में एक बार जरूर हरिद्वार आना चाहता है. गंगा स्नान के लिए, बच्चों का मुंडन कराने के लिए अंतिम संस्कार के बाद अश्थी विसर्जन के लिए. इसकव अलावा श्राद्ध, पूजा के लिए समय समय हजारों श्रद्धालु हर महीने हरिद्वार आते हैं. सावन के महीने में कावड़ के मौके पर लाखों श्रद्धालू गंगा जल ले जाते हैं. लगभग 500 रुपये दान दक्षिणा से कमा लेते थे लेकिन आजकल एक रुपिया भी कमाई नहीं हो रही है. कोरोना वायरस के खौफ के चलते हर नगरी हरिद्वार भी अछूती नहीं रही. लोग यहाँ पर 2 से 3 हजार श्रद्धालु आते हैं ऑफ सीजन में. लेकिन कोई भी कर्म काण्ड नहीं करवा पा रहा है. ऐसे में पुलिस प्रशासन शख्त है. वह नहीं चाहता है की सोशल डिस्टेंसिंग टूटे बनी रही. एक व्यक्ति आएगा तो उसको देखा देखी और भी आएंगे. इसलिए लॉकडाउन के चलते श्रद्धालुओं को घाटों पर जाने की इजाजत नहीं है. हर की पौड़ी व अन्य घाटों पर आजकल सुनसानी है.
गंगा माँ का मंदिर, हरिद्वार 
हरिद्वार व ऋषिकेश पुलिस प्रशासन गरीब लोग, साधु-संतों के लिए लिए भोजन की व्यवस्था कर रही है. हरिद्वार गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ष्ठ का कहना है”आजकल श्रद्धालु आ नहीं रहे हैं ऐसे में कोरोना केखौफ से सब डरे हुए हैं. पंडित समाज के लिए मुश्किल हो गई है. पहले हर महीने लाखों श्रद्धालु आते थे लेकिन अब घाट सुनसान पड़े हैं. सबको स्वास्थ्य की चिंता है और होनी भी चाहिए. हम सरकार के साथ हैं ऐसे समय में.जो प्रशासन कर रहा है हमारे स्वास्थ्य के लिए कर रहा है हमें साथ देना चाहिए इस समय पर. क्या करें ? और कोई उपाय भी नहीं है. सोशल डिस्टेंसिंग बना कर चलना है.आंखिर इस बीमारी से इतने लोगों की मौत हो चुकी है.
-----ऋषिकेश के घाटों में भी वीरानी-----
गंगा सभा, त्रिवेणी घाट, ऋषिकेश
त्रिवेणी घाट, ऋषिकेश 
यही हाल ऋषिकेश त्रिवेणी घाट व अन्य घाटों का है. हरिद्वार व ऋषिकेश में घाट सुनसान पड़े हैं. ऐसे में वहां पर पंडित समाज के लिए यह बड़ा मुश्किल समय है. त्रिवेणी घाट पर नन्हे दास बाबा पिछले 40 वर्षों से ऋषिकेश में त्रिवेणी घाट पर सेवा करते आ रहे हैं. लेकिन उनका कहना है कैसी-कैसी विपदा देखी लेकिन ऐसी नहीं देखी. रोज गंगा आरती में ख़ुशी से भाग लेने वाले नंदे दास आज बहुत दुःखी हैं. उनका कहना है बहार गए तो पुलिस ने बाहर जाने देती है न आने देती है. इसलिए हम यही घाट पर ही रह रहे हैं. कोई आता जाता नहीं आजकल घाट सुनसान पड़े हैं. टिहरी के रहने वाले साहिल चमोली पिछले कई वर्षों से पूजा पाठ करवा कर अपना घर चलाते थे घाट पर. त्रिवेणी घाट पर शाम की आरती में भी भाग लेते हैं. लेकिन अभी जब से लॉकडाउन हुआ है तब से कोई नहीं आ रहा है. आजकल कमरे में खाली बैठे हैं -
पंडित साहिल चमोली, पंडित जी शिक्षा ग्रहण करने वाले और गंगा आरती करने वाले 
पंडित साहिल चमोली, पंडित जी शिक्षा ग्रहण करने वाले और गंगा आरती करने वाले 
उनका कहना है पहले रोज दक्षिणा-दान से कुछ कमा लेता था लेकिन अब वह भी बंद हो गया है. नवरात्रि में सोचा था गाँव जायेंगे कुछ पूजा पाठ करेंगे लेकिन इस बार नवरात्र में भी आना जाना बंद हो गया था इसलिए कुछ नहीं हुआ. खाली बैठे रहे. नवरात्र भी सुनसानी में निकल गए. जगह-जगह पुलिस की बैरिकेडिंग लगी हुई है किसी को घाटों पर जाने नहीं दे रही हैं पुलिस. क्योँकि सोशल डिस्टेंसिंग के चलते ऐसा किया जा रहा है. संक्रमण ने फैले इसलिए एहतियातन किया जा रहा है. त्रिवेणी घाट पर तैनात पुलिस के सिपाही पंकज जखमोला का कहना है “लोग मान नहीं रहे उन्हें काफी समझाना पड़ता है. हम हर तरह से उनको सहयोग करते हैं. उनको भी सहयोग करना चाहिए. आखिर उनके हिफाजत के लिए हम ड्यूटी कर रहे हैं. हम आम जन का भला चाहते हैं. लोग रोज गंगा जी की पूजा करने आते हैं लेकिन भीड़ एकत्रित न हो हम नजर बनाए हुए हैं.ऐसे में लोगों को घाट पर जाने नहीं देते.” घाट पर ही सुबह के समय गिरीश शर्मा पूजा पाठ करवाते हैं लेकिन जब से लॉकडाउन हुआ है तब से वे भी नहीं आ रहे हैं उन्होंने बताया कि “अभी घाट पर नहीं जा रहे हैं. कोई पूजा पाठ करवाने तो आ नहीं रहा है. हम जा कर क्या करें ऐसे समय में, फिर पुलिस भी नहीं जानी देती है.”
नन्हे दास, बाबा 
ऋषिकेश कोतवाल रितेश शाह का कहना है “हम आम जनता के लिए 24 घंटे तैनात हैं कोई भी जो लॉकडाउन का उल्लंघन करेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. ” गरीब, साधु, संतों के लिए जिनको भोजन की समस्या हो रही है उनको हम भोजन पहुंचा रहे हैं. 
रितेश शाह, कोतवाल, ऋषिकेश
आम जनता का भी इसमें काफी सहयोग मिल रहा है. जो भोजन देना चाहते हैं वे कोतवाली में दे रहे हैं यहाँ से हम गरीब, भूखे लोगों तक भोजन पहुंचा रहे हैं, ताकि कोई भूखा न रहे.”गंगा सभा के सदस्य धीरेन्द्र जोशी का कहना है सच में ऐसा समय नहीं देखा “हमने कभी अपनी जिंदगी में इतनी सुनसानी. ऐसे में पंडित समाज के लिए बहुत संकट का समय है. लोग हजारों श्रद्धालु आते थे, इस समय तो वैसे भी सीजन का समय है इस समय घाट भरे रहते थे. परिवार सहित लोग घूमने आते थे देश-विदेश से. लेकिन इस बार सुनसानी है. लोग हम गंगा एआरटी करवाते थे सैकड़ों लोग आते थे लेकिन अब जाने की भी अनुमति नहीं है घाट पर. ऐसे में हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. सरकार का हम सहयोग कर रहे हैं. ऐसे में सब पंडित, पण्डे खाली बैठे हैं. ”
सैकड़ों परिवार प्रभावित
हरिद्वार और ऋषिकेश में सैकड़ों परिवार हैं जिनकी रोजी रोटी घाटों पर से चलती है. पुरोहित, पण्डे जो पूजा करवाते हैं उससे ही उनकी रोजी रोटी चलती थी. आजकल सभी खाली बैठे हैं.कुछ अपने गांव- घरों को चले गए हैं. इन सबका परिवार इसी पूजा, पाठ करवाने से जो दान- दक्षिणा मिलती थी उससे चलता था. लेकिन आजकल कुछ नहीं है. ऐसे में कई बार भंडारे या फिर दक्षिणा के तहत जजमान भोजन भी करवा देते थे लेकिन आजकल वह भी बंद हो गया है. भंडारे चलते रहते थे कई आश्रमों में वह भी बंद हो गया है. इससे वहां पर न केवल पंडित, पण्डे बल्कि कई साधु संतों को खाने पीने समस्या हो रहा है. हालाँकि स्थानीय पुलिस प्रशासन इनके लिए व्यवस्था कर रहा है लेकिन जैसा पहले था वैसा नहीं है.

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